चारा घोटाला मामले में लालू प्रसाद यादव को राहत, झारखंड हाईकोर्ट ने दी जमानत
राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद ने अपने स्वास्थ्य और दुमका कोषागार केस में मिली आधी सजा काट लेने के आधार पर जमानत मांगी थी....
जनज्वार डेस्क। झारखंड हाईकोर्ट ने राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को चारा घोटाले मामले में राहत दी है। चारा घोटाले के दुमका कोषागार से अवैध निकासी के मामले में उन्हें जमानत मिल गई है। करीब 40 माह बाद लालू प्रसाद जेल से बाहर आएंगे। फिलहाल लालू अस्वस्थ हैं और दिल्ली के एम्स में उनका इलाज चल रहा है।
लालू प्रसाद के खिलाफ झारखंड में पांच मामले चल रहे थे। चार मामलों में उन्हें जमानत मिल गयी है। पांचवा मामला डोरंडा कोषागार से अवैध निकासी से संबंधित है। सीबीआई कोर्ट में इस मामले की सुनवाई अभी चल रही है। जस्टिस अपरेश कुमार सिंह की अदालत ने लालू प्रसाद को एक लाख के निजी मुचलके, दस लाख जुर्माना जमा करने का निर्देश दिया है। लालू प्रसाद को अपना पासपोर्ट जमा करना होगा। बिना कोर्ट की अनुमति के वे विदेश नहीं जा सकेंगे। उन्हें अपना मोबाइल नंबर और पता भी नहीं बदलने का निर्देश अदालत ने दिया है।
लालू प्रसाद ने अपने स्वास्थ्य और दुमका कोषागार केस में मिली आधी सजा काट लेने के आधार पर जमानत मांगी थी। लालू की ओर से पक्ष रखते हुए वरीय अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने अदालत को बताया कि सीबीआई कोर्ट ने उन्हें सात साल की सजा सुनायी है। प्रसाद ने छह अप्रैल को ही 42 माह जेल में काट लिए हैं। उनकी आधी सजा पूरी हो गयी है। इस कारण उन्हें जमानत प्रदान की जानी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने भी आधी सजा पूरी करने के बाद जमानत प्रदान करने का कई मामलों में आदेश दिया है।
सीबीआई की ओर से लालू प्रसाद को जमानत का विरोध किया गया। सीबीआई का कहना था कि दुमका कोषागार में लालू प्रसाद को सीबीआई कोर्ट ने आईपीसी में सात और पीसी एक्ट के तहत सात साल की सजा सुनायी है।
सीबीआई कोर्ट ने दोनों सजा अलग-अलग चलाने का आदेश दिया है। ऐसे में लालू प्रसाद को दुमका कोषागार से अवैध निकासी में कुल 14 साल की सजा मिली है। सात साल जेल में बिताने के बाद ही उनकी आधी सजा पूरी होगी। इस तरह उनकी आधी सजा पूरी नहीं हुई है। इसलिए वह जमानत के हकदार नहीं है।
सीबीआई की इस दलील का कपिल सिब्बल ने विरोध किया। उन्होंने अदालत को बताया कि इस मामले में कई और अन्य आरोपियों को सात साल की सजा मान कर ही जमानत प्रदान की गयी है। उन मामलों में सीबीआई ने यह दलील नहीं दी थी, फिर लालू प्रसाद के मामले में यह नयी दलील नहीं दी जा सकती है। कोर्ट ने भी सीबीआई के इस दलील को नहीं माना और लालू प्रसाद को कुछ शर्तों के साथ जमानत प्रदान कर दी।