कभी कांग्रेस सेवा दल से डरा करते थे अंग्रेज, मोदी राज में उसे खाली करना होगा 26 अकबर रोड, चुप क्यों है INC?

कांग्रेस के पुराने नेता मानते हैं कि ऐसे समय में जब कांग्रेस रास्ता खोज रही है, उसे अपने संगठन की ओर देखना चाहिए और उस लोकतांत्रिक प्रक्रिया को बहाल करना चाहिए, जिसे 1969 के बाद लगातार खत्म किया जाता रहा है। यदि कांग्रेस नेतृत्व चाहे तो संघ-भाजपा का विकल्प बन सकता है सेवादल-कांग्रेस।

Update: 2022-04-12 09:57 GMT

नई दिल्ली। देश की आजादी की लड़ाई के दौर में जिस कांग्रेस सेवा दल ( Congress Sewa Dal ) से अंग्रेज ( Angrej ) डरा करते थे, मंगलवार को इंडियन नेशनल कांग्रेस ( INC ) का वही ताकतवर संगठन बेधर होने के कगार पर है। जी हां, दशकों से 26 अकबर रोड कांग्रेस सेवा दल का हेडक्वार्टर रहा है, लेकिन मंगलवार को संपदा निदेशालय की ओर से आदेश के बाद उसे बहुत जल्द अपना दफ्तर खाली करना होगा।

विकल्प के रूप में कांग्रेस ( Congress ) को दीन दयाल उपाध्याय मार्ग पर स्थान अलॉट किया गया था। वहां पर कांग्रेस हेडक्वार्टर ( Congress Headquarter ) निर्माणाधीन है। इस बीच सेवा दल को कई बार 26 अकबर रोड खाली करने का नोटिस मिला। हर बार सेवा के अनुरोध पर उसे एक्सटेंड कर दिया जाता रहा है। इस बार संपदा निदेशालय ने कांग्रेस सेवा दल ( Congress Sewa Dal ) को अंतिम नोटिस सर्व किया है। वैसे भी सेवा दल का दफ्तर कोरोना महामारी से पहले खाली होना था लेकिन उसे कोविड-19 की वजह से एक्सटेंड कर दिया गया था। संपदा निदेशालय की ओर से आदेश मिलने के बाद कांग्रेस ने सेवा दल को पांच रायसीना मार्ग पर शिफ्ट करने का फैसला लिया है। यहां पर फिलहाल एनएसयूआई और इंडियन यूथ कांग्रेस का दफ्तर है। इसी तरह अस्थायी तौेर पर सेवा दल वालों के लिए एआईसीसी हेडक्वार्टर में भी कुछ केबिन बनाए गए हैं।

लुटियन जोन में कांग्रेस पास है कि 3 बंग्ला

वर्तमान में कांग्रेस ( Congress ) के लिए लुटियन जोन में तीन बंग्लो आवंटित हैं। इनमें 24 अकबर रोड पर कांग्रेस हेडक्वार्टर है। 26 अकबर रोड कांग्रेस सेवा दल के लिए आवंटित है। पांच रायसीना मार्ग बांग्ला कांग्रेस यूथ और एनएसयूआई के लिए आवंटित है। फिलहाल दीन दयाल उपाध्याय मार्ग पर कांग्रेस का निर्माणाधीन हेडक्वार्टर अंतिम चरण में है। इस साल के अंत तक कांग्रेस के सभी कार्यालय वहीं शिफ्ट होने की संभावना है।

ये है कांग्रेस सेवा दल का इतिहास

कांग्रेस सेवा दल ( Congress Sewa Dal ) की स्थापना 1923 में हुई थी। एक दौर तक सेवा दल के पदाधिकारी और कार्यकर्ता कांग्रेस में ज्यादा ताकतवर होते थे। सेवा दल की हैसियत का अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं 1959 में कांग्रेस के नासिक अघिवेशन में शामिल होने जा रहे प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को गेट पर रोक दिया गया था। गेट पर सुरक्षा की जिम्मेदारी रहे कमलाकर शर्मा से नेहरू पूछते हैं क्या तुम मुझे नहीं जानते? शर्मा ने विनम्रता से कहा था कि मैं आपको जानता हूं। आप देश के प्रधानमंत्री हैं लेकिन आपने सेवा दल का बैज नहीं लगाया है। ऐसे आप अंदर नहीं जा सकते। नेहरू जी मुस्कुराये और अपनी जेब से बैज निकालकर दिखाया उसकेे बाद ही उन्हें अंदर जाने दिया गया। सेवादल की पत्रिका 'दल समाचार' में इस घटना का ज़िक्र है। 1959 नासिक अधिवेशन स्थल पर तैनात शर्मा तब कांग्रेस सेवादल के नायक थे। उनकी इस हिमाकत से समारोह स्थल पर हड़कंप मच गया था। इसके बावजूद नेहरू ने उन्हें मुंबई का चीफ ऑर्गेनाइजर बना दिया।

