सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में PM CARES FUND की धनराशि NDRF में ट्रांसफर करने का किया विरोध
हलफनामे में केंद्र ने कहा है कि ऐसे अनेक फंड हैं जिनका राहत कार्यों के लिए पहले या अभी गठन किया गया है, पीएम केयर्स ऐसा ही एक स्वैच्छिक योगदान वाला कोष है...
नई दिल्ली। केंद्र की मोदी सरकार ने पीएम केअर्स फंड में मिली राशि को एनडीआरएफ में स्थानांतरित करने के अनुरोध का सुप्रीम कोर्ट में विरोध किया। गुरुवार 9 जुलाई को सरकार ने पीएम केअर्स फंड के गठन को सही ठहराते हुए कहा कि आपदा प्रबंधन कानून के तहत एक कानूनी कोष या एनडीआरएफ के होने मात्र से स्वैच्छिक दान के लिए अग कोष के सृन पर रोक नहीं है।
जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस एमआर शाह की पीठ ने इस संबंध में केंद्र के हलफनामे को रिकॉर्ड पर लेते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि गैर-सरकारी संगठन सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटीगेशंस (सीपीआईएल) की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी को इसकी प्रति उपलब्ध कराई जाए।
पीठ ने इस मामले की सुनवाई वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए की। पीठ ने इसे प्रवासी श्रमिकों की स्थिति को लेकर कोर्ट द्वारा स्वत: संज्ञान में लिए गए मामले के साथ संलग्न करने का आदेश दिया।
याचिकाकर्ता सीपीआईएल ने कोविड-19 महामारी के खिलाफ जंग में मदद के लिए एनडीआरएफ में प्राप्त राशि का इस्तेमाल करने और पीएम केयर्स फंड के बजाय एनडीआरएफ में सारा अनुदान करने के लिए केंद्र को निर्देश देने का अनुरोध किया है।
हलफनामे में केंद्र ने कहा है कि ऐसे अनेक फंड हैं जिनका राहत कार्यों के लिए पहले या अभी गठन किया गया है। पीएम केयर्स ऐसा ही एक स्वैच्छिक योगदान वाला कोष है।
हलफनामे में केंद्र ने कहा है कि आपदा प्रबंधन कानून की धारा 46 के तहत प्रदत्त कोष पहले से ही है, जिसका नाम नेशनल डिजास्टर रिस्पॉन्स फंड है। एक कानूनी कोष होने मात्र से स्वैच्छिक दान के लिए पीएम केयर्स फंड जैसे अलग कोष का सृजन करने पर कोई प्रतिबंध नहीं हैं।
हलफनामे में यह भी कहा गया है कि एनडीआरएफ केंद्र सरकार द्वारा बजट में किये गए प्रावधान का हिस्सा है। इसी तरह राज्य सरकारें और केंद्र बगैर किसी निजी योगदान के स्टेट डिजास्टर रिस्पॉन्स फंड के लिए भी आवंटन करते हैं।
केंद्र ने कोविड-19 महामारी जैसे आपात हालात से निपटने और प्रभावित लोगों को राहत प्रदान करने के लिए 28 मार्च को पीएम केयर्स फंड की स्थापना की थी। प्रधानमंत्री इस कोष के पदेन अध्यक्ष हैं जबकि रक्षा, गृह और वित्त मंत्री इसके पदेन ट्रस्टी हैं।
हलफनामे में यह भी कहा गया है कि चंद लोगों द्वारा इसकी आलोचना के आधार पर इस कोष को केंद्र सरकार, सभी राज्य सरकारों, स्थानीय निकायों, स्थानीय स्वशासी संस्थाओं, और नागरिकों आदि से मिले अप्रत्याशित राष्ट्रव्यापी सहयोग को कमतर करके नहीं आंका जा सकता है।