मुख्तार अंसारी के वकील का सुप्रीम कोर्ट से आग्रह, वापस UP मत भेजिये नहीं तो हो जायेगा एनकाउंटर

मुख्तार ने योगीराज में अपनी जान को खतरा बताते हुए गुहार लगायी है कि उसे UP न भेजा जाए, अगर वापस यूपी भेजा जायेगा कि उसका भी एनकाउंटर कर दिया जायेगा...

Update: 2021-03-04 13:38 GMT

मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास अंसारी को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी अंतरिम राहत, आर्म्स एक्ट में गिरफ्तारी पर रोक

जनज्वार, लखनऊ। योगीराज में यूपी पुलिस का शिकंजा बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी (Mukhtar Ansari) और उसके करीबियों पर लगातार कसता जा रहा है। बीवी और बेटों पर बड़ी कार्रवाई के बाद मुख्तार अंसारी के करीबियों पर भी बड़ी गाज गिर चुकी है। जेल में बंद मुख्तार अंसारी केस में आज 4 मार्च को सुनवाई हुई थी, जिसमें कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। हालांकि इस दौरान बाहुबली विधायक के वकील ने आशंका जतायी है कि उसका केस कहीं और ट्रांसफर कर दिया जाये, नहीं हो यूपी पुलिस एनकाउंटर कर देगी।

गौरतलब है कि बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी को पंजाब से यूपी वापस भेजने के मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने आज 4 मार्च को सुनवायी की गयी थी। उत्तर प्रदेश सरकार ने शिकायत की है कि 2 साल पहले एक पेशी के लिए पंजाब ले जाए गए मुख्तार अंसारी को पंजाब सरकार वापस नहीं भेज रही, जिस कारण राज्य में उसके खिलाफ लंबित संगीन अपराध के मुकदमे प्रभावित हो रहे हैं। वहीं मुख्तार ने योगीराज में अपनी जान को खतरा बताते हुए गुहार लगायी है कि उसे UP न भेजा जाए, अगर वापस यूपी भेजा जायेगा कि उसका भी एनकाउंटर कर दिया जायेगा।

गौरतलब है कि जस्टिस अशोक भूषण और आर सुभाष रेड्डी की बेंच के सामने आज 4 मार्च को सबसे पहले पंजाब के वकील दुष्यंत दवे ने इस मामले में कहा कि यूपी सरकार के इस आरोप को निराधार बताया कि बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी को गलत मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर यूपी वापस नहीं भेजा जा रहा। दुष्यंत दवे ने कोर्ट के सामने अपनी सफाई पेश करते हुए कहा कि पंजाब सरकार को किसी अपराधी से कोई सहानुभूति नहीं है, बल्कि मुख्तार अंसारी पंजाब में कोर्ट के आर्डर से ​है। दवे ने आगे कहा कि यह उत्तर प्रदेश सरकार की गलती ही मानी जायेगी कि मुख्तार वहां की जेल में बंद होने के दौरान फोन का इस्तेमाल कर लोगों को धमका रहा था, जिस कारण उस पर पंजाब में एफआईआर दर्ज हुई और वह वहां की जेल में है।

पंजाब सरकार के वकील दवे ने योगी सरकार की मुख्तार अंसारी को यूपी वापस भेजने की मांग को संवैधानिक प्रावधानों के खिलाफ बताते हुए इसे खारिज करने की भी मांग करते हुए कहा कि मुख्तार अंसारी के खिलाफ उत्तर प्रदेश में दर्ज सभी मुकदमे 15-20 साल पुराने हैं। आखिर इतने समय तक उन्हें क्यों नहीं निपटाया गया? योगी सरकार भी पिछले कई सालों से सत्ता में है, पूर्व सरकारों पर दोष न मढ़ते हुए आखिर उसने खुद भी मुख्तार मामले में मुस्तैदी क्यों नहीं दिखायी। योगी सरकार को पंजाब सरकार पर दोष देने का काम एकदम बंद कर देना चाहिए।

