पूर्व IPS ने बताया अडानी शेयर घोटाले की JPC जांच क्यों है जरूरी, मोदी पर लगाया अडानी की लूट में भरपूर मदद करने का आरोप
Adani Share SCAM : पूर्व आईपीएस और आल इंडिया पीपुल्स फ्रंट के अध्यक्ष एसआर दारापुरी का कहना है कि अडानी शेयर घोटाले की संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी जांच की मांग हम इसलिए भी उठा रहे हैं, क्योंकि देश में पूंजी को नियंत्रित करनी वाली सेबी जैसी संस्थाओं ने सुप्रीम कोर्ट में गलत बयानी करके अडानी को बचाने का काम किया है, जबकि विदेशी अखबारों में संगठित अपराध और भ्रष्टाचार रिपोर्टिंग प्रोजेक्ट (OCCRP) की हाल ही में छपी रिपोर्ट ने यह साफ कर दिया है कि मोदी सरकार ने अदानी के खिलाफ हो रही सेबी की जांच को रूकवाने का काम किया है। ऐसे में संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) ही एक बची हुई संस्था है, जिससे इस शेयर घोटाले की जांच कराने पर कुछ सच्चाई सामने आ सकती है।
दारापुूरी कहते हैं आप अडानी के पूरे शेयर घोटाले को ऐसे समझिए कि पर्दाफाश होने के पहले अडानी की कंपनियों के शेयरों का बड़े पैमाने पर दाम बढ़ रहा था और ऊंचे दाम पर भी लोग इन शेयरों को खरीद रहे थे। अपने शेयरों का दाम बढ़ाने के लिए अदानी परिवार विदेश की फर्जी कंपनियों के नाम से अपने शेयर खुद खरीद लेता था। जब इसका पर्दाफाश हुआ तो अडानी के शेयर धड़ाम से गिर गए। जो आम शेयरधारक थे उनकी गाढ़ी कमाई जिसे उन्होंने निवेश किया था वह खत्म हो गई और आम आदमी की जिंदगी इस घपलेबाजी ने बर्बाद कर दी।
यही नहीं बढ़े हुए शेयरों की साख पर बैंक, एलआईसी जैसी वित्तीय संस्थानों में जनता की गाढ़ी कमाई का जमा पैसा धड़ल्ले से कर्ज के रूप में अडानी ने उठा लिया। इन जैसे पूंजीपतियों को सस्ते दर पर और आसानी से कर्ज भी मिल जाता है, जबकि आम लोग बैंक के चारों तरफ घूमते रहते हैं तब भी उन्हें कर्ज नहीं मिलता।
बैंक से सस्ते दर पर अगर कर्ज सोनभद्र से लेकर बुंदेलखंड और गाजियाबाद तक प्रदेश के नौजवानों को मिलता तो वह अपना कारोबार कर सकते थे और रोजगार का सृजन भी होता। बहरहाल जनता के इसी पैसे को लूटकर अडानी ने सार्वजनिक क्षेत्र के उद्योग जैसे रेलवे, पोर्ट, एयरपोर्ट, खदानों को मिट्टी के मोल खरीद लिया। मोदी सरकार ने अडानी की इस लूट में भरपूर मदद की। इसी लूट से जो अडानी 2014 में महज 50 हजार करोड़ की पूंजी का मालिक था, वह 2021 में 12 लाख करोड़ की पूंजी का मालिक बन दुनिया के तीसरे नंबर का पूंजीपति हो गया। लेकिन जैसे ही इस घोटाले का पर्दाफाश हुआ वह 20वें नंबर से भी बाहर हो गया।
दारापुरी आगे कहते हैं, यह दुर्भाग्य ही है कि देश के सभी पूंजीवादी राजनीतिक दल कॉरपोरेट विकास के मॉडल पर ही चल रहे हैं। यहां तक कि कांग्रेस शासित राज्यों में भी अडानी को पूंजी निवेश करने के लिए आमंत्रित किया जा रहा है। ऑल इंडिया पीपुल्स फ्रंट देशी-विदेशी कारपोरेट परस्त यानी बड़े पूंजीपतियों को मुनाफा देने वाली इन नीतियों का शुरू से ही विरोध करता रहा है, क्योंकि इन नीतियों से देश की आर्थिक संप्रभुता कमजोर होती है। एक संप्रभु राष्ट्र के लिए पूंजी पर उसका नियत्रंण जरूरी है, लेकिन इस देश में पूंजी को बेलगाम लूट की छूट दे दी गई है। वह प्राकृतिक व सार्वजनिक संपदा की बेइंतहा लूट कर रही है और खेती किसानी से लेकर हमारे कुटीर, लघु, मध्यम उद्योगों को बर्बाद कर रही है।
दारापुरी आगे कहते हैं, आईपीएफ ने बार-बार यह कहा है कि खेती किसानी और लघु व कुटीर उद्योगों के विकास से ही रोजगार सृजन होगा और देश के विकास का रास्ता खुलेगा। इसलिए आइपीएफ अपने सभी मित्र संगठनों, व्यक्तियों और देशभक्त नागरिकों से अपील करता है कि इस प्रस्ताव के साथ सलंग्न पत्र पर 16 सितंबर से पहले हस्ताक्षर करके राष्ट्रपति भारत गणराज्य को भेजें और अडानी समूह के शेयर घोटाले की संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से जांच कराने और देशी विदेशी कारपोरेट घरानों को मुनाफा देने वाली नीतियों पर रोक लगाने की मांग पुरजोर तरीके से उठाएं।