किसान आंदोलन का खट्टर सरकार की छवि पर पड़ रहा असर, हरियाणा में भी हो सकते हैं मंत्रियों के फेरबदल
जानकारों का कहना है कि किसान आंदोलन के बाद सीएम मनोहर लाल एक बार बैकफुट पर आते नजर आए थे, लेकिन अब वह फिर दोबारा फ्रंट फुट पर आने की कोशिश कर रहे हैं...
जनज्वार ब्यूरो/चंडीगढ़। जिस तरह से केंद्रीय मंडल में बदलाव किए गए हैं। कुछ मंत्री हटाए गए हैं, कुछ नए बनाए गए हैं। इस तर्ज पर अब हरियाणा में भी बदलाव की तैयारी हो रही है। सीएम मनोहर लाल मानते हैं कि कई मंत्री सही काम नहीं कर रहे हैं। इसका असर सरकार की छवि पर पड़ रहा है। खासतौर पर किसान आंदोलन के बाद सरकार जिस तरह से सवालों के घेरे में हैं। लगातार सरकार की पकड़ आम मतदाता पर ढीली होती जा रही है। अब सीएम की कोशिश है कि इस पकड़ को मजबूत किया जाए।
सीएम ने प्रस्ताव दिया है कि कृषि मंत्री जेपी दलाल, बिजली मंत्री रणजीत सिंह, राज्य मंत्री ओपी यादव, कमलेश ढांडा व संदीप सिंह की छुट्टी कर दी जाए। डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला और गृह मंत्री अनिल विज के पास विभाग ज्यादा है। जिसमें से कुछ विभाग कम किए जाए।
इन मामलों को लेकर बीजेपी की राष्ट्रीय महामंत्री डी पुरंदेश्वरी की अध्यक्षता में होगी कल बैठक। बैठक में सीएम मनोहर लाल, प्रभारी विनोद तावड़े, हरियाणा बीजेपी अध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़, केंद्रीय राज्य मंत्री राव इंद्रजीत सिंह, केंद्रीय राज्यमंत्री कृष्णपाल गुर्जर समेत कोर ग्रुप के सभी सदस्य रहेंगे। मंत्री मंडल विस्तार पर चर्चा व फैसला किया जाने की संभावना है।
जानकारों का कहना है कि किसान आंदोलन के बाद सीएम मनोहर लाल एक बार बैकफुट पर आते नजर आए थे, लेकिन अब वह फिर दोबारा फ्रंट फुट पर आने की कोशिश कर रहे हैं। लंबे समय से प्रदेश में यह बात उठ रही है कि सीएम मनोहर लाल का सिस्टम पर कंट्रोल नहीं है।
गृह मंत्री अनिल विज कई मौकों पर सीएम की कार्यप्रणाली पर सवाल उठा चुके हैं। एक बार तो राजनीतिक हलकों में इस बात की चर्चा भी शुरू हो गई थी कि सीएम पद से मनोहर लाल को हटाया जा सकता है। लेकिन बाद में वह किसी तरह से हालात को साधने में कामयाब हो गए थे।
हरियाणा के वरिष्ठ पत्रकार जगदीश शर्मा ने बताया कि इस वक्त मनोहर सरकार हर मोर्चे पर विफल है। ऐसा लगता है कि प्रदेश में सिस्टम है ही नहीं। ब्यूरोक्रेसी ही सब कुछ तय कर रही है। सीएमओ में सारी शक्तियों को केंद्रित कर लिया है। सीएमओ के कुछ लोग सिस्टम को चलाने की कोशिश कर रहे हैं। इसका परिणाम यह निकल रहा है कि प्रदेश में कोई काम नहीं हो रहा है। ऐसा लग रहा है कि सीएमओ, सरकार और ब्यूरोक्रेसी अलग अलग काम कर रहे हैं।
इसका असर यह निकल रहा है कि लोग सरकार से नाराज है। दिक्कत यह है कि सरकार इस तथ्य को समझने की कोशिश नहीं कर रही है। मंत्रिमंडल में फेरबदल कर सरकार यह दिखाने की कोशिश कर रही है कि वह बहुत चुस्त दुरूस्त तरीके से काम करेंगे। लेकिन ऐसा होगा,इसमें संशय है।
