MCD Election Result 2022 : दिल्ली में केजरीवाल का जलवा बरकरार, 15 साल बाद एमसीडी से भाजपा बेदखल
MCD Election Result 2022 : जो काम तीन बार मुख्यमंत्री चुने जाने के बावजूद शीला दीक्षित नहीं कर पाईं उस काम को आठ साल में आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल ने कर दिखाया। परिणाम यह निकला कि एमसीडी की सत्ता पर 15 साल से काबिज भाजपा उससे बेदखल हो गई।
एमसीडी चुनाव रुझानों पर धीरेंद्र मिश्र का विश्लेषण
MCD Election Result 2022 : दिल्ली नगर निगम के चुनाव परिणाम तेजी से आने का सिलसिला जारी है। ताजा रुझानों के मुताबिक अरविंद केजरीवाल ( Arvind Kejriwal ) की पार्टी आप ( AAP ) का एमसीडी ( MCD ) में मेयर होगा। अभी तक के रुझानों में आप 250 में से 132 सीटों पर आगे है। जबकि भाजपा ( BJP ) 104 सीटों पर आगे है। 11 सीटों पर कांग्रेस ( Congress ) के उम्मीदवार आगे चल रहे हैं। यानि 15 साल बाद एमसीडी की सत्ता पर भी आप काबिज हो गई है। कहने का मतलब यह है कि दिल्ली में अब मिनी सरकार भी आप की। केंद्र के पास केवल डीडीए और दिल्ली पुलिस रह गई है।
साफ है कि आप ने दिल्ली ( Delhi ) में कांग्रेस की जगह मजबूती के साथ ले ली है। केजरीवाल की पार्टी को गरीबों, मजदूरों और प्रवासियों की राजनीति में ख्याल रखने और सियासी जनभागीदारी देने का लाभ मिलने का सिलसिला अब दिल्ली विधानसभा के बाद एमसीडी में मिलने लगा है। यह इस बात के भी संकेत हैं कि केजरीवाल को लेकर आम मतदाताओं में क्रेज आज भी कायम है।
फिलहाल 126 सीटों पर चुनाव परिणाम आ गए हैं। 93 पर आप आगे हैं। 73 पर भाजपा आगे है। छह पर कांग्रेस और 3 पर अन्य आगे हैं। ताजा रुझानों से भाजपा के लिए राहत की बात यह है कि उसकी शर्मनाक हार न होकर सम्मानजनक हार होगी। एमसीडी चुनाव परिणाम के मुताबिक सबसे अहम बात यह है जिस भाजपा को एमसीडी को 2012 में तीन निगमों में बांटने के बाद भी पूर्व सीएम शीला दीक्षित भाजपा को सत्त से बाहर नहीं कर पाईं, उसे एमसीडी हेडक्वार्टर यानि सिविक सेंटर से बाहर करने काम केजरीवाल ने कर दिया है।
इतना ही नहीं, ताजा एमसीडी चुनाव परिणामों से साफ है कि अब आप देश की राजधानी दिल्ली में केवल जाटों, बनियों और पंजाबियों व अभिजातों के दम पर राजनीति नहीं कर सकते। भाजपा की राजनीति इसी के इर्द-गिर्द घूमती रही है। मदन लाल खुराना और साहिब सिंह वर्मा ने कुछ हद तक खुद को प्रवासियों से जोड़ने का काम किया था, लेकिन दोनों के बाद भाजपा ने कभी भी प्रवासियों का दिल्ली में सियासी भागीदारी दिल से देने काम नहीं किया। लाल बिहारी तिवारी, मनोज तिवारी व एक दौर में कीर्ति झा आजाद जैसे चेहरों को केवल दिखावे के लिए सामने लाया गया। भाजपा को अपनी इस रणनीति पर गंभीरता से मंथन करने की जरूरत है।
