मोदी सरकार हिंदू नहीं ताकतवर पूंजीपतियों की वफादार, ₹300 प्रति क्विंटल का घाटा खाकर कैसे जियेंगे किसान

देश में मोदी सरकार के हिंदूवादी होने का झूठा भ्रम सिर्फ इसलिए बनाया जा रहा है, ताकि कारपोरेट के लिए काम करने वाली सरकार की पोल ना खुले और जनता इसी नशे में डूबी रहे कि सरकार हिंदू हितों की संरक्षक है...

Update: 2023-01-04 08:31 GMT

संयुक्त राष्ट्र वैश्विक खाद्य सम्मेलन में किसानों के बजाय पूंजीपतियों को मिला महत्व (photo : Dharmender Srivastava)

हरेराम मिश्रा की टिप्पणी

उत्तर प्रदेश में खरीफ कृषि सत्र 2022-23 के लिए मोटे धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य(MSP) ₹2040 प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है. यही मोटा धान किसानों से छोटे व्यापारियों और बिचौलियों द्वारा लगभग 1500 से 1600 रुपए प्रति क्विंटल के भाव से खूब ख़रीदा जा रहा है.

अगर हम इसमें पल्लेदारी और भाड़े का खर्च अधिकतम डेढ़ सौ रुपया प्रति क्विंटल भी मान लें तो धान खरीदने वाले छोटे व्यापारियों और बिचौलियों को लगभग ₹300 प्रति क्विंटल का मुनाफा हो रहा है. मतलब यह कि धान उत्पादक किसानों को कम से कम प्रति क्विंटल ₹300 का शुद्ध घाटा हो रहा है. लगातार बढ़ती लागत के बावजूद किसानों से यह लाभ बिचौलियों द्वारा एक चेन बनाकर हड़प लिया जा रहा है.

यह स्थिति तब है जब देश में एक हिंदूवादी सरकार होने का दावा किया जा रहा है.और जब इस देश में हिंदुओं की आबादी ज्यादा है तो किसान भी हिंदू ही ज्यादा होंगे.

फिर यह हिन्दुवादी सरकार इस देश के हिंदुओं को ही एमएसपी क्यों नहीं दिलवा पा रही है और अपने को हिंदूवादी सरकार कहने वाली नरेंद्र मोदी की यह सरकार इन किसानों के साथ कैसा न्याय कर रही है?

क्या इस कथित राम राज्य में, जहां पहले से ही आवारा जानवरों ने किसानों की नाक में दम कर रखा है, उनकी बर्बादी की पटकथा लिख रहे हैं- ₹300 प्रति क्विंटल का घाटा खाने वाले ये किसान सर्वाइव कर पाएंगे? वह कर्ज के तले दबकर खेती तबाह होने से आत्महत्या के लिए मजबूर नहीं होंगे तो क्या करेंगे?

सवाल यह भी है कि यह पैसा किस की जेब में जा रहा है? क्या श्री नरेंद्र मोदी की सरकार को यह पता नहीं है? या फिर किसानों की कमाई हड़पने में सरकार बिचौलियों और पूंजीपतियों की मदद कर रही है?

क्या ₹300 प्रति क्विंटल का घाटा खाने वाले किसानों का पैसा जिन बिचौलियों के पास जा रहा है वह काली पूंजी इकट्ठा नहीं कर रहे हैं? आखिर मोदी सरकार किसानों का गला घोटने पर क्यूँ आमादा है? क्या नरेंद्र मोदी के पास इतनी हिम्मत है कि वह किसानों को उनका वाजिब हक एमएसपी दिलवाने की पहल करें और गारंटी भी करें?

सच्चाई यह है कि यह एक सफेद झूठ है कि सरकार हिंदूवादी सरकार है. इसे देश के अन्नदाता किसानों से कुछ भी लेना देना नहीं है.यह मूलतः चंद ताकतवर कारपोरेट के लिए काम करने वाली, उनकी वफादार सरकार है जिसके लिए किसान मायने ही नहीं रखते.

इस देश में मोदी सरकार के हिंदूवादी होने का झूठा भ्रम सिर्फ इसलिए बनाया जा रहा है, ताकि कारपोरेट के लिए काम करने वाली सरकार की पोल ना खुले और जनता इसी नशे में डूबी रहे कि सरकार हिंदू हितों की संरक्षक है. यह सरकार अब तक की सबसे बड़ी किसान मजदूर और नौजवान विरोधी सरकार है. अन्यथा किसानों की कमाई को इस तरह से बिचैलिए नहीं हड़प लेते.

बात यहीं तक सीमित नहीं है. यह सवाल तो उत्तर प्रदेश में विपक्ष में बैठे उन दलों से भी है कि आखिर उन्हें किसानों की यह सीधी लूट तो दिखाई नहीं पड़ती और वह इसके खिलाफ सड़क पर उतरने की हिम्मत क्यों नहीं दिखाते?

क्या किसानों का गाढ़ी कमाई का पैसा लूट खाने के इस नेटवर्क में वह भी हिस्सेदार नहीं है?

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