केंद्र की भाजपा सरकार ने लेटरल एंट्री पर लिया यू टर्न, अब PM मोदी नहीं कर पायेंगे अपने मन से अधिकारियों की नियुक्ति !

लेटरल एंट्री पर नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी कहते हैं, 'संविधान और आरक्षण व्यवस्था की हम हर कीमत पर रक्षा करेंगे। भाजपा की ‘लेटरल एंट्री’ जैसी साजिशों को हम हर हाल में नाकाम कर के दिखाएंगे। मैं एक बार फिर कह रहा हूं - 50% आरक्षण सीमा को तोड़ कर हम जातिगत गिनती के आधार पर सामाजिक न्याय सुनिश्चित करेंगे...'

Update: 2024-08-20 12:33 GMT

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UPSC withdraws lateral entry : मोदी सरकार 15 दिन के भीतर तीसरी बार यू टर्न लेते हुए लेटरल एंट्री के तहत होने वाली भर्ती को तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिया है। इससे पहले सरकार वक्फ बोर्ड के कानूनों में बदलाव और एससीएसटी आरक्षण में वर्गीकरण को लागू करने के मामले में पीछे हट चुकी है।

असल में लेटरल एंट्री के तहत भारत सरकार के 24 मंत्रालयों में संयुक्त सचिव, निदेशक और उप सचिव कुल 45 पदों पर भर्ती करने का विज्ञापन यूपीएससी ने निकाला था। इसी भर्ती का विरोध आरक्षण का लाभ पाने वाली जातियों से जुड़े नेता और लाभार्थी कर रहे थे। उसके बाद यह मुद्दा इतना बड़ा हो गया कि दूसरी विपक्षी नेताओं के साथ नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने कह दिया कि लेटरल एंट्री के जरिए मोदी सरकार आरएसएस के काडरों की भर्ती करने की साजिश रच रही है।

तो सबसे पहले यह जानिए कि लेटरल एंट्री क्या है...

लेटरल एंट्री का मतलब निजी क्षेत्र के विशेषज्ञों की सीधी भर्ती से है। इसके माध्यम से केंद्र सरकार के मंत्रालयों में संयुक्त सचिवों, निदेशकों और उप सचिवों के पदों की भर्ती की जाती है। इस भर्ती में किसी तरह के आरक्षण को नहीं लागू किया जाता। यह अवधारणा सबसे पहले 2005 में कांग्रेस नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार ने पेश किया था। 2005 में वीरप्पा मोइली की अध्यक्षता में बने दूसरे प्रशासनिक सुधार आयोग (एआरसी) ने इसका समर्थन किया था।

आरक्षण के व्यवस्था इन 45 उच्च प्रशासनिक पदों पर न होने से साफ था कि आरक्षण के लाभ को खत्म करने का मोदी सरकार ने एक नया रास्ता निकाला है। अब पीएम मोदी के निर्देश के बाद केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने यूपीएससी मुखिया को इस भर्ती को तत्काल प्रभाव से रोकने को कहा है। इसे दलित, पिछड़े और आदिवासी नेताओं और जनता की जीत माना जा रहा है।

इस मसले पर अखिलेश यादव ने अपने एक्स एकाउंट पर लिखा है, 'यूपीएससी में लेटरल एन्ट्री के पिछले दरवाज़े से आरक्षण को नकारते हुए नियुक्तियों की साज़िश आख़िरकार पीडीए की एकता के आगे झुक गयी है। सरकार को अब अपना ये फ़ैसला भी वापस लेना पड़ा है। भाजपा के षड्यंत्र अब कामयाब नहीं हो पा रहे हैं, ये PDA में आए जागरण और चेतना की बहुत बड़ी जीत है। इन परिस्थितियों में समाजवादी पार्टी ‘लेटरल भर्ती’ के ख़िलाफ़ 2 अक्टूबर से शुरू होनेवाले आंदोलन के आह्वान को स्थगित करती है, साथ ही ये संकल्प लेती है कि भविष्य में भी ऐसी किसी चाल को कामयाब नहीं होने देगी व पुरज़ोर तरीके से इसका निर्णायक विरोध करेगी। जिस तरह से जनता ने हमारे 2 अक्टूबर के आंदोलन के लिए जुड़ना शुरू कर दिया था, ये उस एकजुटता की भी जीत है। लेटरल एंट्री ने भाजपा का आरक्षण विरोधी चेहरा उजागर कर दिया है।'

वहीं नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी लैटरल एंट्री पर रोक के मसले पर कहते हैं, 'संविधान और आरक्षण व्यवस्था की हम हर कीमत पर रक्षा करेंगे। भाजपा की ‘लेटरल एंट्री’ जैसी साजिशों को हम हर हाल में नाकाम कर के दिखाएंगे। मैं एक बार फिर कह रहा हूं - 50% आरक्षण सीमा को तोड़ कर हम जातिगत गिनती के आधार पर सामाजिक न्याय सुनिश्चित करेंगे।'

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