ऐसा करना भाजपा के लिए जरूरी है, क्योंकि करीब ढ़ाई दशक से भाजपा दिल्ली विधानसभा में बहुमत हासिल नहीं पाई, लेकिन गरीबों, अल्पसंख्यकों और निम्न आय वर्ग की राजनीति कर केजरीवाल लगातार दिल्ली विधानसभा का चुनाव तीन बार जीत चुके हैं। केजरीवाल और उनकी टीम ने अन्ना आंदोलन के बाद कांग्रेस को रिप्लेस करने का काम किया है। वह शीला दीक्षित की मुहिम को आगे बढ़ा रहे है।
शीला दीक्षित ने दिल्ली की 1700 से ज्याद कॉलोनियों में रहने वाले 60 लाख से ज्यादा लोगों को गली, नालियों, सड़कों और बिजली मुहैया कराने का काम किया। केजरीवाल उसी को आगे बढ़ाते हुए मोहल्ला क्लिनिक, स्कूली शिक्षा और बिजली, पानी के बिलों में छूट देकर बड़ी राहत दी है। लोगों को लगने लगा है कि दिल्ली में अमीरी के अलावा गरीबों की सुनने वाला भी कोई है।
हालांकि, कुछ मोर्चों पर केजरीवाल कमजोर भी साबित हुए हैं, लेकिन लोकतंत्र में वोट की अपनी अहमियत होती है। उन्होंने इस बात पर गौर फरमाया कि उन्हें वोट कहां से वोट चाहिए और वहां पर क्या करने की जरूरत है। केजरीवाल की इसी सामान्य सी दिखनी वाली सियासी समझ ने उनका मजाक उड़ाने वालों का दिल्ली में एक बार फिर मुंह बंद कर दिया है। इसका सीधा लाभ आप को यह मिला है कि अब एमसीडी में आप काबिज हो गई। एमसीडी चुनाव में जीत के बाद अब केजरीवाल की जिम्मेदारी बढ़ गई है। अब वो यह नहीं कह पाएंगे कि एमसीडी हमारे पास नहीं है इसलिए दिल्ली साफ नहीं है। यमुना की सफाई नहीं हो पा रही। प्राइमरी शिक्षा और स्वास्थ्य की स्थिति खराब है। केजरीवाल और उनकी टीम को दिल्ली काम कर दिखाना होगा।
दूसरी तरफ एमसीडी के रुझानों से दिल्ली में भाजपा के लिए खतरे की घंटी बज गई है। आप यह सवाल पूछ सकते हैं कि ऐसा क्यों, इसका जवाब ये है कि 15 माह बाद लोकसभा का चुनाव है दो साल बाद विधानसभा का चुनाव दिल्ली में होने है। दिल्ली में सात के सात लोकसभा सांसद भाजपा के हैं। केजरीवाल लोकसभा चुनाव में आप सांसद को अभी तक जितवा नहीं पाये हैं। अब वो चाहेंगे कि विधानसभा और एमसीडी के बाद लोकसभा सांसद भी आम आदमी पार्टी का नेता ही बने। यानि अब खतरा सीधे मोदी और शाह के अस्तित्व पर है।
भाजपा के लिए राहत की बात केवल यह है कि वो आठ राज्यों के सीएम और 17 केंद्रीय मंत्रियों को सियासी मैदान के उतरने के बावजूद भाजपा को एमसीडी में वापसी नहीं करा पाई। हां, इसका लाभ यह जरूर मिला कि करारी शिकस्त से भाजपा बच गई। भाजपा ने एक चतुराई ये दिखाई कि एमसीडी चुनाव में पीएम मोदी और अमित शाह को इस बार मैदान में नहीं उतारा। यानि लोकसभा चुनाव में भाजपा शीर्ष नेतृत्व को अभी धक्का नहीं लगा है। भाजपा लोकसभा चुनाव में इसका लाभ उठाने की स्थिति में होगी।
MCD Election Result 2022 : कुल मिलाकर आप यह कह सकते है। कि जनभागदारी के दम पर दिल्ली में आप की लहर हैै और भाजपा सत्ता से पूरी तरह से बेदखल हो गई है। भाजपा नेतृत्व को नये सिरे से सोचने की जरूरत। भाजपा ने इस पर ध्यान नहीं दिया तो मोदी-शाह की राजनीति में राहु-केतु की तरह केजरीवाल और उनकी टीम ग्रहण लगाने का काम आगे भी जारी रखेंगे।