Harish Rawat : आरोपों से आहत हरीश ने दी कांग्रेस मुख्यालय पर उपवास की धमकी, करारी हार के बाद भी कम नहीं हो रहे तेवर
Harish Rawat : चुनावी हार के लिए पार्टी के अंदर से ही अपने को जिम्मेदार बताए जाने से बौखलाए हरीश रावत ने गुस्से में आकर अब अपने खिलाफ हो रहे दुष्प्रचार के जवाब में लंबी पोस्ट लिखकर सबको चेतावनी दे दी
Harish Rawat : उत्तराखण्ड विधानसभा चुनावों में करारी हार के बाद भी दिग्गज कांग्रेस नेता हरीश रावत (Harish Rawat) के तीखे तेवर ठण्डे नहीं पड़े। चुनावी कैम्पेन के दौरान "या तो मुख्यमंत्री बनूंगा, या फिर घर बैठूंगा" का उद्घोष करने वाले 72 वर्षीय कांग्रेसी नेता मुख्यमंत्री तो नहीं पाए। लेकिन अपने कौल के मुताबिक घर बैठने को भी तैयार नहीं हैं।
चुनावी हार के लिए पार्टी (Congress) के अंदर से ही अपने को जिम्मेदार बताए जाने से बौखलाए हरीश रावत ने गुस्से में आकर अब अपने खिलाफ हो रहे दुष्प्रचार के जवाब में लंबी पोस्ट लिखकर सबको चेतावनी दे दी। पोस्ट से विरोधियों द्वारा उन्हें हल्के न लेने के साथ ही यह भी साफ कर दिया कि घर बैठने की जगह राजनीति में अभी वह सक्रिय रूप से बने रहेंगे। अपनी इस पोस्ट में उन्होंने तमाम हाहाकारी इल्ज़ाम लगाते हुए खुद के साथ अपनी बेटी को भी चुनाव में हराने की साजिशें करने वालों को निशाने पर लिया है।
हरीश रावत की पोस्ट उन्हीं के शब्दों में इस तरह है "चुनाव हारने के बाद काफी समय से सोशल मीडिया में मुझ पर बिना सर-पैर के हमले करने वालों की बाढ़ सी आ गई है। धामी की धूम पेज में मुझ पर जुटकर प्रहार कर रहे भाजपाई शोहदों के साथ-साथ हमारे एक नेता से जुड़े हुए कुछ लोग भी दनादन मुझ पर गोले दाग रहे हैं, उनको लगता है हरीश रावत को गिराकर मार देने का यही मौका है।"
आगे लालकुआं (Lalkuan) पर पोस्ट केंद्रित करते हुए रावत ने लिखा है कि "मैं लगभग 241 किलोमीटर दूर एक अनचाही चुनावी जंग में फंस चुका था। मुझे 3-4 मार्च तक कहीं कुछ भी हो रहा हो उसकी खोज खबर लेने की फुर्सत ही नहीं मिल पा रही थी। कहां से एक यूनिवर्सिटी का मामला उठा, किसने उसको उठाया, किनके सामने उठाया! और उस व्यक्ति को पार्टी का उपाध्यक्ष किसने बनाया! यह कहानी अब सारे राज्य के लोगों को स्पष्ट मालूम है। यूनिवर्सिटी की बात कहने वाले व्यक्ति की सियासी जिंदगी में उसे सचिव व महामंत्री बनाने वाला नाम भी सामने आ चुका है। एक विस्फोटक बात करने वाले व्यक्ति को हरिद्वार ग्रामीण में पर्यवेक्षक बनाकर किसने भेजा और किसके कहने पर भेजा! यह तथ्य अभी जरूर स्पष्ट नहीं हुआ है। लेकिन उद्देश्य स्पष्ट था हरिद्वार ग्रामीण जो पहले से ही संवेदनशील चुनाव क्षेत्र है, वहां की उम्मीदवार को चुनाव हराना, वह मेरी बेटी है अर्थात कुछ लोग बाप का इंतजाम करने के बाद बेटी की हार का भी इंतजाम करने में लग गए थे।
मैं जानता हूं, यदि मैं इस पूरे घटनाक्रम की जांच की मांग को लेकर कांग्रेस कार्यालय में उपवास पर बैठ गया तो एआईसीसी को स्वतंत्र उच्चस्तरीय जांच बैठानी पड़ेगी। मैं जानता हूं पार्टी को गहरे घाव लगे हैं। मैं अपने घाव को उकेर कर पार्टी के घावों में संक्रमण नहीं फैलाना चाहता हूं। मगर मुझे अपने पर निरंतर लगाए जा रहे झूठे आरोप और उसके दुष्प्रचार का खंडन भी करना है, और दुष्प्रचार फैलाने वाले चेहरों को बेनकाब भी करना है। हाल-फिलहाल मैंने फैसला किया है कि भाजपाइये और एक नेता विशेष के कांग्रेसी छाप दुष्प्रचारकों का भंडाफोड़ भी करना है।
मैंने पिछले दिनों उस समाचार पत्र की 10 प्रतियां लाकर मुझे दिखाने की चुनौती भाजपा के धामी की धूम पेज के शोहदों को दी थी और कहा था कि वह ऐसा समाचार पत्र लाने वाले को ₹50000 इनाम देंगे, अब इस दुष्प्रचार अभियान में कुछ तथाकथित कांग्रेसी छाप लोग भी सम्मिलित हो गए हैं। इसलिए मैंने अब यह राशि बढ़ाकर ₹100000 कर दी है। यदि कोई अखबार छपा है, तो उस समाचार पत्र का पंजीकरण नंबर, मुद्रक, प्रकाशक, वितरक तो होगा! कहां से छपा है उस स्थान का नाम होगा! छापने वाले संपादक व संवाददाता का नाम होगा! केवल सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल कर एक झूठ को उपजाने वाली भाजपा व उनकी मदद कर रहे कांग्रेस छाप लोगों को मेरी चुनौती है कि वह ऐसा अखबार लाएं जिसमें मैंने यूनिवर्सिटी को लेकर बयान दिया है। मैंने धामी की धूम पेज के इस कुकृत्य की जांच की मांग भी की है। जिस दिन प्रमाणित तौर पर यह सारे तथ्य सामने आ जाएंगे तो मैं, गांधी जी की मूर्ति के सामने बैठकर राजनीति से सन्यास लेने की घोषणा कर दूंगा।"