INC का सच्चा योद्धा

दरअसल, कांग्रेस में सेवादल को फौजी अनुशासन और जज्बे के लिए जाना जाता है। इसका संगठनात्मक ढांचा और संचालन का तरीक़ा सैन्य रहा है। कभी कांग्रेस में शामिल होने से पहले सेवादल की ट्रेनिंग जरूरी होती थी। इंदिरा गांधी ने राजीव गांधी की कांग्रेस में एंट्री सेवादल के माध्यम से ही कराई थी। नेहरू से लेकर राहुल गांधी तक सेवादल को 'कांग्रेस का सच्चा सिपाही' कहते रहे हैं। आज हकीकत यह है कि कांग्रेस के ये सच्चे सिपाही इन दिनों पार्टी की दुर्दशा व खुद की उपेक्षा से उदास और खिन्न हैं।

RSS का गठन तो 2 साल बाद हुआ था

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का गठन सेवादल के दो साल बाद हुआ था। हार्डिकर कांग्रेस सेवादल के संस्थापकों में से एक थे। आपको यह जानकर ताज्जुब होगा कि डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार और डॉ. नारायण सुब्बाराव हार्डिकर क्लास फेलो थे। शुरुआती दिनों में हार्डिकर और हेडगेवार साथ-साथ सक्रिय थे लेकिन हार्डिकर पर गांधीजी का प्रभाव था तो हेडगेवार 'हिंदू राष्ट्र' का सपना देख रहे थे। हेडगेवार ने अपना अलग रास्ता बनाते हुए संघ का गठन किया। वे हिंदू महासभा से जुड़े हुए थे और जब तक जीवित रहे संघ हिंदू महासभा के यूथ विंग की तरह की काम करता रहा। सेवादल ब्रिटिश हुक़ूमत के खिलाफ संघर्ष के रास्ते पर बढ़ता चला गया। डॉ. राजेंद्र प्रसाद और सुभाषचंद्र बोस से लेकर क्रांतिकारी राजगुरू तक इसके पदाधिकारी रह चुके हैं।

खान अब्दुल गफ्तार खान ने अपने संगठन लाल कुर्ती का विलय भी सेवादल में करा दिया था। सरदार वल्लभभाई पटेल की सिफारिश पर 1931 में सेवादल का स्वतंत्र स्वरूप खत्म कर गांधी ने उसे कांग्रेस का हिस्सा बना दिया गय़ा। गांधी जी को यह आभास हो गया था कि यदि सेवादल को स्वतंत्र छोड़ दिया गया तो वह हम सबको लील जाएगा। एक साल बाद ही अंग्रेज़ों ने 1932 में कांग्रेस और सेवादल पर प्रतिबंध लगा दियां बाद में कांग्रेस से तो प्रतिबंध हटा पर हिंदुस्तानी सेवादल से नहींं हटा। वर्तमान में कांग्रेस ने सेवादल को महज 'सेरेमोनियल' बना दिया है। पार्टी के उत्सवों में वर्दी पहनाकर खड़ा होने के अतिरक्त और कोई काम सेवादल के पास नहीं है।

आज भी सेवादल में है संघ का विकल्प बनने की क्षमता

आज भी कांग्रेस ( Congress ) के पुराने नेता मानते हैं कि ऐसे समय में जब कांग्रेस रास्ता खोज रही है, उसे अपने संगठन की ओर देखना चाहिए और उस लोकतांत्रिक प्रक्रिया को बहाल करना चाहिए, जिसे 1969 के बाद लगातार खत्म किया जाता रहा है। यदि कांग्रेस नेतृत्व चाहे तो संघ-भाजपा का विकल्प बन सकता है सेवादल-कांग्रेस।

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