हरियाणा की राजनीति की अच्छी समझ रखने वाले दयाल सिंह कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल रामजी लाल कहते हैं कि मनोहर लाल सरकार तमाम दिक्कतों के बाद ठीक चल रही थी। लेकिन अब क्योंकि पूर्व सीएम ओम प्रकाश चौटाला अपनी सजा पूरी करने के बाद जेल से बाहर आ गए हैं। अभी तक कांग्रेस प्रदेश में विपक्ष की नाममात्र की भूमिका निभा रही थी। लेकिन ओम प्रकाश चौटाला के बाहर आते ही यह दृश्य बदल गया है।
भले ही इनेलो का एक भी विधायक न हो, लेकिन प्रदेश में इस पार्टी की पकड़ ठीक है। किसान आंदोलन होने की वजह से इनेलो का ग्राफ बढ़ रहा है। रही सही कसर ओमप्रकाश चौटाला की रिहाई पूरी कर रहा है। अब लोग खासतौर पर किसान तेजी से इनेलो के साथ जुड़ रहे हैं।
इसका तोड़ भाजपा के पास नहीं है। क्योंकि जब से बीजेपी सरकार सत्ता में आई तभी से चौटाला जेल में थे, इसलिए विपक्ष, कमजोर और असरहीन ही नजर आ रहा था। यह पहला मौका है, जब विपक्ष के तौर पर इनेलो सक्रिय हो गई है।
सरकार में इतनी कुव्वत नहीं है कि अब मुखर होती इनेलो को रोक लिया जाए।सीएम के रणनीतिकारों की सोच है कि अब ऐसे विधायकों को मंत्री बनाया जाए, जिससे इनेलो का मुकाबला आसानी से किया जाए। इसलिए मंत्रीमंत्रल विस्तार और फेरबदल की कोशिश हो रही है।
प्रिंसिपल रामजी लाल ने बताया कि भाजपा के रणनीतिकार समझ गए कि अब सरकार में सहयोग दे रहे दल जननायक जनता दल पर ज्यादा निर्भर रहने की जरूरत नहीं है। इसलिए उपमुख्यमंत्री के विभागों में कटौती करने की कोशिश हो रही है। इस वक्त प्रदेश में भाजपा से भी ज्यादा जननायक जनता दल का विरोध है। सरकार के रणनीतिकार यह मान कर चल रहे हैं कि अब जेजेपी समर्थन देने के बदले में ज्यादा दबाव नहीं बना सकती।
जहां तक बिजली मंत्री रणजीत को हटाने की बात है, वह इसलिए हो रहा है क्योंकि रणजीत सिंह आजाद विधायक है। प्रदेश में सात आजाद विधायक है। पांच विधायक भाजपा के साथ है। रणजीत सिंह को यदि मंत्री पद से हटा दिया जाता है तो इससे सरकार को ज्यादा फर्क नहीं पड़ने वाला। इसकी जगह भाजपा किसी दूसरे को मंत्री बना कर सरकार और पार्टी के लिए फायदे का सौदा कर सकती है।
जहां तक गृह मंत्री अनिल विज की बात है, उनके गृह मंत्रालय विभाग को वापस लिया जा सकता है। क्योंकि इस पद पर रहते हुए वह लगातार सीएम के लिए परेशानी पैदा कर रहे हैं। डीजीपी विवाद हो या फिर सीआईडी विवाद, सभी में उन्होंने सरकार को जम कर घेरा है। इससे सरकार के रणनीतिकार खासे आहत है। उनकी कोशिश है कि अनिल विज को चुप कराने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि गृह विभाग उनसे ले लिया जाए।
बाकी जिन मंत्रियों को हटाने की बात चल रही है, उन्होंने ऐसा कोई उल्लेखनीय काम नहीं किया जिससे उन्हें इस पद पर रखा जाए। वरिष्ठ पत्रकार जगदीश शर्मा का मानना है कि जब से केंद्र में मंत्रियों को बदलाव हुआ हैं, तब से यह माना जाने लगा था कि देर सवेर इसी तरह की एक्सरसाइज हरियाणा में भी होगी। क्योंकि मनोहर लाल कुछ करे या न करें, लेकिन जो केंद्र में होता है, इसी तरह की एक्सरसाइज अपने राज्य में जरूर करते हैं।
बहरहाल अब यह देखना दिलचस्प है कि किन मंत्रियों का पत्ता कटेगा और किसे क्या पद मिल सकता है। क्योंकि जिन मंत्रियों को हटाया जाने की चर्चा है, वह दिल्ली पहुंच अपनी अपनी गोटिया फिट करने में जुट गए हैं।