आखिरकार 2 साल बाद मिल ही गयी पत्रकार सिद्दीक कप्पन को जमानत, हाथरस कांड की रिपोर्टिंग पर जाते वक्त किया था गिरफ्तार

कप्पन की गिरफ्तारी के खिलाफ न सिर्फ विपक्ष लामबंद हुआ था, बल्कि तमाम सामाजिक-राजनीतिक संगठनों ने इसकी भर्त्सना की थी, आरोप लगे थे कि पत्रकार सिद्दीक कप्पन को यूपी की योगी सरकार ने मुस्लिम होने के कारण अपना आसान टारगेट बनाया लिया...

Update: 2022-12-23 13:54 GMT

Siddique Kappan Gets Bail: केरल के चर्चित पत्रकार सिद्दीक कप्पन को आज 23 दिसंबर को आखिरकर बड़े प्रयासों के बाद जमानत मिल गयी है। वह दो साल की लंबी अवधि के बाद योगी आदित्यनाथ के राज्य यूपी की जेल से बाहर आयेंगे।

सिद्दीकी कप्पन (Siddiqui Kappan) की गिरफ्तारी उस समय हुई थी जब वो एक कैब चालक और दो मुस्लिम एक्टिविस्ट के साथ हाथरस जा रहे थे। वहां जाने के पीछे कप्पन का मकसद 19 वर्षीय दलित लड़की का बलात्कार और हत्या को कवर करना था, जिसके शव का पुलिस ने परिवार की इच्छा के विरुद्ध अंतिम संस्कार कर दिया था।

गौरतलब है कि केरल के पत्रकार सिद्दीक कप्पन को मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में जमानत दी गई है। 6 अक्टूबर, 2020 को सिद्दीक कप्पन को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने पीएमएलए मामले में विदेश से अवैध रूप से धन प्राप्त करने के लिए आरोपित किया था। साथ ही उन पर राष्ट्र विरोधी होने का आरोप लगाते हुए कहा गया था कि मनी लॉन्ड्रिंग के जरिये जो पैसे सिद्दीक कप्पन के पास आया था, उसे उन्होंने राष्ट्र विरोधी कार्यों में खर्च किया था।

वर्ष 2020 में पत्रकार सिद्दीक कप्पन को उनके 3 अन्य साथियों के साथ रास्ते में तब गिरफ्तार किया गया, जब वे 19 वर्षीय युवती के सामूहिक बलात्कार और हत्या की कवरेज करने के लिए उत्तर प्रदेश के हाथरस जा रहे थे।

गौरतलब है कि कप्पन 2020 से जेल में बंद कप्पन पर पुलिस ने शुरुआत में गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत मुकदमा दर्ज करते हुए अपराधी ठहराया था। इसके बाद ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग रोधी कानून के तहत मुकदमा दर्ज करके धारायें जोड़ीं। गौरतलब है कि इसी साल सितंबर में सुप्रीम कोर्ट से यूएपीए और अन्य संबंधित कानूनों के तहत दायर आतंकवाद मामले में सिद्दीक कप्पन को पहले ही जमानत मिल चुकी है और उनकी जमानतदार चर्चित सामाजिक कार्यकर्ता रूपरेखा वर्मा बनी थीं, जिसकी मीडिया में काफी चर्चा थी।

कप्पन के साथ मथुरा से 2020 में 3 अन्य लोगों अतीकुर रहमान, मोहम्मद आलम और मसूद अहमद को यूपी पुलिस ने मथुरा में गिरफ्तार किया था। कप्पन की गिरफ्तारी के खिलाफ न सिर्फ विपक्ष लामबंद हुआ था, बल्कि तमाम सामाजिक-राजनीतिक संगठनों ने इसकी भर्त्सना की थी। आरोप लगे थे कि पत्रकार सिद्दीक कप्पन को यूपी की बीजेपी सरकार ने मुस्लिम होने के कारण अपना आसान टारगेट बनाया लिया।

Tags:    

Similar News