कांग्रेस में असंतोष एक दिन में नहीं फैला, 100 नेता पत्र पर करने वाले थे हस्ताक्षर, डर से पीछे हटे
कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने कहा है कि पार्टी में असंतोष एक दिन में नहीं फैला है। सोनिया गांधी के अध्यक्ष बनने के बाद से ही यह विवाद तेज हो गया था...
जनज्वार। कांग्रेस के अंदर अध्यक्ष पद व नेतृत्व को लेकर विवाद थम नहीं रहा है। भले ही 24 अगस्त को कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में एक बार फिर सोनिया गांधी को अध्यक्ष बनाए रखने का फैसला लिया हो लेकिन विरोध के स्वर थमे नहीं हैं। वरिष्ठ पार्टी नेता दिग्विजय सिंह ने कहा है कि पार्टी के अंदर असंतोष एक दिन में नहीं फैला। उन्होंने कहा कि यह विवाद उस दिन तेज हो गया जिस दिन सोनिया गांधी पिछले साल कांग्रेस अध्यक्ष बनीं और राहुल गांधी ने अध्यक्ष पद छोड़ दिया लेकिन पार्टी पर उनका नियंत्रण बना रहा। इसका सबूत पार्टी पदाधिकारियों की नियुक्ति से भी मिलता है।
नए अध्यक्ष के चयन व अमूल चूल बदलाव की मांग करने वाले गुट के हवाले से इंडिया टुडे ने खबर दी है कि पत्र पर 25 सांसद हस्ताक्षर करने वाले थे, लेकिन उनमें कुछ पीछे हट गए। देश भर में 100 नेता पत्र पर दस्तखत करने वाले थे, हालांकि उस पर 23 नेताओं ने ही हस्तक्षर किया। रिपोर्ट के अनुसार, कई नेता कार्रवाई के डर से पीछे हट गए। लोकसभा और राज्यसभा के 12-12 सांसद पत्र के समर्थन में थे। पीछे हटने वाले नेताओं को यह भय था कि उन्हें बाहर का रास्ता न दिखा दिया जाए।
पत्र पर हस्ताक्षर करने वाले एक नेता के हवाले से इंडिया टुडे ने लिखा है कि चिट्ठी में गांधी-नेहरू परिवार के योगदान की प्रशंसा की गई है, विशेषकर सोनिया गांधी के। इसके बावजूद उन्हें बागी माना जा रहा है। अनुमान लगाया जा रहा है कि पार्टी के एक बड़े नेता इसमें शामिल थे, लेकिन उन्होंने दस्तखत नहीं किया और चुप्पी साध ली।
कांग्रेस के कई प्रदेश अध्यक्षों एवं मुख्यमंत्रियों ने पत्र लिखे जाने को गलत बताया है। एक और वरिष्ठ नेता के हवाले से लिखा गया है कि कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक के बाद कुछ नेताओं ने फोन पर माफी भी मांगी। उन्होंने कहा कि हमें इस बात का खेद है, लेकिन पत्र दिल्ली से भेजा गया था।
इस पूरे मामले पर अहमद पटेल ने कहा है कि हमलोग एक लोकतांत्रिक पार्टी और पार्टी के अंदर लोकतंत्र है। नेताओं में असंतोष हो सकता है लेकिन इसे पार्टी मंच पर उठाना चाहिए था। सोनिया गांधी के कार्यकाल के बीच राहुल गांधी पर आरोप लगा है कि वे पार्टी का संचालन कर रहे हैं, लेकिन वे फैसले से नकारते हैं और कहते हैं कि वे सिर्फ सांसद हैं।