PM Modi ने रखी गंगा एक्सप्रेस-वे की आधारशिला तो मायावती कनेक्शन पर गरमाई राजनीति, जानें क्या है पंगा?

Ganga Expressway : गंगा एक्सप्रेसवे पीएम मोदी की गतिशक्ति योजना का अहम हिस्सा माना जा रहा है। गंगा एक्सप्रेस-वे से यूपी में औद्योगिक विकास, व्यापार, कृषि, पर्यटन आदि को बढ़ावा मिलेगा। इससे क्षेत्र के सामाजिक-आर्थिक विकास को भी प्रोत्साहन मिलेगा।

Update: 2021-12-18 11:14 GMT

धीरेंद्र मिश्र/नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश में फरवरी 2022 में विधानसभा चुनाव है, लेकिन गंगा को लेकर सियासी पंगा अभी से चरम पर है। सियासी जंग का बीजारोपण उसी समय हो गया था जब सीएम योगी आदित्यनाथ (  CM Yogi Adityanath ) ने पीएम नरेंद्र मोदी ( PM Narendra Modi ) से गंगा एक्सप्रेस-वे का आधारशिला रखवाने का फैसला लिया। दरअसल, उत्तर प्रदेश ( Uttar Pradesh ) के शाहजहांपुर में करीब 600 किलोमीटर लंबे गंगा एक्सप्रेस-वे ( Ganga Expressway ) की आधारशिला पीएम मोदी आज रखी। इसका असर विधानसभा चुनावों पर होना तय माना जा रहा है। यही कारण है कि प्रदेश की सभी प्रमुख पार्टियां इसका क्रेडिट लेने की होड़ में अभी से जुट गई हैं।

अखिलेश ने योगी को किया बेनकाब

भाजपा नेताओं के लिए चुभने वाली बात यह है कि सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ( Akhilesh Yadav ) ने ये कह दिया कि गंगा एक्सप्रेस-वे का सपना पूर्व सीएम और बसपा प्रमुख मायावती ने देखा था। बस क्या था, उसके बाद से गंगा एक्सप्रेस-वे ( Ganga Expressway ) से मायावती का भी नाम जुड़ गया। अखिलेश का यह काम भाजपा को रास नहीं आया और बीजेपी नेता उनके पीछे पड़ गए हैं। खास बात यह है कि अखिलेश यादव ने मायावती ( Mayawati )  नाम लेकर भाजपा के उन आरोपों को खारिज कर दिया जिसमें यह कहा जाता रहा है कि कुछ भी क्यों न कर लो अखिलेश यही दावा करेंगे कि ये काम तो वो पहले ही कर चुके है। भाजपा वाले हमारे किए काम को अब क्रेडिट ले रहे हैं। ऐसा कर सपा प्रमुख ने भाजपा को इसका अकेले क्रेडिट भी नहीं लेने दिया और खुद पर लगने वाले आरोपों को भी खारिज कर दिया।

मायावती के बीच में आने से फ्लॉप शो साबित हुई भाजपा का रणनीति

सपा सुप्रीमो के इस रणनीति ने गंगा एक्सप्रेस-वे को लेकर भाजपा की चुनावी रणनीति को धारहीन या यूं कहें कि कुंद कर दिया है। ऐसा कर अखिलेश ने यह जातने की भी कोशिश की है कि जो काम जिसने किया उसे ही उसका क्रेडिट मिले। यही वजह है कि भाजपा का गंगा एक्सप्रेस-वे शो एक तरफ से फ्लॉप शो साबित हुई।

सामाजिक-आर्थिक विकास का वाहक बनेगा एक्सप्रेस-वे

दूसरी तरफ ( PMO ) ने एक बयान में कहा कि देश भर में तेज गति से संपर्क प्रदान करने को लेकर प्रधानमंत्री की दूरदृष्टि ही इस एक्सप्रेस-वे के निर्माण की प्रेरणा रही है। बता दें कि इससे पहले पीएम मोदी ने पिछले महीने 16 नवंबर को सुल्तानपुर जिले में पूर्वांचल एक्सप्रेस (Purvanchal Expressway) का उद्घाटन किया था। गंगा एक्सप्रेसवे को भी उनकी गतिशक्ति योजना का अहम हिस्सा माना जा रहा है। गंगा एक्सप्रेस-वे से औद्योगिक विकास, व्यापार, कृषि, पर्यटन आदि क्षेत्रों को यूपी में बढ़ावा मिलेगा। इससे क्षेत्र के सामाजिक-आर्थिक विकास को भी प्रोत्साहन मिलेगा।

