गली की आवारा गर्भवती कुतिया से की मोदी के कृषि राज्य मंत्री ने भूखे बच्चों की तुलना
संजय सिंह कहते हैं, देश की संसद में संवेदनहीनता की पराकाष्ठा, मैंने पूछा देश मे भुखमरी क्यों है? कृषि मंत्री ने बच्चों की भूख की तुलना गली की आवारा कुतिया जो गर्भवती हो जाती है उसके बच्चों से कर दी...
जनज्वार। आज 19 मार्च को राज्यसभा में भुखमरी पर आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने जब भुखमरी को लेकर सरकार से सवाल किया तो मोदी सरकार के कृषि राज्य मंत्री पुरुषोत्तम रुपाला ने गरीबों के बच्चों की तुलना गर्भवती कुतिया से कर डाली।
संजय सिंह ने सदन में भूखमरी सूचकांक में 2020 में भारत का भारत का स्थान 94वां रहने को लेकर कहा था कि हम उत्पादन में शीर्ष देशों में शामिल हैं, समस्या उत्पादन की नहीं वितरण की है, कृषि मंत्री जी बताएं कि इसमें सुधार क्या होगा।
संजय सिंह के इस सवाल के जवाब में कृषि राज्य मंत्री पुरुषोत्तम रुपाला ने कहा कि ये जो भूखमरी की बात हो रही है, खासकर देश के बच्चों के बीच भूखमरी की बात, तो ये ठीक नहीं है कि कि कोई विदेशी एनजीओ आकर सर्वेक्षण करके चला जाता है, हमने उन एनजीओ से सवाल किया है। लेकिन मैं अपना एक निजी अनुभव बताना चाहता हूं।
कृषि मंत्री ने कहा, हमारे यहां तो जब गलियों में जब आवारा कुत्ते के भी बच्चे होते हैं तो हमारी माताएं और बहनें उनके बच्चों को खाना खिलाने जाती हैं ऐसी परंपरा है इस देश में तो तो ऐसे समाज में बच्चों के भूखे रहने का आकलन कोई और करके दे तो ये ठीक नहीं है। हट्ठे-कट्ठे बच्चे को भुखमरी में गिना जा रहा है।
कृषि राज्यमंत्री पुरुषोत्तम रुपाला के इस संवेदनहीनता से भरे इस जवाब के बाद आप सांसद संजय सिंह ने सोशल मीडिया पर वीडियो शेयर करते हुए लिखा है, 'देश की संसद में संवेदनहीनता की पराकाष्ठा। मैंने पूछा देश मे भुखमरी क्यों है? कृषि मंत्री ने बच्चों की भूख की तुलना गली की आवारा कुतिया जो गर्भवती हो जाती है उसके बच्चों से कर दी।'
ट्वीटर पर पुरुषोत्तम रुपाला को जनता ने ट्रोल करना शुरू कर दिया है। वरिष्ठ पत्रकार विनोद कापड़ी लिखते हैं, 'भारत की संसद में संवेदनहीनता की हद। संसद में सवाल, देश में इतनी भुखमरी क्यों है? संसद में मोदी सरकार के केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण राज्य मंत्री का जवाब, जब देश में आवारा कुतिया के बच्चों की भूख मिट जाती है तो ये सवाल कैसा है?'
रंधावा इंडिया फर्स्ट कहते हैं, 'इनके लिए क्या बोलूं? सोचता हूं लोकोक्ति में ही जवाब दे दूं, अंधेर नगरी चौपट राजा टके सेर भाजी टके सेर खाजा!, आंख के अंधे नाम नैनसुख!'
प्रकाश चंद ने ट्वीट किया है, 'आखिर कहां से आते है ये लोग...कभी तो सही बात बोलो! क्या-क्या बकते रहते हैं पता नहीं... कभी जींस, कभी यूपी मॉडल...आखिर करना क्या चाहते है!'
पत्रकार सोहित मिश्रा ने ट्वीट किया है, 'मंत्रीजी जो खुद लाखों करोड़ों रुपयों की गाड़ी में घूमते हैं, उन्हें नहीं पता कि ज़मीनी हालात क्या है.. अगर देश में इतना अनाज होता तो लॉकडाउन के समय केंद्र सरकार को अलग से अनाज नहीं देना पड़ता... अब मंत्रीजी को फटे हुए पैंट पर ही फोकस करना चाहिए, इनकी समझ वहीं तक है...