मद्रास हाईकोर्ट ने लगाया कोरोनिल को लेकर रामदेव पर 10 लाख का जुर्माना, कहा बंद करें ट्रेडमार्क का इस्तेमाल

कोर्ट ने कहा महामारी से डरे हुए लोगों का फायदा उठाते हुए रामदेव कोरोना के इलाज के नाम पर सर्दी, खांसी और बुखार के लिए इम्यूनिटी बूस्टर बेचकर पैसा कमाने की फिराक में लगे हुए थे...

Update: 2020-08-07 04:09 GMT

जनज्वार। योगगुरु के नाम से ख्यात रामदेव (Baba Ramdev) पिछले दिनों कोरोना की दवा Coronil बनाने का दावा कर मीडिया की सुर्खियां में छाये थे। मगर उनके दावे को सरकार और विज्ञान ने उलट कर रख दिया कि अभी तक कोरोना की कोई दवा नहीं बनी है और ऐसा दावा करना लोगों की भावनाओं के साथ खेलना है। बावजूद इसके रामदेव की पतंजलि कंपनी लगातार कोरोनिल का प्रचार—प्रसार कर रही है और उसे बड़े पैमाने पर बेचा जा रहा है।

इसी के मद्देनजर मद्रास हाईकोर्ट (Madras Highcourt) ने पतंजलि आयुर्वेद और दिव्य योग मंदिर ट्रस्ट के खिलाफ 10 लाख रुपये का जुर्माना ठोका है। जस्टिस सीवी कार्तिकेयन ने गुरुवार 6 अगस्त को एक आदेश जारी करते हुए कंपनी के 'कोरोनिल' ट्रेडमार्क इस्तेमाल करने पर पूरी तरह रोक लगाते हुए 10 लाख का जुर्माना जड़ा है।

मद्रास हाईकोर्ट ने रामदेव की कंपनियों पर 10 लाख रुपये का जुर्माना ठोकते हुए कहा कि वे महामारी से डरे हुए लोगों का फायदा उठाते हुए कोरोना के इलाज के नाम पर सर्दी, खांसी और बुखार के लिए इम्यूनिटी बूस्टर बेचकर पैसा कमाने की फिराक में लगे हुए थे। उन्होंने लोगों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ नहीं करना चाहिए।

दूसरी तरफ Ramdev ने 5 अगस्त को भी दावा किया कि पतंजलि आयुर्वेद Coronil की मांग को पूरा करने के लिए जूझ रही है। अभी तक वो फिलहाल रोजाना सिर्फ एक लाख पैकेट की आपूर्ति कर पा रही है। आज रोजोना कोरोनिल के 10 लाख पैकेट की मांग हो रही है, लेकिन हम सिर्फ एक लाख पैकेट ही दे पा रहे हैं। पंतजलि आयुर्वेद ने कोरोनिल की कीमत सिर्फ 500 रुपये रखी है, लेकिन अगर हमने इसकी कीमत 5,000 रुपये रखी होती तो आज हम आसानी से पांच हजार करोड़ रुपये कमा सकते थे, लेकिन हमने ऐसा नहीं किया।'

वहीं इस मामले में मद्रास हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि इस आपदा की घड़ी में कई ऐसी संस्थायें हैं जो कोरोना पीड़ितों की नि:स्वार्थ भाव से मदद कर रही हैं। ऐसे में प्रतिवादी यानी पतंजलि आयुर्वेद और दिव्य योग मंदिर ट्रस्ट उन संस्थाओं को यह जुर्माने की राशि दें।

कोर्ट ने अपने आदेश में कहा, आद्यार कैंसर इंस्टीट्यूट और गवर्नमेंट योग एंड नेचुरोपैथी मेडिकल कॉलेज ऐसी ही दो संस्थायें हैं जो लोगों का फ्री में इलाज कर रही हैं, इसलिए इन दोनों संस्थानों को रामदेव की कंपनियां पांच-पांच लाख रुपये दे। इसके लिए कोर्ट ने 21 अगस्त तक की तारीख तय की है।

कोर्ट ने आदेश दिया कि प्रतिवादी पतंजलि आयुर्वेद और दिव्य योग मंदिर ट्रस्ट 21 अगस्त तक दोनों संस्थाओं को पैसों का भुगतान करे और 25 अगस्त तक हाईकोर्ट के समक्ष इससे संबंधित रजिस्ट्री किसी भी हाल में फाइल हो जानी चाहिए।

गौरतलब है कि चेन्नई की कंपनी अरूद्रा इंजीनियरिंग लिमिटेड की अर्जी पर कोर्ट ने पहले ही पतंजलि कंपनी को ट्रेडमार्क 'कोरोनिल' का इस्तेमाल करने से रोक दिया था। अरूद्रा इंजीनियरिंग लिमिटेड ने कहा कि Coronil 1993 से उसका Trademark है। अरूद्रा इंजीनियरिंग लिमिटेड ने साल 1993 में 'कोरोनिल-213 एसपीएल' और 'कोरोनिल-92 बी' का रजिस्ट्रेशन कराया था और वह तब से उसका रिन्युअल करा रही है।

अरूद्रा इंजीनियरिंग लिमिटेड कंपनी हैवी मशीन और निरूद्ध इकाइयों को साफ करने के लिए कैमिल और सेनेटाइजर बनाती है। कंपनी का कहना है कि उसके पास इस ट्रेडमार्क के लिए 2027 तक हमारा अधिकार वैध है।

इससे पहले आयुष मंत्रालय ने कोरेानिल को कोरोना की दवा के बतौर प्रचारित करने के बाद कहा था कि कंपनी कोविड-19 के उपचार के लिए नहीं, बल्कि प्रतिरोधक वर्धक के रूप में यह दवा बेच सकती है। मंत्रालय ने रामदेव को कड़ी चेतावनी दी थी कि कोरोनिल को कोरोना वायरस के इलाज के रूप में किसी भी हाल में नहीं बेचा जा सकता है।

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