जिस थवई टोला कांड से बने योगी आदित्यनाथ हिंदू युवा वाहिनी के फायरब्रांड नेता, उस मामले में कोर्ट ने सुनाया फैसला

Deoria news : थवई टोला कांड ने हिंदू समुदाय को गोलबंद करने में बड़ी भूमिका निभाई, घटना के बाद योगी आदित्यनाथ की जनसभा में भारी भीड़ उमड़ी, इसके बाद ही पूर्वांचल के कमोबेश हर जिलों में हिंदू युवा वाहिनी की नींव पड़ गई...

Update: 2022-10-02 12:20 GMT

जिस थवई टोला कांड से बने योगी आदित्यनाथ हिंदू युवा वाहिनी के फायरब्रांड नेता, उस मामले में कोर्ट ने सुनाया फैसला (photot : facebook)

जितेंद्र उपाध्याय की रिपोर्ट

Deoria News : यूपी के देवरिया जिले के थवई टोला के सांप्रदायिक उन्माद की घटना के 19 साल बाद न्यायालय का फैसला आया है, जिसमें युवक की हत्या के आरोपियों के खिलाफ जिला न्यायाधीश ने उम्र कैद की सजा सुनाई है। कोर्ट के फैसले के बाद एक बार थवई टोला कांड सुर्खियों में है। इस घटना के बाद सूबे के मुख्यमंत्री व गोरखपुर के तत्कालीन सांसद योगी आदित्यनाथ के स्टैंड लेने व विशाल जनसभा को संबोधित करने के बाद यह कहा जा सकता है कि पहली बार हिंदू युवा वाहिनी को संगठन का विस्तार करने का मौका मिला, जिसके बहाने चंद माह में ही पूर्वांचल के जिलों में संगठन की बड़ी फौज खड़ी हो गई।

पहले चर्चा करते हैं उस घटना की तथा न्यायालय के फैसले की। थवई टोला में समुदाय विशेष के लोगों ने मुकेश पर प्राणघातक हमला किया था, जिससे उसकी मौत हो गई। भटनी थाना क्षेत्र के घाटी बाजार के थवई टोला निवासी मुकेश कुमार शर्मा पुत्र अक्षय शर्मा की बहुचर्चित हत्या के मामले में एक दिन पूर्व न्यायालय ने फैसला सुनाया। जिला एवं सत्र न्यायाधीश जेपी यादव की अदालत ने चार आरोपियों को हत्याकांड में दोषी पाए जाने पर उम्रकैद और प्रत्येक को पांच.पांच हजार रुपए के अर्थदंड से दंडित लगाया।

यह हुई थी घटना

भटनी थाना क्षेत्र के ग्राम सभा घाटी के थवई टोला में वर्ष 2003 में एक नवंबर को अक्षय कुमार शर्मा का पुत्र मुकेश कुमार शर्मा बाजार से घर लौट रहा था। उसी गांव के अल्पसंख्यक वर्ग के लड़के उसे लोहरा लोहरा कह कर चिढ़ाने लगे। मुकेश ने कई बार चिढ़ाने से मना किया और अपने घर चला गया। कुछ ही देर बाद आरोपी मुनव्वर, इरशाद, सिराज और हसीबुल्ला अपने अन्य छह साथियों के साथ मुकेश के दरवाजे पर आ धमके। शोरगुल और ललकारने पर मुकेश घर से बाहर निकला। आरोपियों ने उसकी हॉकी, डंडे और राॅड से बुरी तरह पिटाई की। अचेतावस्था में परिजन घायल मुकेश को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र भटनी ले गए, जहां प्राथमिक उपचार के बाद डाॅक्टरों ने जिला अस्पताल के लिए रेफर कर दिया। जिला अस्पताल में डाक्टरों ने घायल मुकेश का इलाज शुरु किया, लेकिन मुकेश ने इलाज के दौरान एक नवंबर की रात में दम तोड़ दिया।

दो समुदायों का मामला होने से क्षेत्र में था तनाव

मुकेश की हत्या और आरोपी दूसरे समुदाय के होने से गांव समेत क्षेत्र में कई दिनों तक तनाव का माहौल था। क्षेत्र में शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए कई थानों की पुलिस फोर्स और पीएसी को डेरा डालना पड़ा था। हालात सामान्य करने के लिए प्रशासन को भी काफी मेहनत करनी पड़ी थी।