मुख्तार अंसारी की तरफ से पेश वकील मुकुल रोहतगी ने बाहुबली विधायक का पक्ष रखते हुए कहा कि, यूपी अनुच्छेद 32 के तहत सुप्रीम कोर्ट में याचिका कर ही नहीं सकता। मौलिक अधिकार नागरिक का होता है, राज्य का नहीं। योगी सरकार पंजाब में चल रहे मुकदमे को अपने पास ट्रांसफर करने की मांग भी नहीं कर सकती। उसे इसका कोई हक नहीं है।

मुकुल रोहतगी ने आशंका जतायी कि अगर मुख्तार अंसारी को वापस यूपी भेजा गया तो उनकी हत्या हो सकती है। मुकुल रोहतगी ने कहा, "मुख्तार पर पहले हमला हो चुका है। कृष्णानंद राय हत्या केस में वह बरी हुआ, लेकिन उसी केस में सहआरोपी मुन्ना बजरंगी की हत्या हो गई। यूपी सरकार मुख्तार के प्रति दुर्भावना रखती है। वहां उसके मकान को गिराया गया, बेटे को फ़र्ज़ी एफआईआर में गिरफ्तार किया गया।'

सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई के अंत में यूपी सरकार की तरफ से पेश वकील सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने रोहतगी और दवे की दलीलों का जवाब देते हुए कहा, "यह सही है कि सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करना राज्य का मौलिक अधिकार नहीं होता, लेकिन राज्य आम नागरिकों की तरफ से आपराधिक मुकदमा लड़ता है। नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा होनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट न्याय के हित में आदेश दे सकता है, पहले भी कई मामलों में आरोपियों को एक राज्य से दूसरे राज्य की जेल में ट्रांसफर किया गया है। मैनुएल का हवाला देकर आरोपी न्याय में किसी तरह की बाधा नहीं डाल सकता है। '

योगी सरकार के वकील तुषार मेहता ने कोर्ट में दी गयी जानकारी में कहा, "बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी पर 50 FIR दर्ज हैं और इनमें से 14 केसों की सुनवाई अंतिम पड़ाव पर चल रही है। वीडियो कांफ्रेंसिंग से सभी मुकदमों की सुनवाई बिल्कुल भी पॉसि​बल नहीं है। अगर ऐसे ही वीडियो कांफ्रेंसिंग से सभी मुकदमों की सुनवाई होने लगे तो विजय माल्या का मुकदमा भी ऐसे ही कर लिया जाना चाहिए।"

तुषार मेहता ने सफाई देते हुए कहा कि मुन्ना बजरंगी वाला मामला 2018 का है। मुख्तार अंसारी की तरफ से पुरानी बातों को आधार बनाकर वापस उत्तर प्रदेश न लौटने की दलील नहीं दी जा सकती।

गौरतलब है कि आज 4 मार्च की सुबह ही यूपी पुलिस ने 50 हजार के ईनामी दो बदमाशों का एनकाउंटर किया है, जो मुख्तार अंसारी गैंग के बताये जा रहे हैं। माना जा रहा है कि इससे भी मुख्तार अंसारी की मुश्किलें बढ़ेंगी।

सीओ एसटीएफ नवेन्दु सिंह ने मीडिया के साथ साझाा की गयी जानकारी में बताया, मुख्तार अंसारी और मुन्ना बजरंगी गैंग के लिए काम करने वाले दो सुपारी किलर के बारे में सूचना मिली थी। पता चला था कि मुन्ना बजरंगी की मौत के बाद भदोही का 50 हजार इनामी वकील पांडेय और अमजद उर्फ पिंटू चाका के पूर्व ब्लाक प्रमुख दिलीप मिश्रा के लिए काम करने लगे हैं। इसी सूचना पर आज गुरुवार 4 मार्च की सुबह एसटीएफ की टीम नैनी सोमेश्वर नाथ मंदिर तिराहा के पास चेकिंग कर रही थी। इस दौरान बाइक सवार दो बदमाश उधर से गुजरे। एसटीएफ को देखकर बदमाशों ने फायरिंग शुरू कर दी। घेराबंदी करके एसटीएफ ने भी गोली चलाई, जहां पर दोनों बदमाश घायल हो गए। उन्हें स्वरूपरानी अस्पताल ले जाया गया, लेकिन डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया।'

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