कैप्टन सरकार को 'अलीबाबा और चालीस चोर' कहने वाले नवजोत सिद्धू के सलाहकार ने दिया इस्तीफा

मालविंदर सिंह माली ने इससे पहले कश्मीर के मसले पर विवादित बयान दिया था। कश्मीर को भारत व पाकिस्तान का हिस्सा ही नहीं माना था। इससे कुछ समय पहले स्वर्गीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी पर भी टिप्पणी की थी....

Update: 2021-08-27 07:48 GMT

(नवजोत सिद्धू ने कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष पद संभालने के बाद राजनीतिक विश्लेषक मलविंदर सिंह माली को नियुक्त किया था सलाहकार)

मनोज ठाकुर की रिपोर्ट

जनज्वार ब्यूरो/चंडीगढ़। जैसे जैसे चुनाव नजदीक आ रहे हैं, पंजाब कांग्रेस में उठाक पटक तेज हो रही है। ताजा मामला यह है कि कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू के सलाहकार मलविंदर सिंह माली ने सिद्धू को छोड़ने का ऐलान कर दिया है। मलविंदर सिंह माली अपनी नियुक्ति के बाद ही विवादित बयानों को लेकर सुर्खियों में थे। ताजा बयान उन्होंने पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह के बारे में दिया था, इसमें उन्होंने कहा था, ' अलीबाबा और चालीस चोर' उन्होंने सिद्धू को अली बाबा और सरकार को चालीस चोर बोला था।

मालविंदर सिंह माली ने इससे पहले कश्मीर के मसले पर विवादित बयान दिया था। कश्मीर को भारत व पाकिस्तान का हिस्सा ही नहीं माना था। इससे कुछ समय पहले स्वर्गीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी पर भी टिप्पणी की थी। अभी यह विवाद थमे भी नहीं थे  कि माली ने कांग्रेस के सीनियर लीडर मनीष तिवारी को लुधियाना का भगोड़ा करार दिया था।

नवजोत सिंह सिद्धू ने कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष पद संभालने के बाद दो मीडिया एडवाइजर जगतार सिद्धू और सुरिंदर डल्ल को नियुक्त किया। चार राजनीतिक सलाहकार नियुक्त किए। इसमें पूर्व डीजीपी मोहम्मद मुस्तफा, लोकसभा सदस्य अमर सिंह, स्वास्थ्य कार्यकर्ता और स्वास्थ्य विज्ञान बाबा फरीद विश्वविद्यालय के पूर्व कुलसचिव प्यारे लाल ग्राग और राजनीतिक विश्लेषक मलविंदर सिंह माली को भी नियुक्त किया था। इसमें आईपीएस मोहम्मद मुस्तफा ने पहले ही अपना पद छोड़ने की घोषणा की थी। अब मलविंदर सिंह माली ने भी पद छोड़ दिया है।

पंजाब के वरिष्ठ पत्रकार सुखदेव सिंह चीमा ने बताया कि सिद्धू ऐसे लोगों को बढ़ावा दे रहे हैं जो कैप्टन के प्रति मुखर तेवर रखते हो। दो दिन पहले ही कैप्टन को पद से हटाने की मांग करते हुए केंद्रीय आला कमान से कुछ विधायक और मंत्री पहुंचे। सिद्धू की दिक्कत यह है कि वह कैप्टन के सामने अभी भी कमजोर है। इसलिए बार बार कैप्टन को डाउन करने की कोशिश की जा रही है। इसमें दो राय नहीं कि इससे नुकसान कांग्रेस का ही होगा।

चीमा ने कहा, 'इस वक्त कांग्रेस पंजाब में मजबूत स्थिति में हैं, लेकिन इस तरह का विवाद कांग्रेस को कमजोर कर रहा है। मलविंदर सिंह माली की नियुक्त ही नहीं होनी चाहिए थी। क्योंकि पूरा पंजाब जानता है कि वह अपने मुखर विचारों की वजह से अक्सर विवादों रहते हैं। कांग्रेस की संस्कृति के साथ तो वह कोई मेल नहीं खा रहे थे। इसके बाद भी सिद्धू ने उनकी नियुक्ति पता नहीं क्या सोच कर की? परिणाम अब सामने हैं। '

