बाबरी विध्वंस की बरसी पर PFI के पोस्टर से उठा विवाद, लिखा फिर से होगा बाबरी का उदय

सोशल मीडिया हैंडल पर पीएफआई ने जो पोस्टर लगाया उसमें बाबरी मस्जिद पर कारसेवकों के बैकग्राउंड वाली तस्वीर पर पीएफआई ने लिखा है, "एक दिन बाबरी का उदय होगा। 6 दिसंबर, 1992 -कहीं हम भूल ना जाएं....

Update: 2020-12-07 13:38 GMT

लखनऊ। बाबरी विध्वंस की बरसी पर पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) ने अपने सोशल मीडिया हैंडल पर एक पोस्टर लगाया है, जिस पर विवाद उठ खड़ा हुआ है। कहा जा रहा है कि यह हिंदू भावनाओं को भड़काने के मकसद से लगाया गया है।

बाबरी विध्वंस की बरसी यानी 6 दिसंबर को अपने सोशल मीडिया हैंडल पर पीएफआई ने जो पोस्टर लगाया उसमें बाबरी मस्जिद पर कारसेवकों के बैकग्राउंड वाली तस्वीर पर पीएफआई ने लिखा है, "एक दिन बाबरी का उदय होगा। 6 दिसंबर, 1992 -कहीं हम भूल ना जाएं।"

इस पोस्टर को बाबरी विध्वंस के 28वें वर्ष के अवसर पर सोशल मीडिया हैंडल पर शेयर किया गया था। हालांकि इस दिन यानी बाबरी बरसी के दिन 6 दिसंबर रविवार को कहीं से भी अप्रिय घटना की सूचना नहीं मिली और दिन शांतिपूर्वक बीत गया, मगर अभी भी आशंका जतायी जा रही है कि इसे लेकर दोनों संप्रदायों के बीच विवाद हो सकता है।

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल राम जन्मभूमि विवाद को सुलझाते हुए विवादित जमीन मंदिर निर्माण के लिए हिंदुओं को दे दी थी और मुस्लिम समुदाय को अयोध्या में ही मस्जिद निर्माण के लिए 5 एकड़ जमीन दी गई।

इसके अलावा विशेष अदालत ने बाबरी विध्वंस मामले में सभी आरोपियों को इसी साल सितंबर में बरी कर दिया। इससे पहले, अगस्त में राम मंदिर निर्माण का काम भी शुरू हो चुका है और मस्जिद निर्माण की भी रूपरेखा तैयार कर ली गई है।

पीएफआई भारत में एक चरमपंथी और उग्रवादी इस्लामी कट्टरपंथी संगठन है, जो 2006 में नेशनल डेवलपमेंट फ्रंट (एनडीएफ) के उत्तराधिकारी के रूप में देखा जाता है। इसके सदस्य अक्सर राष्ट्रविरोधी और असामाजिक गतिविधियों में शामिल बताये जाते हैं।

पीएफआई वही संगठन है, जिसे उत्तर प्रदेश की सरकार बैन करना चाहती है। इससे पहले भी योगी सरकार ने नागरिकता संसोधन एक्ट को लेकर प्रदर्शन के लिए पीएफआई पर आरोप लगाया था। इसके बाद यूपी सरकार इस संगठन पर प्रतिबंध लगाना चाहती थी।

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्वीटर पर जारी इस पोस्टर के बाद तमाम हिंदूवादी भी खुलकर सामने आ रहे हैं, जो खुलकर न केवल इसका विरोध कर रहे हैं, बल्कि कई भद्दी बातें कर रहे हैं। 

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