मृतक मुकेश के भाई बृजेश ने जनज्वार को बताया, मेरे भाई की हत्या के मामले में पुलिस के कार्रवाई करने से आनाकानी के चलते कुछ लोग आक्रोशित हो गए थे। प्रतिशोध में गुस्साये लोगों ने अल्पसंख्यक समुदाय की कई झोपड़िया फूंक दी थीं।

सूबे के सीएम व तत्कालीन सांसद ने की थी जनसभा

थवई टोला हत्याकांड के विरोध में तथा सामाजवादी पार्टी की सरकार में वर्ग विशेष के आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं होने पर गोरखपुर के तत्कालीन सांसद योगी आदित्यनाथ ने 4 नवंबर को आरोपियों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई के लिए घाटी बाजार में जनसभा की थी। इस दौरान उन्होंने ने आरोपियों का बचाव करने पर भाटपाररानी के तत्कालीन विधायक कामेश्वर उपाध्याय पर हमला बोलते हुए उन्हें पत्नीहंता भी कहा था। उस समय प्रदेश में सपा की सरकार थी। मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव थे और क्षेत्रीय विधायक कामेश्वर उपाध्याय समाजवादी पार्टी में ही थे।

चार आरोपियों को उम्रकैद की सजा

18 वर्ष 11 महीने बाद जिला जज की अदालत ने घटना के समय बालिग रहे सिराज, मुनव्वर, इरशाद और हसीबुल्ला को गोलबंद होकर हत्या करने के मामले में दोष सिद्ध करार दिया। न्यायालय ने चारों दोषियों को आजीवन कारावास और 5-5 हजार रूपए अर्थदंड की सजा सुनायी है। मुकेश की हत्या में नामजद 10 आरोपियों में 4 आरोपियों को किशोर घोषित होने के कारण सुनवाई के लिए जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड को भेज दिया गया, जहां मामला अभी भी विचाराधीन है।हत्याकांड में नामजद नकीर खां और सराफुल्ल खां की मुकदमा के ट्रायल के दौरान मौत हो चुकी है।

घटना के बाद तेजी से हुआ हिंदू युवा वाहिनी का विस्तार

एक हिंदू युवा धार्मिक समूह के रूप में अप्रैल 2002 में हिन्दु यूवा वाहिनी की योगी आदित्यनाथ ने स्थापना की थी। रामनवमी के दिन ही संगठन की नींव रखी गई थी। इसके बाद से ही संगठन के विस्तार के लिए कवायदें तेज हो गई। इसके एक वर्ष बाद थवई टोला कांड ने तो हिंदू समुदाय को गोलबंद करने में बड़ी भूमिका निभाई। घटना के बाद पुलिस पर आरोप है कि उसने त्वरित कार्रवाई नहीं की, जिसका नतीजा रहा कि योगी आदित्यनाथ की जनसभा में भारी भीड़ उमड़ी। इसके बाद ही पूर्वांचल के कमोबेश हर जिलों में हिंदू युवा वाहिनी की नींव पड़ गई।

योगी आदित्यनाथ के सीएम बनने के बाद कमजोर होता चला गया संगठन

जानकारों का मानना है कि योगी आदित्यनाथ के सीएम बनने के बाद संगठन को विस्तार मिलने के बजाय इसकी जड़ें कमजोर होती चली गईं। हालांकि शुरुआत में हिंदू युवा वाहिनी की कई बैठकों में भी योगी आदित्यनाथ दिखे। यह कहा जा सकता है कि संगठन की स्थापना से लेकर आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के सफर तक में हिंदू युवा वाहिनी ने बड़ी भूमिका निभाई, जिसके सहारे मौका मिलने पर आदित्यनाथ ने भाजपा के संगठनकर्ताओं को भी उंगली दिखाते रहे।

हालांकि वस्तुस्थिति है कि संगठन को खड़ा करने वाले वे शुरूआती चेहरे अब जुदा हो चुके हैं। फिलहाल यह सच है कि जिला न्यायाधीश के फैसला सुनाने के बाद एक बार फिर यह घटना लोगों के जुबान पर ताजा हो गई। इस सफर में दो बड़े बदलाव हुए हैं। योगी आदित्यनाथ एक सांसद से आगे बढ़कर अब सूबे के मुख्यमंत्री हैं। दूसरी तरफ हिंदू युवा वाहिनी की गतिविधियां अब लगभग समाप्त हो चुकी हैं।

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