ममता का बड़ा ऐलान, नंदीग्राम से लड़ेंगी चुनाव, शुभेंदु का जवाब - 'दीदी को हराऊंगा या संन्यास ले लूंगा'

पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में अब सबसे रोचक मुकाबला नंदीग्राम में होगा, जहां ममता बनर्जी और शुभेंदु अधिकारी आमने-सामने हो सकते हैं। ममता ने नंदीग्राम को खुद के लिए लकी बताया है, वहीं शुभेंदु ने कहा है कि वे दीदी को कम से कम 50 हजार वोटों से हराएंगे...

Update: 2021-01-18 17:25 GMT

शुभेंदु अधिकारी व ममता बनर्जी।

जनज्वार। पश्मिच बंगाल की मुख्यमंत्री व तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष ममता बनर्जी सोमवार को शुभेंदु अधिकारी के पार्टी छोड़ जाने के बाद पहली बार नंदीग्राम पहुंचीं। ममता बनर्जी ने वहां एक जनसभा को संबोधित करते हुए बड़ा ऐलान किया। ममता बनर्जी ने कहा कि वे खुद इस साल के विधानसभा चुनाव में नंदीग्राम सीट से चुनाव लड़ेंगी। शुभेंदु अधिकारी तृणमूल के उम्मीदवारों के रूप में लगातार नंदीग्राम से जीतते रहे हैं, जो अब भाजपा में चले गए हैं।

ममता बनर्जी ने कहा कि मेरी आत्मा ने मुझसे कहा कि नंदीग्राम तुम्हारे लिए लकी जगह है, पवित्र जगह है, इसलिए तुम नंदीग्राम से लड़ो, इसलिए मैं लड़ूंगी। ममता बनर्जी इस वक्त कोलकाता के भवानीपुर से विधायक हैं। ममता ने जनसभा में कहा कि नंदीग्राम मेरी बड़ी बहन है, भवानीपुर मेरी छोटी बहन है, मैं भवानीपुर से भी मजबूत उम्मीदवार दूंगी। उन्होंने यह भी कहा कि वे दोनों सीटों से भी लड़ सकती हैं। ममता बनर्जी ने अपनी पार्टी की राज्य इकाई के अध्यक्ष सुब्रत बख्शी ने सभा में ही आग्रह किया कि वे नंदीग्राम से उनकी उम्मीदवारी पर विचार करें।

ममता बनर्जी की इस ललकार के कुछ घंटों बाद तृणमूल से भाजपा में गए शुभेंदु अधिकारी ने कोलकाता में कहा कि वे नंदीग्राम से दीदी के खिलाफ चुनाव लड़ेंगे और उन्हें 50 हजार से अधिक वोटों से हराएंगे या फिर राजनीति छोड़ देंगे। ममता सरकार में परिवहन सहित कई मंत्रालयों व कई दूसरी जिम्मेवारियों संभाल रहे शुभेंदु अधिकारी ने लंबी नाराजगी के बाद पिछले साल के आखिरी महीने में तृणमूल कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था और भाजपा नेता व गृहमंत्री अमित शाह की एक रैली में भाजपा में शामिल हो गए थे।

शुभेंदु अधिकारी के भाजपा में शामिल होने को ममता बनर्जी के लिए सबसे बड़ा झटका बताया जा रहा है, क्योंकि उनका राज्य की 60 से 65 विधानसभा सीटों पर खासी पकड़ है। शुभेंदु को पार्टी ने मनाने की भरसक कोशिश की थी, लेकिन फिर भी उनके ंछोड़ जाने के बाद तृणमूल कांग्रेस ने कहा था कि शुभेंदु अधिकारी ममता बनर्जी का उत्तराधिकारी बनना चाहते थे और वे पार्टी में नंबर दो की जगह चाहते थे जिसके लिए संगठन तैयार नहीं था।

हालांकि अब ममता बनर्जी ने रक्षात्मक मुद्रा अपनाने के बजाय आक्रामक मुद्रा अपना कर एक तरह से बढत हासिल करने की कोशिश की है और यह अहसास भी कराया है कि भाजपा की तमाम चुनौतियों व घेरेबंदी के बाद भी उनकी राजनीतिक आक्रमकता कायम है।

ममता बनर्जी पहले जनवरी के पहले सप्ताह में ही नंदीग्राम जाने वाली थीं, लेकिन अचानक उनकी जनसभा रद्द कर दी गयी। इस पर भाजपा उन्हें भयभीत बताने लगी, जिस पर तृणमूल ने कहा कि उस क्षेत्र के स्थानीय नेता व प्रमुख आयोजक के बीमार होने की वजह से मुख्यमंत्री की सभा टली है, रद्द नहीं हुई है और वे निकट भविष्य में वहां जाएंगी।

नंदीग्राम व सिंगुर में वाम सरकार के कार्यकाल में भूमि अधिग्रहण के खिलाफ चले आंदोलन के दौरान विपक्ष की नेता के रूप में ममता बनर्जी उस फैसले के खिलाफ मुखर रूप से लड़ी थीं और वाम सरकार के सत्ता से बाहर होने व ममता के सत्ता में आने की यह अहम वजह बना। इस वजह से ममता नंदीग्राम को खुद के लिए लकी मानती हैं।

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