उन्होंने यह भी कहा कि ऐसा लग रहा है कि सिद्धू अति उत्साह में है। उन्हें लगता है कि पार्टी आलाकमान उनकी हर बात मान लेगा। लेकिन ऐसा नहीं होता। होना तो चाहिए था कि सिद्धू प्रदेश में कांग्रेस को मजबूत करते। लेकिन वह तो कैप्टन को कमजोर कर रहे हैं। जो किसी भी मायने में सही नहीं ठहराया जा सकता है।

पंजाब राजनीति की समझ रखने वाले डॉक्टर एसके बाली ने बताया कि किसान आंदोलन पर कैप्टन का रुख बहुत ही सधा हुआ  रहा है। गन्ना उत्पादक किसानों की समस्या गंभीर होती नजर आ रही थी। इसे भी उन्होंने बहुत ही अच्छे ढंग से निपटाया। अब गन्ना उत्पादक किसान पूरी तरह से संतुष्ट है, क्योंकि उन्हें हरियाणा से भी दो रुपए प्रति क्विंटल भाव ज्यादा मिल गया।

एसके बाली ने बताया कि पंजाब में कैप्टन सरकार ने ऐसा कोई बड़ा मुद्दा नहीं दिया, जिस पर विपक्ष उन्हें घेर सके। इसके बाद भी सिद्धू और उसके सलाहकार विवादित बयान देकर मुद्दे खड़े कर रहे हैं। मालविंदर माली के बयानों पर पंजाब से लेकर दिल्ली तक हलचल है।

उन्होंने यह भी बताया कि ऐसा पहली बार हो रहा है कि कांग्रेस का प्रदेशाध्यक्ष सलाहारों की एक फौज खड़ी कर रहा है। समझ में नहीं आ रहा कि वह करना क्या चाह रहे हैं। उनके चार में से तीन राजनीतिक सलाहकार इस वक्त सिद्धू के लिए ही परेशानी की वजह बन गए हैं। क्योंकि आईपीएस मोहम्मद मुस्तफा पहले ही काम करने से मना कर चुके हैं। मलविंदर सिंह माली विवादों में आकर पद छोड़ने की घोषणा कर रहे हैं। एक अन्य सलाहकार प्यारे लाल भी अपने विवादित बोलों में फंस कर पार्टी की किरकिरी करा चुके है। इस तरह से देखा जाए तो सिद्धू के सलाहकार कांग्रेस और स्वयं प्रधान के लिए परेशानी की वजह बन गए हैं।

पंजाब की राजनीति की समझ रखने वालों का कहना है कि सिद्धू तेज रफ्तार से चल रहे हैं । वह एक झटके में सब कुछ हासिल करना चाह रहे हैं। उनकी कोशिश है कि या तो कैप्टन को सीएम पद से हटा दिया जाए। यदि हटाया नहीं जाता तो कम से कम ऐसा हो कि पंजाब की राजनीति उनके इर्द गिर्द घूमे। फिलहाल ऐसा होता नजर नहीं आ रहा है। कैप्टन को इतनी जल्दी सिद्धू न तो कमजोर कर सकते हैं, न ही उन्हें पद से हटा सकते हैं।

वीरवार की रात जिस तरह से कैप्टन के समर्थकों ने डिनर पर एकजुटता दिखाई, इसके बाद सिद्धू पर दबाव बनता नजर आ रहा है। इसका पहला असर यह रहा कि मालविंदर सिंह माली को अपना पद छोड़ने की घोषणा करनी पड़ी।

मालविंदर से जब इस मामले में संपर्क करने की कोशिश की तो उन्होंने फोन नहीं उठाया। अलबत्ता उन्होंने अपने फेसबुक पेज पर कई राजनेताओं को इसलिए जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा कि उसके बयानों का गलत मतलब निकाला जा रहा है। कुछ लोग उन्हे अपने एजेंडे के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं। इसलिए वह पद छोड़ रहे हैं। कांग्रेस प्रधान नवजोत सिंह सिद्धू ने भी इस मामले में कोई टिप्पणी नहीं की है।

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