मोदी बनाते थे दबाव कि हंगामे में पास करा दीजिए बिल, RS चैनल हमारे पक्ष में नहीं : हामिद अंसारी का दावा
हामिद अंसारी ने अपनी किताब 'बाय मैनी ए हैप्पी एक्सीडेंट : रीकलेक्शंस ऑफ ए लाइफ' में यह भी लिखा है मोदी ने उनसे राज्यसभा चैनल को लेकर भी बात की थी और सवाल पूछा कि वह सरकार के पक्ष में नहीं दिख रहा है...
जनज्वार। पूर्व उपराष्ट्रपति व राज्यसभा के पूर्व सभापति हामिद अंसारी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर एक बड़ा खुलासा किया है। अपनी नयी पुस्तक में अंसारी ने दावा किया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उन पर दबाव बनाते थे कि वे राज्यसभा में हंगामे के बीच भी बिल को पारित करा दें।
हामिद अंसारी की नयी किताब 'बाय मैनी ए हैप्पी एक्सीडेंट : रीकलेक्शंस ऑफ ए लाइफ' में अपनी राजनीतिक यात्राओं व अनुभव का जिक्र किया है। इसमें उन्होंने लिखा है कि राज्यसभा सभापति के रूप में उन्होंने तय किया था कि हंगामे के बीच वे कोई भी विधेयक सदन में पारित नहीं होने देंगे और उनके अनुसार, उस समय के सत्तारूढ और विपक्षी दल ने इसका अनुसरण भी किया।
उच्च सदन के पूर्व सभापति हामिद अंसारी के अनुसार, तत्कालीन प्रधानमंत्री डाॅ मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली सरकार ने ऐसी स्थिति का मुकाबला अपने प्रबंधन के गुर से और विपक्ष को साधा किया, लेकिन बाद में सरकार में आयी नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार का रुख इससे अलग रहा।
अंसारी के अनुसार, एनडीए का मानना था कि लोकसभा में उसका बहुमत होना उसे राज्यसभा में प्रक्रियात्मक अड़चनों से नैतिक रूप से अधिक महत्वपूर्ण बना देता है और इसे खुद प्रधानमंत्री मोदी ने उनके साथ अभिव्यक्त किया था।
अंसारी ने राजनयिक व उपराष्ट्रपति के रूप में अपने अनुभवों का अपनी पुस्तक में जिक्र किया है। उन्होंने लिखा है कि एक दिन संसद के उनके कार्यालय कक्ष में प्रधानमंत्री मोदी आए और सामान्यतः ऐसा नहीं होता कि प्रधानमंत्री बिना तय कार्यक्रम के मिलने आएं। उन्होंने लिखा है कि उनके आने पर उन्होंने प्रधानमंत्री का रस्मी अभिवादन किया।
अंसारी के अनुसार, प्रधानमंत्री मोदी ने कहा आपसे उच्च जिम्मेवारियों की अपेक्षा है लेकिन आप मेरी मदद नहीं कर रहे हैं। इस पर उन्होंने प्रधानमंत्री से कहा कि राज्यसभा और बाहर उनका काम सार्वजनिक है। पीएम ने पूछा राज्यसभा में शोरगुल में विधेयक क्यों नहीं पारित कराए जा रहे हैं? इस पर अंसारी ने जवाब दिया - सदन के नेता जब विपक्ष में थे तो उन्होंने कोई भी विधेयक शोरगुल में पारित नहीं कराया जाएगा और मंजूरी के लिए सामान्य कार्यवाही चलेगी।
इसके बाद प्रधानमंत्री ने कहा कि राज्यसभा टीवी सरकार के पक्ष में नहीं दिख रही है, जिस पर अंसारी ने कहा चैनल की स्थापना में मेरी भूमिका थी, लेकिन इसके संपादकीय कामकाज में मेरी कोई भूमिका नहीं है। राज्यसभा सदस्यों की एक समिति है जो चैनल के संचालन में मार्गदर्शन देती है और उस समिति में भाजपा के सदस्य भी हैं। चैनल के कार्यक्रमों का दर्शक सराहना करते हैं।
रूपा पब्लिकेशंस से प्रकाशित हामिद अंसारी ने अपनी नयी किताब मंे अपने कार्यकाल के आखिरी दिन को लेकर लिखा है कि मुझे बाद में पता चला कि मेरे कार्यकाल के आखिरी सप्ताह में दो घटनाओं ने कुछ वर्गाें में नाराजगी प्रकट की और समझा गया कि उसके कुछ छिपे हुए अर्थ थे। पहला बेंगलुरू के नेशनल लाॅ स्कूल के 25वें दीक्षांत समारोह में उनका भाषण, जिसमें उन्होंने सहिष्णुता से आगे जाकर स्वीकार्यता के लिए सतत बातचीत के जरिए सद्भाव बढाने पर जोर दिया, क्योंकि विभिन्न वर्गाें में असुरक्षा की आशंका बढी है।
दूसरी घटना राज्यसभा टीवी पर करण थापर के साक्षात्कार से जुड़ी है। नौ अगस्त 2017 को प्रसारित इस साक्षात्कार में उपराष्ट्रपति के कार्यकाल के सभी पहलुओं पर बात की गयी थी। इसमें अनुदार राष्ट्रवाद और भारतीय समाज व राजनीति में मुसलमानों को लेकर धारणाओं को लेकर सवाल शामिल थे।