ये है मायावती कनेक्शन

उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने ही सहसे पहले इस एक्सप्रेस-वे की कल्पना की थी। साल 2007 में जब मायावती ने नई सोशल इंजीनियरिंग कर राज्य में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई थी, तब उन्होंने 1047 किलोमीटर लंबे गंगा एक्सप्रेस-वे की योजना बनाई थी, जो दिल्ली से सटे ग्रेटर नोएडा से शुरू होकर बिहार के नजदीक बलिया तक प्रस्तावित थी लेकिन एक एनजीओ ने प्रोजेक्ट के अलाइनमेंट को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दे दी थी।

हाईकोर्ट ने लगाई थी रोक

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 2009 में यह कहते हुए इस प्रोजेक्ट को खारिज कर दिया था कि यह पर्यावरण संरक्षण कानून के प्रावधानों के खिलाफ है। मायावती ने गंगा के किनारे-किनारे यह हाई-वे बनाने का प्रोजेक्ट बनाया था। इसके 10 साल बाद मायावती की गलती से सबक लेते हुए योगी सरकार ने जनवरी 2019 में फिर से गंगा एक्सप्रेस-वे बनाने का ऐलान किया लेकिन यह गंगा के किनारों पर स्थित न होकर वहां से 10 किलोमीटर दूर बनाने का प्रस्ताव पास किया।

खिर क्या है गंगा एक्सप्रेस-वे, जिसको लेकर मची है सियासी 'रार'

गंगा एक्सप्रेस दिल्ली बॉर्डर से बलिया तक गंगा किनारे 1020 किलोमीटर में बनने वाला एक्सप्रेस-वे है। इस प्रोजेक्ट के पहले चरण में 594 किलोमीटर लंबा छह लेन वाला यह एक्सप्रेस-वे मेरठ के बिजौली गांव के पास से शुरू होकर प्रयागराज के जुदापुर दांडू गांव तक जाएगा। चुनाव से ठीक पहले पीएम मोदी ने इसी एक्सप्रेस—वे की आज आधारशिला रखी है। इस एक्सप्रेस—वे के निर्माण पर 36,200 करोड़ रुपए से अधिक की लागत आने की संभावना है।

यह एक्सप्रेस-यूपी के पश्चिमी और पूर्वी क्षेत्रों को जोड़ने वाला महत्वाकांक्षी योजना है। पूरी तरह से तैयार होने के बाद यह उत्तर प्रदेश का सबसे लंबा एक्सप्रेस-वे बन जाएगा। प्रोजेक्ट के दूसरे चरण में एक्सप्रेस-वे प्रयागराज से बलिया तक कुल 316 किलोमीटर लंबाई में बनाया जाना है। फेज-2 में ही दिल्ली के तिगड़ी से यूपी बॉर्डर तक 110 किलोमीटर में एक्सप्रेस-वे प्रस्तावित है।

गंगा एक्सप्रेस-वे पर शाहजहांपुर में 3.5 किलो मीटर लंबी हवाई पट्टी भी बनाई जाएगी जो वायुसेना के विमानों को इमरजेंसी उड़ान भरने और उतरने में सहायता प्रदान करेगी। एक्सप्रेस-वे के साथ एक औद्योगिक गलियारा बनाने का भी प्रस्ताव है। एक्सप्रेस-वे पर ट्रॉमा सेंटर और हेलीपैड्स बनाने की भी योजना है। ताकि वहां से एयर एम्बुलेंस की सुविधा शुरू की जा सके।

किन-किन जिलों से गुजरेगा गंगा एक्सप्रेस-वे?

गंगा एक्सप्रेस-वे मेरठ, हापुड़, बुलंदशहर, अमरोहा, संभल, बदायूं, शाहजहांपुर, हरदोई, उन्नाव, रायबरेली, प्रतापगढ़ और प्रयागराज से होकर गुजरेगा। एक्सप्रेस-वे के लिए जरूरी 518 ग्राम पंचायतों के 7368 हेक्टेयर जमीन अधिग्रहण का करीब 96 फीसदी काम पूरा हो चुका है।

बता दें कि उत्तर प्रदेश और केंद्र की सत्ताधारी पार्टी बीजेपी विधान सभा चुनावों से पहले जहां एक्सप्रेस-वे, एयरपोर्ट, एम्स अस्पताल जैसे बड़े आधारभूत संरचनात्मक विकास वाली परियाजनाओं का ताबड़तोड़ शिलान्यास, आधारशिला और उद्घाटन कार्यक्रम कर रही है। वहीं विपक्षी समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव यह आरोप लगाते रहे हैं कि बीजेपी की सरकार पुरानी सरकारों की योजनाओं का फीता काट रही है। भाजपा को दूसरी सरकारों के काम का क्रेडिट लेने का शौक है। पूर्वांचल एक्सप्रेसवे तो हमारा काम था। इसी तरह काशी विश्वनाथ धाम के नव्य रूप का काम हमने शुरू किया था और गंगा एक्सप्रेसवे का सपना मायावती जी ने देखा था।

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