मारे गये सीओ ने SSP को मार्च में ही पत्र लिख बता दिया था विकास दुबे का दलाल है थानेदार विनय तिवारी

मारे गये सीओ मिश्रा ने अभियुक्त विकास दुबे के खिलाफ कानपुर सहित अन्य जनपदों में करीब 150 संगीन धाराओं में मुकदमे दर्ज होने की बात लिखी थी, पत्र में 2001 का शिवली राज्यमंत्री हत्याकांड का भी था जिक्र...

Update: 2020-07-06 10:46 GMT

गैंगस्टर के गुर्गों के हाथों मारे गये सीओ देवेंद्र मिश्र ने 4 महीने पहले बता दिया था धोखेबाज विनय तिवारी का सच

मनीष दुबे की रिपोर्ट

कानपुर। बिकरु हत्याकांड में मारे गये 8 पुलिसवालों में से एक सीओ देवेंद्र मिश्रा द्वारा एसएसपी को भेजे गए पत्र को यदि हल्के में न लिया गया होता तो शायद आज इतना बड़ा कांड ना हो पाता, लेकिन शायद कानपुर के पूर्व एसएसपी अनंत देव तिवारी ब्राह्मण होने के नाते अपना जनेऊ धर्म निभा गए और उसके बाद जो हुआ उसे दुनिया देख रही है।

13 मार्च 2020 को सीओ देवेंद्र मिश्रा ने कानपुर के तत्कालीन एसएसपी अनंत देव तिवारी को बिकरु और विकास के संबंध में एक पत्र लिखा था। पत्र में देवेंद्र मिश्रा ने अंतर्जनपदीय दबंग अभियुक्त विकास दुबे पुत्र रामकुमार दुबे निवासी बिकरु थाना चौबेपुर व उसके साथियों के खिलाफ दर्ज मुकदमा संख्या 65/2020 की धारा 386/147/148/323/504/506 IPC का संज्ञान दिलाया था।

शहीद मिश्रा ने अभियुक्त विकास दुबे के खिलाफ कानपुर सहित अन्य जनपदों में करीब 150 संगीन धाराओं में मुकदमे दर्ज होने की बात लिखी थी। पत्र में 2001 का शिवली राज्यमंत्री हत्याकांड का भी जिक्र है।

देवेंद्र मिश्रा ने आगे लिखा मामला संज्ञान में लेते हुए ऐसे अपराधी के खिलाफ कठोर कार्रवाई करने तथा शांति व्यवस्था बनाये रखने हेतु उन्होंने थानाध्यक्ष चौबेपुर को निर्देश दिया था। क्योंकि ऐसे अपराधी के खिलाफ सामान्य जनता में शिकायत करने का साहस नहीं है। मिश्रा द्वारा दिये निर्देश के बाद भी विकास दुबे पर संबंधित थाने से कोई कार्रवाई नहीं हुई।


दिवंगत सीओ देवेंद्र मिश्रा ने तब खुद इसका संज्ञान लिया था। जिसके बाद उन्होंने विवेचक अजहर इशरत द्वारा लिखे गए मुकदमे में धारा 386 हटाकर पुरानी रंजिश लिखने के संबंध में विवेचक अजहर से पूछा तो उसने जवाब दिया कि थानाध्यक्ष महोदय के कहने पर उसने धारा 386 हटाई थी और इस धारा को तस्करा में बदलकर लिख दिया था।

देवेंद्र मिश्रा अपने पत्र में आगे लिखा है 'इस प्रकार ऐसे कुख्यात व दबंग अपराधी के खिलाफ थानाध्यक्ष द्वारा सहानुभूति बरतना तथा अब तक कोई कार्रवाई न करना विनय कुमार तिवारी की सत्यनिष्ठा पर प्रश्नचिन्ह लगाता है। मिश्रा ने लिखा कि उन्हें अन्य माध्यमो से भी जानकारी हुई कि विनय तिवारी का पहले से विकास दुबे के पास आना-जाना है। यदि थानाध्यक्ष ने अपनी कार्यप्रणाली में परिवर्तन न किया तो आगे गंभीर घटना घट सकती है।

वहीं बिकरु गांव पहुंचे आईजी रेंज मोहित अग्रवाल ने कहा कि मामले में पूरा चौबेपुर थाना संदिग्ध है। सभी कर्मचारियों की जांच की जा रही है। सभी के खिलाफ जांच कर कठोर कार्रवाई होगी। 50 से 60 लोग शक के घेरे में हैं। दोषी थानाध्यक्ष विनय तिवारी को नौकरी से टर्मिनेट भी किया जाएगा। 

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