बेरोजगारों के लिए देहरादून की ठंडी सड़कों पर नंगे पैर उतरे पूर्व सीएम हरीश रावत, राजीव गांधी से लेकर नेहरू को किया याद
हरीश रावत बोले उत्तराखंड में पिछले छह साल से लोक सेवा आयोग की भर्तियां रुकी पड़ी हैं, वही स्थिति अन्य स्थानों पर भी है, जिन लोगों ने डिप्लोमा किया है, चाहे सिविल में किया हो और दूसरे डिप्लोमा किये हों, वह खाली घूम रहे हैं। धरना दे रहे हैं, प्रदर्शन कर रहे हैं, राज्य के अंदर अजीब सी स्थिति है। ऐसे में उनकी मजबूरी है कि वह इन शब्दों का प्रयोग कर रहे हैं...
Harish Rawat : उत्तराखंड में सुरसा के मुंह की तरह बढ़ती बेरोजगारी और भर्ती परीक्षाओं में हो रहे घपले घोटालों के चलते युवाओं के ध्वस्त हो रहे सपनों की चिंता में उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस नेता हरीश रावत ने मंगलवार को अनोखा प्रदर्शन किया। इस दौरान रावत ने नंगे पांव चलकर मार्च करते हुए रोजगार के सवाल पर प्रदेश सरकार पर जमकर हमला बोला।
हरीश रावत की यह पदयात्रा देहरादून में डिस्पेंसरी रोड पर पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित कर उनको नमन करने के बाद उस समय आरंभ हुई, जब प्रदेश नेतृत्व ने इस दिन महंगाई के खिलाफ पूरे प्रदेश में कार्यक्रम आयोजित करने की कॉल दी थी। ठंड के लिहाज से उम्र के इस पड़ाव पर खड़े हरीश रावत की इस यात्रा का समापन राजपुर रोड स्थित गांधी पार्क पर भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू की प्रतिमा के समक्ष पहुंचकर हुआ। साथ ही प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की गई।
इस अवसर पर हरीश रावत ने कहा कि देश में निरंतर बेरोजगारी की दर बढ़ते हुए यह 8.50 प्रतिशत के करीब पहुंच चुकी है। उत्तराखंड में भी लगातार सर्वाधिक बढ़ती बेरोजगारी भी यहां के युवाओं के लिए खतरे की घंटी है। राज्य के युवाओं का दुर्भाग्य है कि एक तरफ वह बेरोजगारी का दंश झेल रहे हैं तो दूसरी तरफ यहां नौकरियों में भर्तियों के नाम पर ठगे जाने को भी अभिशप्त हो रहे हैं। रावत ने अपने शब्दों को बहुत कठोर बताते हुए कहा कि उन्हें ऐसे शब्द प्रयोग करने पड़ रहे हैं, लेकिन कभी अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के झमेले में, कभी विधानसभा के तो कभी लोक सेवा आयोग के झमेले में नई नौकरियां फंस कर रह गई है।
उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में पिछले छह साल से लोक सेवा आयोग की भर्तियां रुकी पड़ी हैं। वही स्थिति अन्य स्थानों पर भी है। जिन लोगों ने डिप्लोमा किया है, चाहे सिविल में किया हो और दूसरे डिप्लोमा किये हों, वह खाली घूम रहे हैं। धरना दे रहे हैं, प्रदर्शन कर रहे हैं। राज्य के अंदर अजीब सी स्थिति है। ऐसे में उनकी मजबूरी है कि वह इन शब्दों का प्रयोग कर रहे हैं।
पार्टी लाइन से हटकर "एकला चलो" वाले इस कार्यक्रम के बारे में इससे पहले कि उनसे कोई सवाल होता, उन्होंने खुद ही इसका जवाब देते हुए कहा कि कांग्रेस से वह क्षमा चाहते हैं। सब लोगों से इस कार्यक्रम की अनुमति नहीं ले पाया हूं। भावना के प्रभाव में मैंने यह निर्णय लिया है, मैं इस पर कायम रहूंगा। अपने राज्य के उन बेरोजगार नौजवानों, शिक्षित बेरोजगारों अधर में त्रिशंकु की भांति लटके हुए उन लड़के-लड़कियों जिनकी दिल की धड़कन हर दिन बढ़ती जा रही है, जिनकी चिंताएं बढ़ती जा रही हैं। जिनके चेहरे और होंठ सूखते जा रहे हैं, उनके लिए मैंने स्व. राजीव गांधी जी की मूर्ति से गांधी पार्क में पंडित जवाहरलाल नेहरु जी की मूर्ति तक नंगे पांव पदयात्रा की है।
अपनी इस पदयात्रा के दौरान उन्होंने साधु भाव "मेरे हाथ में कुछ नहीं है, न सत्ता है, न कुछ और, न शक्ति है। जो कुछ मुझे इस राज्य ने दिया है, उसके बल पर एक नैतिक दबाव राज्य सरकार पर पैदा करने के लिए ये नंगे पांव पदयात्रा कर रहे हैं।" का उद्घोष करते हुए कहा कि हालांकि उनकी यह पदयात्रा एकांगी थी। लेकिन फिर भी कई बेरोज़गार संगठनों से युवा सहित कांग्रेस कार्यकर्ता शामिल हुए। उन्होंने और लोगों से नंगे पांव न चलने की भी अपील की थी। इसमें कोई राजनीति भी नहीं है। यह एक भूतपूर्व मुख्यमंत्री के नाते मैं समझता हूं, मैं भी इन बच्चों का अभिभावक हूं जो मेरा भूतपूर्व मुख्यमंत्री के नाते कर्तव्य है। वह मुझे बाध्य कर रहा है। इस पदयात्रा को पार्टीगत न समझा जाए। इसलिए मैंने अपने प्रदेश अध्यक्ष जी की ओर पार्टी के नेतागणों को भी सूचित नहीं किया।