10 बार विधायक रहे कांग्रेस के वरिष्ठ आदिवासी MLA मोहन सिंह राठवा के बाद भगाभाई बारड ने थामा BJP का हाथ, पार्टी में उठापटक का दौर जारी
गुजरात विधानसभा में कांग्रेस के सबसे सीनियर नेता छोटा उदयपुर से विधायक मोहन सिंह राठवा ने कल 8 नवंबर को हाथ का दामन छोड़ बीजेपी ज्वाइन कर ली थी, अब आज 9 नवंबर को कांग्रेस के एक विधायक ने बीजेपी का दामन थाम लिया...
Gujrat Election 2022 : गुजरात में विधानसभा चुनाव की तारीखें घोषित होने के बाद राजनीतिक उठापटक होना एकदम स्वाभाविक है। प्रमुख राजनीतिक पार्टियों में टिकट पाने के लिए कई टूटें और दूसरे पक्षों के साथ गलबहियां करने की खबरें आने लगी हैं। वैसे तो गुजरात में 2017 विधानसभा चुनावों में भाजपा को 99 सीटें मिली थीं यानी कि स्पष्ट बहुमत था बावजूद इसके उन्होंने कांग्रेस के कई विधायकों को अपने खेमे में लाने के लिए कांग्रेस में इस्तीफे दिलवाकर उपचुनाव करवाए थे और ज्यादातर सीट भाजपा जीतने में सफल रही थी।
गुजरात विधानसभा में कांग्रेस के सबसे सीनियर नेता छोटा उदयपुर से विधायक मोहन सिंह राठवा ने कल 8 नवंबर को हाथ का दामन छोड़ बीजेपी ज्वाइन कर ली थी। अब आज 9 नवंबर को कांग्रेस के एक विधायक ने बीजेपी का दामन थाम लिया। भगाभाई बारड गिर सोमनाथ जिले की तलाला विधानसभा सीट से कांग्रेस के विधायक हैं। सौराष्ट्र आहिर समुदस्य के प्रुख नेता और पूर्व सांसद स्वर्गीय जसाभाई बारड के भाई भगाभाई बारड का परिवार लंबे समय से कांग्रेस से जुड़ा हुआ है। स्वर्गीय जसाभाई बारड और भगवानभाई बारड के पिता धानाभाई मांडाभाई बारड भी कांग्रेस के नेता थे।
वहीं पिछले 50 साल से विधायक रहे मोहन सिंह राठवा जोकि कैबिनेट मंत्री भी रहे हैं और 11 बार विधायक चुने गए हैं, उनका कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल होना चौंकाने वाला है।आदिवासियों के बीच उनका प्रभुत्व ज्यादा बताया जा रहा है और अतीत में वह गुजरात विधानसभा में नेता विपक्ष भी रह चुके हैं। माना जा रहा है कि भाजपा ने आदिवासी वोट बैंक हथियाने के लिए मोहन सिंह राठवा को भाजपा में शामिल किया है। मोहन सिंह राठवा की आदिवासियों के बीच काफी अच्छी पैठ मानी जाती है, ऐसे में माना जा रहा है कि उनके भाजपा में शामिल होने से आदिवासी वोटबैंक कांग्रेस से छिन जायेगा।
गुजरात में कांग्रेस के लिए राजनीतिक लिहाज से देखें तो चुनावों से ठीक पहले पार्टी के लिए यह बड़ा झटका है। दूसरी तरफ कांग्रेस के पुराने साथी राजकोट के पूर्व विधायक इंद्रनील राजगुरु जोकि कुछ महीनों पहले आम आदमी पार्टी में जुड़े थे, वह भी घरवापसी करके कांग्रेस में वापस आ गए हैं। आम आदमी पार्टी में ईशुदान गढवी का नाम मुख्यमंत्री के तौर पर घोषित होने के बाद इंद्रनील राज्यगुरु ने इस्तीफा दे दिया था। कयास यह भी लगाया जा रहा था कि मुख्यमंत्री का उम्मीदवार बनने की लालसा के चलते वे आम आदमी पार्टी से जुड़े थे। भुज नगर पालिका में नेता विपक्ष राजेंद्र सिंह जडेजा ने भी कांग्रेस के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने तमाम आरोपों-प्रत्यारोपों के साथ पार्टी छोड़ी और कहा कि पार्टी में पुराने कार्यकर्ताओं की उपेक्षा हो रही है।
कच्छ जिल्ला पंचायत के पूर्व विपक्षी नेता देवेंद्र सिंह जेठवा जो कि कुछ समय पहले ही भाजपा में शामिल हुए थे, उनकी भी कांग्रेस में घर वापसी हुई तो दूसरी तरफ गांधीधाम से कई कांग्रेस के पदाधिकारियों ने सामूहिक इस्तीफा देकर अपनी नाराजगी जतायी। हालांकि कांग्रेस ने अभी तक पूरे उम्मीदवारों की सूची घोषित नहीं की है, मगर नामों की घोषणा के बाद पार्टी में जिस तरह से उठापटक हो रही है, उससे स्पष्ट है कि कार्यकर्ताओं में भारी असंतोष व्याप्त है।
पिछले चुनाव की बात करें तो 2017 में बीजेपी बहुमत से थोड़ी सी ज्यादा सीट ले पाई थी और क्रमशः बीजेपी की सीटें कम हुई हैं। दूसरी तरफ कांग्रेस की सीटों में क्रमशः उछाल देखा गया है। इसका मतलब यह है कि बीजेपी की लोकप्रियता में गुजरात में कटौती हो रही थी और कांग्रेस की लोकप्रियता में बढ़ोतरी हो रही थी, लेकिन 2022 के चुनाव में आम आदमी पार्टी का आगमन होने से दोनों ही राजनीतिक पार्टियों में डर बैठ गया है कि उसकी एंट्री से दोनों का वोट बैंक प्रभावित होगा।
आम आदमी पार्टी को पसंद करने वाले वोटर पहले भाजपा=कांग्रेस में से किसके वोटर थे, यह तो चुनाव का परिणाम निर्धारित करेगा, लेकिन बीजेपी ने 2017 के चुनाव के बाद से ही कांग्रेस के विधायकों को तोड़ना चालू कर दिया था। कई सीटों पर कांग्रेस के विधायकों ने इस्तीफा देकर उपचुनाव करवाए थे, जिसके चलते बीजेपी की स्थिति विधानसभा की गिनती में मजबूत हुई थी।
गुजरात विधानसभा की बात करें या गोवा की, दोनों ही जगह बीजेपी के पास स्पष्ट बहुमत होने के बावजूद कांग्रेस के विधायकों को पार्टी छुड़वाकर बीजेपी में शामिल करवाया गया था, जिससे कि यह प्रतिस्थापित किया जा सके कि देश में कांग्रेस का अस्तित्व खत्म हो चुका है। इसका यह भी मतलब निकाला जा रहा है कि बीजेपी की लोकप्रियता कम होने पर बीजेपी कांग्रेस को खत्म करके चुनाव जीतने की तैयारी में लगी हुई है, पर आम आदमी पार्टी ने गुजरात मे आकर सारा रायता फैला दिया है। निश्चित तौर पर आप की एंट्री से भाजपा कांग्रेस दोनों का वोटबैंक प्रभावित होगा।