Kavita Krishnan: कविता कृष्णन ने सीपीआई (ML) के सभी पदों से मुक्त होने का किया एलान

Kavita Krishnan: तीन दशक से प्रमुख वामपंथी संगठन सीपीआई (एमएल ) के विभिन्न जनसंगठनों की जिम्मेदारी निभाते हुए पोलित ब्यूरो की सदस्य रही कविता कृष्णन ने 1 सितंबर को पार्टी से नाता तोड़ने का एलान किया। अपने फेसबुक पोस्ट के माध्यम से कविता ने स्वयं ही इसकी जानकारी दी हैं।

Update: 2022-09-02 05:43 GMT

Kavita Krishnan: कविता कृष्णन ने सीपीआई (ML) के सभी पदों से मुक्त होने का किया एलान

Kavita Krishnan: तीन दशक से प्रमुख वामपंथी संगठन सीपीआई (एमएल ) के विभिन्न जनसंगठनों की जिम्मेदारी निभाते हुए पोलित ब्यूरो की सदस्य रही कविता कृष्णन ने 1 सितंबर को पार्टी से नाता तोड़ने का एलान किया। अपने फेसबुक पोस्ट के माध्यम से कविता ने स्वयं ही इसकी जानकारी दी हैं।हालांकि पार्टी के किसी अन्य नेता का इसको लेकर कोई बयान अभी नहीं आया है। ऐसे में उनके पार्टी छोड़ने के फैसले को लेकर विभिन्न कयास लगाए जा रहे हैैं।

कविता कृष्णन सीपीआई एमएल की पोलित ब्यूरो सदस्य रहते हुए उसकी महिला संगठन एपवा की राष्टीय सचिव की जिम्मेदारी निभा रही थी। उनके द्वारा फेसबुक पर किए गए पोस्ट के मुताबिक , मैंने सीपीआईएमएल में अपने पदों और जिम्मेदारियों से मुक्त होने का अनुरोध किया क्योंकि मुझे कुछ परेशान करने वाले राजनीतिक प्रश्नों को आगे बढ़ाने की आवश्यकता थी। ऐसे प्रश्न जिनका पता लगाना और सीपीआईएमएल नेता के रूप में मेरी जिम्मेदारियों में व्यक्त करना संभव नहीं था। पार्टी सेंट्रल कमेटी ने मेरे अनुरोध पर सहमति जताई है। अपने फेसबुक पोस्ट के माध्यम से तीन सवालों को उन्होंने रखा है। उनका पहले ही सवाल में कहना है कि न केवल भारत में बल्कि दुनिया भर में सत्तावादी और बहुसंख्यक लोकलुभावनवाद के बढ़ते रूपों के खिलाफ उदार लोकतंत्र को उनकी सभी खामियों के साथ बचाव के महत्व को पहचानने की आवश्यकता है।


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दूसरा सवाल, यह पहचानने की आवश्यकता है कि स्टालिन शासन, यूएसएसआर, या चीन को विफल समाजवाद के रूप में चर्चा करना पर्याप्त नहीं है, बल्कि दुनिया के कुछ सबसे खराब सत्तावाद के रूप में है जो हर जगह सत्तावादी शासन के लिए एक मॉडल के रूप में काम करते हैं। तीसरा सवाल, यह दृढ़ विश्वास कि भारत में फासीवाद और बढ़ते अधिनायकवाद दुनिया भर के सभी लोगों के लिए समान लोकतांत्रिक अधिकारों और नागरिक स्वतंत्रता के अधिकार को स्वीकार करना चाहिए, जिसमें अतीत और वर्तमान के समाजवादी अधिनायकवादी शासन के विषय शामिल हैं। .उन्होंने लिखा है कि मैं भाकपा-माले, आइसा और एपवा के साथ लगभग तीन दशकों की अपनी राजनीतिक यात्रा के लिए तहे दिल से आभारी हूं और ये आंदोलन मेरे जीवन का हिस्सा बने रहेंगे।

मैं अपनी सोच विकसित होने पर साझा करने के लिए, जल्द ही ऊपर वर्णित मूल मुद्दों पर लिखूंगी। लेकिन मैं सीपीआईएमएल नेतृत्व से मुक्त होने के सवाल पर (इस बयान से परे) मीडिया को संबोधित नहीं करना चाहती। कविता कृष्णन ने पोस्ट में अपना परिचय मार्क्सवादी नारीवादी और नागरिक स्वतंत्रता कार्यकर्ता के रूप में दी है।

कविता कृष्णन का पार्टी के राजनीतिक विचारों को लेकर चल रहा था मतभेद

भाकपा माले की नेत्री कविता कृष्णन के पार्टी से नाता तोड़ने की खबर सामने आने के बाद से ेअब तक पार्टी नेतृत्व के तरफ से कोई अधिकृत बयान नहीं आया है। पार्टी के महासचिव इधर हाल के महीनों में बिहार के अपने राजनीतिक दौरे पर सर्वाधिक रहे हैं। बिहार की राजनीति में पार्टी के पूर्व सांसद मो. शहाबुददीन के साथ टकराव के चलते आरजेडी से लंबे समय तक संघर्ष रहा है। हालांकि बदली हुई परिस्थितियों में भाजपा को रोकने के नाम पर सीपीआई एमएल ने बिहार में महागठबंधन की सहयोगी के रूप में हैैं। खास बात यह है कि भाकपा माले के नेता व जेएनयू के छात्रसंघ अध्यक्ष चंद्रशेखर व उनके साथ पार्टी नेता श्यामनारायण यादव की हत्या में पूर्व सांसद शहाबुददीन का नाम आया था। इस घटना ने कविता को काफी हदतक प्रभावित किया। उनका खुद कहना है कि उस घटना के बाद से हमारी सक्रियता बढ़ गई। इस बीच चर्चा है कि कविता कृष्णन का लंबे समय से पार्टी के अंदर वैचारिक बहस तेजी से चल रहा था। पार्टी के हाल के वर्षों में तय की राजनीतिक विश्लेषण से उनका मतभेद था। लिहाजा उन्होंने पार्टी छोड़ने का फैसला कर लिया। हालांकि इस संबंध में पार्टी नेतृत्व व खुद कविता के तरफ से कोई बयान नहीं आया है।

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