Delhi : एमसीडी चुनाव में भी BJP का हिंदूवादी चेहरा आया सामने, धर्म के नाम पर मतदाताओं की गोलबंदी पर जोर
Delhi MCD Election : भाजपा ( BJP ) एमसीडी चुनाव चौथी बार जीतने के लिए हिंदूवादी एजेंडे ( Hindutwa agendas ) पर जोर दे रही है, ताकि 2017 की तरह हिंदू मतों का ध्रुवीकरण हो जाए।
Delhi MCD Election : दो साल पहले दिल्ली विधानसभा आप के हाथों शर्मनाक हार के बाद भाजपा ( BJP ) दिल्ली नगर निगम ( MCD ) का चुनाव हर हाल में चौथी बार भी जीतना चाहती है, लेकिन इस बार पार्टी की जीत की राह में आम आदमी पार्टी ( AAP ) मजबूती से डटी हुई है। भाजपा नेतृत्व को भी इस बात का अहसास है कि एमसीडी में सत्ता विरोधी ( anti incumbency ) लहर है। चूंकि, निगम में सत्ता में भाजपा है, तो नुकसान भी उसी का होना तय है। यही वजह है कि भाजपा इस बार अन्य मुद्दों की तुलना में सांप्रदायिक मुद्दों ( Hindutwa ) पर ज्यादा जोर दे रही है, ताकि वोटों का ध्रुवीकरण धर्म ( vote mobilization ) के नाम पर करने में उसे कामयाबी मिल जाए।
मतदाताओं के ध्रुवीकरण पर जोर
इस बात को ध्यान में रखते हुए भाजपा धर्म परिवर्तन ( conversion ) वाले मामले को सबसे ज्यादा तूल देने में जुटी है। इसके अलावा केजरीवाल ( Arvind Kejriwal ) सरकार द्वारा मदरसों और मस्जिदों को दिए जाने वाले वजीफों को भी मुद्दा बनाने में जुटी है। ताकि हिंदू वोटों ( Hindu vote ) का पहले की तरह ध्रुवीकरण हो सके। संभवत: इस रणनीति के तहत ही दिल्ली के मंदिरों में इस बात के बैनर भी लगावाए गए हैं कि जब तक केजरीवाल सरकार मस्जिदों और मदरसों की तरह हिंदुओं के मंदिरों को बिजली और पानी से शुल्क से मुक्त नहीं कर देती और पुजारियों को वजीफा देने का ऐलान नहीं करती, तब तक आप के प्रत्याशियों को मंदिरों में प्रवेश नहीं करने दिया जाएगा। खास बात यह है कि इस बात का ऐलान समस्त मंदिर पुजारियों की ओर से किया जा रहा है। इसमें न तो किसी खास संस्था और न ही खास व्यक्ति का नाम शामिल है।
इस मसले पर दिल्ली में चुनाव प्रचार के दौरान कुछ स्थानों पर स्थिति बिगड़ते-बिगड़ते बची है। मंदिरों में प्रवेश करने पर आप प्रत्याशियों का विरोध हो रहा है। जय श्री राम के नारे भी लगाए जा रहे हैं। इतना ही नहीं, आप प्रत्याशियों व उनके समर्थकों और मंदिर के लोगों के बीच जमकर बहस होने की घटनाएं भी सामने आई हैं। बताया जा रहा है कि इसके पीछे भाजपा नेताओं का हाथ। दरअसल, भाजपा दिल्ली के हिंदू मतदाताओं के बीच वोटों की गोलबंदी के मकसद से ऐसा कर रही है। यही वजह है कि भाजपा केजरीवाल सरकार में पूर्व मंत्री राजेंद्र पाल गौतम पाल द्वारा विजया दशमी के दिन हिंदू देवी देवताओं के खिलाफ दिए गए बयान और बौद्ध धर्म दीक्षा कार्यक्रम में शिरकत को पार्टी के नेता व कार्यकर्ता चुनाव प्रचार के दौरान बार-बार उछाल रहे हैं। बता दें कि भाजपा के इस रुख की वजह से ही केजरीवाल ने अपने मंत्री राजेंद्रपाल गौतम से इस्तीफा ले लिया था। ताकि इसकी वजह से गुजरात में आप प्रत्याशियों को नुकसान न उठाना पड़े।
इसके अलावा, एमसीडी चुनाव में यूपी से योगी आदित्यनाथ, उत्तराखंड से पुष्कर सिंह धामी और एमपी के मंत्रियों व नेताओं सहित देशभर के भाजपा नेताओं को प्रचार के लिए एमसीडी चुनाव में उतार दिया है। भाजपा चाहती है कि विगत फरवरी मार्च में यूपी, उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में भाजपा को मिली सफलता को दिल्ली में भी भुनाया जा सके। इस योजना के तहत ही भाजपा के स्टार प्रचारक दिल्ली के लोगों में अपने भाषणों से नफरत फैला रहे हैं।
पसमांदा के नाम पर मुस्लिम वोटों का बांटने की राजनीति
इस बार मुस्लिम वोट ( Muslim vote ) को हासिल करने के लिए मकसद से दिल्ली नगर निगम चुनाव में बीजेपी ने चार मुस्लिम कैंडिडेट्स को टिकट दिए हैं। इनमें तीन महिलाएं और एक पुरुष प्रत्याशी शामिल हैं। बीजेपी ने अपनी मुस्लिम वोटों के विभाजन के मकसद से उन्हें टिकट दिया है, वो सभी कैंडिडेट पसमांदा मुस्लिम हैं। ऐसे में अगर बीजेपी के कैंडिडेट अपने बिरादरी के वोट हासिल करने में कामयाब रहते हैं तो विपक्ष के सारे खेल बिगड़ सकते हैं। मामला यहीं तक सीमित नहीं है। भाजपा मुस्लिम वोटों के बंटवारे के लिए चाहती है कि कांग्रेस की स्थिति कुछ हद तक मजबूत हो। ऐसा होने पर भाजपा आप और कांग्रेस से आगे निकल जाएगी और उसकी रणनीति भी सफल हो जाएगी।
60 सीटों पर मुसलमान मतदाता निर्णायक
बता दें कि दिल्ली की 70 विधानसभा सीटों में लगभग 25 सीटों पर और नगर निगम की 250 में से लगभग 60 सीटों पर मुसलमान मतदाता निर्णायक भूमिका निभाते हैं। भाजपा मुसलमान मतदाताओं के बीच जाकर कुछ वोट अपने प्रत्याशियों के लिए निश्चित करना चाहती है। ऐसा भाजपा मुसलमानों से अपनी दूरी कम करने की कोशिश की योजना के तहत कर रही है। हैदराबाद की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में पीएम नरेंद्र मोदी की अपील के बाद पसमांदा मुसलमानों तक पहुंचने के लिए पार्टी ने मुहिम भी चलाई हुई है। यहां पर आपके इस बात की जानकारी दे दें कि पिछली बार 2017 में हुए नगर निगम चुनाव में भाजपा ने सात मुस्लिम प्रत्याशियों को मैदान में उतारा था, लेकिन सबकी जमानत जब्त हो गई थी।