Kaali Poster Controversy : मां काली पोस्टर विवाद में महुआ मोइत्रा और पार्टी आमने-सामने, TMC के ट्वीटर हैंडल को किया अनफॉलो
Kaali Poster Controversy : बंगाल के सांस्कृतिक परिवेश में गहरे तक जड़े जमाए मां काली के इस विवादित पोस्टर पर महुआ मोइत्रा की पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने सांसद के विपरीत रुख वाली लाइन ले ली, सांसद और पार्टी के बीच इस मुद्दे पर अंतर्विरोध इतने गहरा गए कि सांसद ने पार्टी के आधिकारिक ट्विटर हैंडल को ही अनफॉलो कर डाला...
Kaali Poster Controversy :तृणमूल कांग्रेस की चर्चित सांसद महुआ मोइत्रा एक बार फिर चर्चाओं में आ गई हैं। पश्चिमी बंगाल की कृष्णानगर लोकसभा क्षेत्र की यह सांसद इस बार अपनी ही पार्टी से एक विवाद के चलते सुर्खियों में हैं। विवाद भी ऐसा है जो पश्चिमी बंगाल की सांस्कृतिक जड़ों से जुड़ा है। दरअसल सांसद मोइत्रा फिल्ममेकर लीना मणिमेकलाई की फिल्म मां काली के उस विवादित पोस्टर के समर्थन में खड़ी हो गईं, जिसकी वजह से लीना के खिलाफ देशभर विरोध हो रहा है और कई जगह उनके खिलाफ मुकदमे भी दर्ज हो चुके हैं।
बता दें कि मूल रूप से तमिलनाडु की लीना मणिमेकलाई विदेश में फिल्मों की पढ़ाई के दौरान डाक्यूमेंट्री फिल्मों का निर्माण करती हैं। लीना ने अपनी अगली डाक्यूमेंट्री फिल्म मां काली का पोस्टर जारी किया है। पोस्टर में काली को सिगरेट पीते हुए दिखाया गया है। पोस्टर जारी होते ही इस फिल्मकार का देशभर में विरोध होना शुरू हो गया है। इतना ही नहीं कई शहरों में इस फिल्मकार के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज हो चुका है, लेकिन जहां इस फिल्मकार का इतना विरोध हो रहा है तो वहीं पश्चिमी बंगाल की सांसद महुआ मोइत्रा इस फिल्मकार के पोस्टर के समर्थन में आ गई हैं।
इस घटनाक्रम में उस समय ट्विस्ट आ गया जब बंगाल के सांस्कृतिक परिवेश में गहरे तक जड़े जमाए मां काली के इस विवादित पोस्टर पर सांसद की पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने सांसद के विपरीत रुख वाली लाइन ले ली। सांसद और पार्टी के बीच इस मुद्दे पर अंतर्विरोध इतने गहरा गए कि सांसद ने पार्टी के आधिकारिक ट्विटर हैंडल को ही अनफॉलो कर डाला।
पश्चिम बंगाल की कृष्णानगर लोकसभा सीट से टीएमसी की सांसद महुआ मोइत्रा अक्सर अपनी सोशल मीडिया पोस्ट या फिर विवादित बयानों को लेकर मीडिया की सुर्खियों में बने रहने के लिए खासी पहचानी जाती हैं। लेकिन इस बार वह मां काली पश्चिम बंगाल के लिए एक अतिसंवेदनशील मुद्दा होने के कारण अपनी ही पार्टी के निशाने पर इसलिए आ गई हैं, उनकी इस बयानबाजी से सत्ताधारी पार्टी तृणमूल कांग्रेस को पश्चिमी बंगाल में खासा नुकसान उठाना पड़ सकता है।
टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने मां काली के सोशल मीडिया पर जारी पोस्टर को लेकर अपने बयान में मां काली मांस-मदिरा स्वीकार करने वाली देवी बताते हुए कहा था कि हर किसी को इस बात की आजादी है कि वो अपने भगवान की किस तरह से कल्पना करता है। इस पर किसी को कोई ऐतराज भी नहीं होना चाहिए। मां काली की कई जगहों पर अलग तरीकों से पूजा की जाती है। हमें इस पर कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए।
सांसद महुआ मोइत्रा इससे भी आगे बढ़कर भूटान और सिक्किम का उदाहरण देते हुए कहने लगीं कि जब आप इन क्षेत्रों में जाओगे तो वहां के लोग जब सुबह मां काली की पूजा करते हैं तो वो उन्हें शराब चढ़ाते हैं। वहीं कई जगह ऐसी भी हैं जहां पर लोग शराब का नाम भगवान के नाम के साथ नहीं लेते हैं। मांस और मदिरा को भगवान के तिरस्कार के रूप में देखते हैं। तो यह किसी भी व्यक्ति के ऊपर निर्भर करता है कि वह किस तरह से अपने आराध्य देवाताओं को मानते हैं। मेरे लिए देवी काली मदिरा और मांस स्वीकार करने वाली है।
टीएमसी नेता महुआ मोइत्रा का यह विवादित बयान आते ही पश्चिमी बंगाल की राजनीति में सरगर्मियां बढ़ गईं, लेकिन इससे पहले कि महुआ के बयान की आग और भड़कती उससे पहले ही उनकी पार्टी तृणमूल कांग्रेस की ओर से ही उनकी आलोचना शुरू हो गई। इसी के साथ पार्टी की ओर से उनके बयान से किनारा कर लिया गया। अपने बयान पर पार्टी की प्रतिक्रिया देखकर महुआ ने पार्टी के आधिकारिक ट्विटर हैंडल को अनफॉलो करते हुए फिलहाल चुप्पी साध ली है।
एक तरफ जहां सांसद के बयान पर उनकी पार्टी ने किनारा कर लिया है तो दूसरी ओर फिल्ममेकर अशोक पंडित ने टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा का मां काली पर दिए गए बयान का विरोध करते हुए तृणमूल कांग्रेस नेता ममता बनर्जी को घेरना शुरू किया। पंडित ने ट्वीट करते हुए कहा कि महुआ मोइत्रा एक पार्टी TMC से संबंधित हैं, जो पिछले विधानसभा चुनावों के बाद हिंदुओं के नरसंहार के लिए जिम्मेदार है। अशोक ने टीएमसी नेता और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से भी सवाल पूछा है कि आप महुआ मोइत्रा को पार्टी से बर्खास्त कर उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई क्यों नहीं करते?
बहरहाल, अपने बयानों की वजह से अक्सर सुर्खियों में रहने वाली यह सांसद फिलहाल अपने बयान की वजह से दोहरे संकट का सामना कर रही हैं। एक उनका पार्टी का आंतरिक संकट तो दूसरा उनके पार्टी से बाहर के विरोधियों के हमले। देखना दिलचस्प होगा कि तृणमूल कांग्रेस इस संकट को कैसे हल करेगी।