अगस्त में जेल से बाहर आएंगी वीके शशिकला, तमिलनाडु की राजनीति में मचेगी हलचल?
शशिकला के जेल से बाहर आने को तमिलनाडु की राजनीति के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है, लेकिन सवाल यह है कि क्या चार साल बाद वे फिर अपना प्रभाव जमा पाएंगी?
जनज्वार। अन्नाद्रमुक की दिवंगत प्रमुख व तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जे जयललिता की सहयोगी व सहेली वीके शशिकला अगस्त में जेल से बाहर आ सकती हैं। शशिकला इस वक्त बेंगलुरु के पारापना अग्रहारा जेल में आय से अधिक संपत्ति मामले में बंद हैं। उनका जेल से आना तमिलनाडु में राजनीतिक दृष्टिकोण से मायने रखता है। यह संभावना जताई जा रही है कि वे 14 अगस्त को जेल से बाहर आएंगी और उसके बाद तमिलनाडु की राजनीति में एक बार फिर हलचल मचेगी।
राज्य की अन्नाद्रमुम सरकार में शामिल उनके लोग व विधायक उनकी ओर फिर पाला बदल सकते हैं और इससे मुख्यमंत्री इडापड्डी के पलानीसामी की सरकार को दिक्कतों को सामना करना पड़ सकता है। मालूम हो कि अगले साल तमिलनाडु में विधानसभा चुनाव भी होना है। ऐसे में जाहिर है कि शशिकला के जेल से बाहर आने के बाद राज्य में राजनीतिक हलचल तेज होगी।
वीके शशिकला शशिकला नटराजन के नाम से भी जानी जाती हैं और उन्होंने हमेशा खुद को जयललिता की राजनीतिक उत्तराधिकारी के रूप में पेश किया।
जयललिता पांच दिसंबर 2016 को दिवंगत हो गईं थीं। उनके निधन के बाद ओ पन्नीरसेल्वम को मुख्यमंत्री चुना गया था। ऐसा इस कारण किया गया था क्योंकि पन्नीरसेल्वम को दो बार राजनीतिक परिस्थितियों वश जीवित रहते जयललिता ने मुख्यमंत्री के रूप में नामित किया था।
पर, बाद में शशिकला ने पार्टी एवं सरकार पर पकड़ कायम रखने के लिए अपने करीबी इडापड्डी पलानीसामी को मुख्यमंत्री बनाया व अपने भतीजे को पार्टी संगठन में अहम पद पर बैठाया। पर, जब शशिकला आय से अधिक संपत्ति के आरोप में जेल गईं तो पलानीसामी और पन्नीरसेल्वम में राजनीतिक समझौता हो गया और एक मुख्यमंत्री व दूसरे उपमुख्यमंत्री बन गए। इन दोनों ने सरकार में अधिकारों के साथ पार्टी पर भी अपने अधिकारों का बंटवारा कर लिया। साथ ही शशिकला के कुनबे को भी पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने फरवरी 2017 में आय से अधिक संपत्ति में चार के जेल की सजा सुनाई थी। तब से वे अपनी रिश्तेदार इलावरसी एवं सुधाकरण के साथ जेल में है और अब जब उनके जेल से आने की खबर आई है तो समझा जाता है कि मुख्यमंत्री व उपमुख्यमंत्री से नाराज मंत्री व विधायक उनकी ओर आ सकते हैं। लेकिन, सवाल यह उठता है कि इतने लंबे समय बाद क्या वे पार्टी पर फिर से कब्जा जमा पाएंगी। मालूम हो कि उन्हें पार्टी से बर्खास्त भी कर दिया गया है।