Lucknow Cantt : सियासी दलों के बीच प्रतिष्ठा की जंग, इनके पास है हार-जीत की चाबी, कल होगा मतदान
UP Election 2022 : भाजपा, सपा, बसपा, कांग्रेस और आप के प्रत्याशी हिंदू हैं। साफ है इस सीट पर हिंदू वोट बंटेगा। ऐसे में मुस्लिम वोट जिसके पक्ष में जाएगा उसका प्रत्याशी यहां से जीत सकता है।
UP Election 2022 : उत्तर प्रदेश में चौथे चरण के 9 जिलों की 59 सीटों पर मतदान कल होगा। चौथे चरण में लखनऊ कैंट ( Lucknow Cantt ) पर सबकी नजर है। यह सीट सभी दलों के लिए प्रतिष्ठा की जंग में तब्दील हो चुका है। खासतौर से सपा ( SP ) और भाजपा ( BJP ) के बीच है। कल सीट पर मदतान होगा और प्रत्याशियों का भाग्य ईवीएम में बंद हो जाएगा। वेस्ट यूपी की तरह लखनऊ कैंट सीट पर मुस्लिम वोटों ( Muslim Voters ) का ध्रुवीकरण हुआ तो विशेष समुदाय के मतदाता ही प्रत्याशी की हार-जीत तय करने में अहम भूमिका निभाएंगे।
टिकट को लेकर भी SP-BJP में मची थी रार
इस सीट पर जीत तय करने के लिए सियासी दलों के बीच चुनावी जंग से पहले विभिन्न दलों के नेता टिकट के लिए होड़ करते भी नजर आए थे। मुलायम सिंह यादव की छोटी बहू अपर्णा यादव ने समाजवादी पार्टी ( SP ) छोड़कर भाजपा में शामिल होने का निर्णय ही सिर्फ इसलिए लिया क्योंकि उन्हें लखनऊ कैंट (Lucknow Cantt ) से टिकट नहीं दिया गया था। ये बात अलग है कि वह 2017 में इस सीट से विधानसभा चुनाव हार गई थीं। हालांकि, भाजपा ( BJP ) ने भी उन्हें लखनऊ कैंट से टिकट न देकर निराश किया। इस सीट पर भाजपा सांसद रीता बहुगुणा जोशी ने भी अपने बेटे मयंक जोशी के लिए टिकट की पैरवी की। उन्होंने खुद के लिए टिकट छोड़ने जेसा इमोशनल दांव भी खेला था। लेकिन वे बेटे के लिए टिकट हासिल करने में विफल रहीं। भाजपा ने अब यूपी के मंत्री बृजेश पाठक को यहां से मैदान में उतारा है, जो अपनी लखनऊ सेंट्रल सीट से यहां शिफ्ट हुए हैं। भाजपा ने अपने मौजूदा विधायक सुरेश तिवारी को टिकट देने से इनकार कर दिया। तिवारी ने 2017 का चुनाव केवल 5000 मतों के अंतर से जीता था। बड़ी बात यह है कि साल 1991 से अब तक यहां सिर्फ साल 2012 में कांग्रेस की रीता बहुगुणा जोशी ने भाजपा को हराया था। इसके अलावा हर चुनाव में भाजपा का ही परचम लहराता रहा है।
सियासी दलों के लिए अहम है कैंट सीट
लखनऊ कैंट ( Lucknow Cantt ) सीट को सियासी दलों के लिए प्रतिष्ठा का सीट माना जाता है। इस क्षेत्र में यूपी की राजधानी के सभी प्रमुख व्यापारिक केंद्र भी हैं। यहां की आबादी 6.3 लाख है। इसमें रक्षा क्षेत्र के दिग्गज, ब्राह्मण, दलित, सिख और बड़ी संख्या में उत्तराखंड के लोग शामिल हैं। माना जा रहा है कि ब्राह्मण, दलित और सिख मतदाता प्रत्याशियों की जीत में अहम भूमिका निभाएंगे। हालांकि, कुछ सियासी जानकारों का कहना है कि मुस्लिम वोटर्स हार—जीत का फैसला करेंगे। इस बात में दम भी है। ऐसा इसलिए कि भाजपा, सपा, बसपा और कांग्रेस ने हिंदू प्रत्याशी मैदान में उतारा है। इसका मतलब है कि हिंदू वोट बंटेगा। ऐसे में मुस्लिम वोट जिसके पक्ष में जाएगा उसका प्रत्याशी यहां से जीत सकता है। अब सवाल यह है कि मुस्लिम वोट भी बंटेगा या वेस्ट यूपी की तरह गठबंधन के पक्ष में जाएग। यह कल के मतदान से तय हो जाएगा।
ये है समीकरण
UP Election 2022 : सपा, बसपा और कांग्रेस ने स्थानीय कारोबारियों को टिकट दिया है। इसके पीछे मूल मकसद कारोबारियों का समर्थन हासिल करना है। सपा ने 49 साल के राजू गांधी को मैदान में उतारा है। बसपा ने ब्राह्मण व्यवसायी अनिल पांडेय को उम्मीदवार बनाया है। कांग्रेस ने 36 वर्षीय सिख व्यवसायी दिलप्रीत सिंह विर्क को मैदान में उतारा है। ये सभी पहली बार चुनाव लड़ रहे हैं। आम आदमी पार्टी ने भारतीय नौसेना में सेवा दे चुके इंजीनियर अजय कुमार को मैदान में उतारा है। यहां से भाजपा प्रत्याशी व योगी सरकार में मंत्री बृजेश पाठक चुनावी मैदान में हैं।
लखनऊ कैंट सीट का सियासी इतिहास भाजपा ( BJP ) के पक्ष में रहा है। 1991 से लेकर 2019 तक के उपचुनाव में केवल 2012 में कांग्रेस के टिकट पर रीता बहुगुणा जोशी भाजपा को हराने में सफल हुई थीं। बाकी सभी चुनावों में भाजपा का परचम लहराता रहा है।
लखनऊ कैंट सीट पर मतदाताओं की संख्या 3,65,241 है। इनमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 1,95,392 है। महिला मतदाता 1,69,828 और थर्ड जेंडर 21 हैं। सबसे ज्यादा ब्राह्मण मतदाता डेढ़ लाख हैं। मुस्लिम मतदाताओं की संख्या 40 हजार है। सिंधी ओर पंजाबी 50 हजार, वैश्य 25 हजार, अनुसूचित जाति के मतदाता 25 हजार हैं। शेष अन्य मदाता हैं।