PK ने दिनकर के हवाले से नीतीश को दिया बड़ा संकेत, कहा - तेरी सहायता से जय तो पा जाऊंगा, जनता को क्या मुंह दिखलाऊंगा?
नीतीश ( Nitish kumar ) की तरह चुनावी रणनीतिकार के रूप में प्रशांत ( Prashant kishor ) भी पाला बदलते रहे हैं। सवाल यह है कि एक बार और पाला बदल लेंगे तो क्या हो जाएगा, पर ऐसा नहीं है। पीके को डर है कि ऐसा करने पर बिहार की जनता उन्हें माफ नहीं करेगी।
पटना। जेडीयू प्रमुख नीतीश कुमार ( Nitish Kumar ) भाजपा ( BJP ) का दामन छोड़ आरजेडी ( RJD ) सहित महागठबंधन ( Mahagathbandhan ) के अन्य दलों के साथ बनाने में तो कामयाब हो गए, लेकिन उनकी सियासी चुनौतियां कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। भाजपा नेता और प्रशांत किशोर ( Prashant kishor ) ने दावा किया था कि बिहार में बहुत जल्द और बदलाव देखने को मिलेगा। अब वो होता भी दिखाई देने लगा है। विपक्ष की ओर से पीएम पद की दावेदारी को लेकर मोदी विरोधी सियासी दलों के नेताओं से दिल्ली में मुलाकात के बाद नीतीश कुमार पटना वापस लौट चुके हैं, लेकिन उनके चेहरे पर वो चमक नहीं है, जिसके दावे भाजपा से गठबंधन तोड़ने के बाद किए जा रहे थे।
इस बार सियासी खिचड़ी पकने की उम्मीद कम
दिल्ली से पटना लौटने के बाद सीएम नीतीश कुमार ने चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ( PK ) से मुलाकात की। उनकी ये मुलाकात दो घंटे से ज्यादा देर तक चली। बताया जा रहा है कि नीतीश ने पीके को जेडीयू और महागठबंधन का साथ देने और भाजपा को लोकसभा चुनाव में हराने के लिए एक साथ आने का ऑफर दिया है। उसके बाद से इस बात की चर्चा जोरों पर है कि क्या पीके नीतीश के साथ हाथ मिलाएंगे।
पिछले 48 घंटे के दौरान बिहार ( Bihar ) की राजनीति में ऐसा लगने लगा था कि पीके जेडीयू खेमे में वापस लौट सकते हैं, लेकिन ये क्या प्रशांत किशोर ने बयान देने के बदले एक ट्विट कर जेडीयू और महागठबंधन खेमे के नेताओं को सकते में डाल दिया है। ऐसा इसलिए कि उनकी इस ट्वीट में उनके फैसले के संकेत भी मिल रहे हैं।
पीके ने रामधारी सिंह दिनकर की रश्मिरथी की दो पंक्तियां पोस्ट की हैं। प्रशांत किशोर ने लिखा है – ' तेरी सहायता से जय तो मैं अनायास पा जाऊंगा, आनेवाली मानवता को, लेकिन क्या मुख दिखलाऊंगा?' उनके इस ट्वीट में उन अटकलों पर विराम लगता दिख रहा है जिसमें पीके के दोबारा नीतीश कुमार के साथ जाने की बात कही जा रही है।
7 साल पहले नीतीश-लालू को साथ लाने में निभा चुके हैं अहम भूमिका
प्रशांत किशोर ( Prashant ) ने 2015 के विधानसभा चुनावों में लालू प्रसाद यादव की राष्ट्रीय जनता दल और नीतीश कुमार ( Nitish Kumar ) की जनता दल यूनाइटेड के बीच गठबंधन कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इसके बदले नीतीश कुमार ने पीके को अपनी पार्टी में शामिल कराया। उन्हें जेडीयू का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया। उसके बाद प्रशांत किशोर ने विवादास्पद नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 और प्रस्तावित राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर का विरोध किया तो जेडीयू ने उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता दिखला दिया। एक कार्यक्रम में नीतीश कुमार से जब पीके की जेडीयू में एंट्री और फिर बाहर का रास्ता दिखाने को लेकर सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि अमित शाह के कहने पर उन्होंने प्रशांत किशोर को जेडीयू जॉइन कराया था।
इसके बाद प्रशांत किशोर ने चुनावी रणनीतिकार के रूप में अपना काम फिर से शुरू किया। उन्होंने पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस के साथ किया जो कि 2021 में शानदार बहुमत के साथ सत्ता में वापस आने में सफल हुई। बंगाल के नतीजे के बाद पीके ने ऐलान किया कि अब वह दोबारा चुनावी रणनीतिकार के रूप में काम नहीं करेंगे। इस ऐलान के एक साल बाद उन्होंने बिहार में जन सूरज नाम से एक कार्यक्रम शुरू किया। पिछले पांच माह से वो इसी अभियान में बिहार के अलग-अलग शहरों का दौरा कर रहे हैं। माना जा रहा है कि वो अभियान समाप्त होने के बाद एक नये राजनीतिक दल की घोषणा कर सकते हैं।
पीके को किस बात का सता रहा है डर
फिलहाल, नीतीश कुमार के दोबोरा महागठबंधन में शामिल होने के बाद प्रशांत किशोर और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बीच वाकयुद्ध चल रहा है, लेकिन नीतीश कुमार के साथ उनकी हाल की मुलाकात की खबरें ने दोबारा जेडीयू में वापसी की अटकलों को जन्म दे दिया है। उस मुलाकात के बारे में पूछे जाने पर नीतीश कुमार ने पटना में मीडिया से कहा था कि यह एक सामान्य बैठक थी। इसमें बहुत कुछ नहीं था। पवन वर्मा उन्हें लेकर आये थे। उसके बाद प्रशांत किशोर का ताजा ट्विट नीतीश की योजना पर पानी फेरता नजर आ रहा है। सियासी जानकार इस बात के कयास लगा रहे हैं कि अगर पीके ने नीतीश का साथ दिया तो बिहार के लोगों का उनसे भी भरोसा उठ जाएगा। ऐसा इसलिए कि नीतीश की तरह चुनावी रणनीतिकार के रूप में प्रशांत भी पाला बदलते रहे हैं। सवाल यह है कि एक बार और पाला बदल लेंगे तो क्या हो जाएगा, पर ऐसा नहीं है। पीके को डर है कि ऐसा करने पर बिहार की जनता उन्हें कभी माफ नहीं करेगी।