योगी को जेल भेजने वाले IAS हरिओम पर कसा शिकंजा, भ्रष्टाचार के आरोप में हो सकते हैं गिरफ्तार

वर्ष 2007 में गोरखपुर में जिलाधिकारी के रूप में तैनात रहे आईएएस हरिओम की प्रदेश के ईमानदार अफसरों में गिनती होती थी...

Update: 2021-05-31 12:12 GMT

योगी आदित्यनाथ और IAS हरिओम : 2007 में योगी को जेल भेजकर आये थे चर्चा में

जनज्वार ब्यूरो, गोरखपुर। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को 14 साल पूर्व जेल भेजने वाले आईएएस के अब खुद जेल जाने की बारी आई है। 20 करोड़ के खाद्यान्न घोटाले के आरोपी आईएएस हरिओम समेत चार सीडीओ को गिरफ्तार करने की शासन से अनुमति मांगी गई है। यह प्रकरण उत्तर प्रदेश के बलिया जिले का है। आर्थिक अपराध अनुसंधान संगठन वाराणसी द्वारा मांगी गई अनुमति में शासन की हरि झंडी मिलते ही डॉ. हरिओम जेल के सलाखों के पीछे होंगे।

वर्ष 2007 में गोरखपुर में जिलाधिकारी के रूप में तैनात रहे डॉक्टर हरिओम की प्रदेश के ईमानदार आईएएस अफसरों में गिनती होती थी। कहा जाता है कि 26 जनवरी 2007 को गोरखपुर शहर सांप्रदायिक उन्मादियों के चपेट में था। उस दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गोरखपुर के सांसद थे, जिन्होंने जिला प्रशासन की अनुमति के बिना धरना देने की कोशिश की, जिस पर उन्हें डॉक्टर हरिओम के निर्देश पर गिरफ्तार कर लिया गया, जिसके बाद उन्हें 11 दिनों के लिए न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया।

हालांकि उस समय डीएम हरि ओम ने प्रेस को दिए बयान में कहा था कि वे जेल भेजने के बजाय सर्किट हाउस में ही रखना चाहते थे, लेकिन खुद योगी जी जेल जाने पर अड़े हुए थे। गिरफ्तारी के 24 घंटे के अंदर हरिओम को मुलायम सिंह यादव की सरकार ने हटा दिया तथा सीतापुर के तत्कालीन डीएम राकेश गोयल को हेलीकॉप्टर से गोरखपुर में कार्यभार ग्रहण करने के लिए भेजा गया। गिरफ्तारी के बाद रिहा होने पर संसद की कारवाई में हिस्सा लेने पहुंचे योगी आदित्यनाथ ने फफक-फफक कर पुलिस प्रशासन की पूरी कार्रवाई से सदन को अवगत कराया था।

14 वर्ष बाद एक बार फिर इतिहास करवट लेने को तैयार है। इस बार आईएएस हरिओम के जेल जाने की बारी आई है।

काम के बदले अनाज घोटाले में हैं आरोपित

बलिया जिले में संपूर्ण ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तहत काम के बदले मजदूरों को खाद्यान्न व मजदूरी देने की योजना में वर्ष 2002 से लेकर 2006 तक अनियमितता का मामला उजागर हुआ था। इस गबन के मामले में 17 ब्लाकों से संबंधित 51 मुकदमे दर्ज किए गए थे। तत्कालीन सीडीओ डॉ. हरिओम, अश्विनी श्रीवास्तव, राममूर्ति राम, दीनानाथ पटवा के अलावा जिला विकास अधिकारी, पीडी, सत्रह ब्लाकों के खंड विकास अधिकारी, ब्लॉक प्रमुख, पंचायत सचिव, आपूर्ति निरीक्षक, समेत कई कोटेदारों के घोटाले में शामिल रहने की पुष्टि हुई थी।

6049 लोगों पर 14 थाने में दर्ज है 51 प्राथमिकी

खाद्यान्न घोटाले में आठ मामलों की जांच सीबीआई को दी गई थी। इसके अलावा आर्थिक अपराध अनुसंधान संगठन वाराणसी को 45 मामलों की जांच दी गई। 21 मामलों में जांच पूरी कर रिपोर्ट कारवाई के लिए भेजी गई है। जबकि एक मामला अभी लंबी है। इसके अलावा ग्राम विकास विभाग से 45 कर्मियों पर मुकदमे की कारवाई के लिए युक्ति मांगी गई है। लंबे समय तक चले घोटाले में जांच को प्रभावित करने का बलिया प्रशासन और ग्राम विकास विभाग और खाद रसद विभाग पर आरोप लगते रहे हैं। यह कहा जाता है कि इनका सहयोग नहीं मिलने से 20 मामलों की विवेचना अभी भी लंबित है।

एक पूर्व ब्लॉक प्रमुख समेत तीन की गिरफ्तारी से प्रकरण हुआ ताजा

खाद्यान्न घोटाले में 3 दिन पूर्व आर्थिक अपराध अनुसंधान संगठन के निर्देश पूर्व ब्लॉक प्रमुख समेत 3 लोगों की गिरफ्तारी हुई थी। जिसमें शनिवार को आरोपीतो को जेल भेज दिया गया। इसके बाद अब आईएएस डॉ. हरिओम के अलावा तत्कालीन सीडीओ अश्विनी श्रीवास्तव, राममूर्ति राम, व दीनानाथ पटवा की गिरफ्तारी के लिए शासन से अनुमति मांगी गई है। इस संबंध में आर्थिक अपराध अनुसंधान संगठन वाराणसी के एसपी प्रदीप कुमार ने कहा कि नियुक्ति व कार्मिक विभाग के प्रमुख सचिव से गिरफ्तारी के लिए अनुमति मांगी गई है।

इस संबंध में पूर्व में भी पत्र भेजा गया था। एक बार फिर अनुस्मारक पत्र भेजा गया है। शासन से स्वीकृति मिलते ही गिरफ्तारी की कारवाई की जाएगी। इस मामले में आरोपी जिला ग्राम विकास अभिकरण के तत्कालीन जिला वित्त व लेखा अधिकारी समेत सात अधिकारी व कर्मचारी अवकाश प्राप्त कर चुके हैं। इनमें से कई आरोपी बिहार के सिवान व मधुबनी जिले के रहने वाले हैं, जिनकी गिरफ्तारी के लिए बिहार पुलिस को भी पत्र लिखा गया है।

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