पीएम की सुरक्षा में चूक के बहाने देश में बदल गया बहस का मुद्दा, अब चुनाव पर नहीं, पीएम की सुरक्षा पर सब कर रहे हैं चर्चा

पंजाब में पीएम नरेंद्र मोदी की सुरक्षा में हुई चूक ने देशभर में सियासी विमर्श को बदलकर रख दिया। एसएसपी को सस्पेंड कर दिया गया है। डीजीपी और मुख्य सचिव को हटाने की मांग हो रही है। भाजपा कांग्रेस सरकार पर हमलावर है तो कांग्रेस ने इसे केंद्र का प्रायोजित ड्रामा करार दिया है।

Update: 2022-01-06 12:23 GMT

अब चुनाव पर नहीं, पीएम की सुरक्षा पर सब कर रहे हैं चर्चा

पीएम की सुरक्षा में चूक पर धीरेंद्र मिश्र का विश्लेषण :

नई दिल्ली। फरवरी 2022 में पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव ( Assembly Election 2022 ) होना है। इसमें सियासी नजरिए से सबसे अहम राज्य उत्तर प्रदेश ( Uttar Pradesh ) है। इस बार यूपी में पीएम मोदी और सीएम योगी की स्थिति अच्छी नहीं है। ऐसे में बुधवार को पंजाब में पीएम नरेंद्र मोदी ( PM Narendra Modi ) की सुरक्षा में हुई चूक ने देशभर में सियासी विमर्श को बदलकर रख दिया। एसएसपी को सस्पेंड कर दिया गया है। डीजीपी और मुख्य सचिव को हटाने की मांग हो रही है। भाजपा ( BJP ) कांग्रेस सरकार पर हमलावर है तो कांग्रेस ( Congress ) ने इसे केंद्र का प्रायोजित ड्रामा करार दिया है। सुप्रीम कोर्ट ( Supreme Court ) में पीएम की सुरक्षा ( PM Security ) को लेकर एक वकील ने याचिका भी दायर करा दी है। इन घटनाक्रमों के बीच सभी टीवी चैनलों, सोशल मीडिया प्लेटफार्मों सहित अन्य सभी मंचों पर पीएम की सुरक्षा ही बहस ( Debate ) का के्द्रीय विषय हो गया है। पांच राज्यों में चुनाव की बात कोई नहीं करता। आखिर क्यों?

महंगाई, बेरोजगारी, गरीबी, देश की खराब अर्थव्यवस्था और विकास का मुद्दा बहस से बाहर हो गया है। जबकि पीएम मोदी की सुरक्षा में चूक को लोग अलग-अलग नजरिए से ले रहे हैं। कोई इसे चूक मान रहा है तो एक बहुत बड़ा तबका उन लोगों की भी है जो इस घटना को जरूरत से ज्यादा अहमियत नहीं देना चाहते हैं। ऐसे लोगों की नजर में पीएम की सुरक्षा का मुद्दा इस समय केवल मात्र बहस का विषय कैसे हो सकता है। आइए, हम आपको बताते हैं कि 20 मिनट तक फ्लाईओवर पर फंसे रहने के बाद प्रधानमंत्री मोदी बिना रैली किए ही वापस लौटने की घटना ने कई सवाल क्यों खड़े कर दिए हैं।

किसने दिया पीएम के काफिले को ग्रीन सिग्नल

केंद्रीय गृह मंत्रालय ( Union Home Ministry ) के मुताबिक पीएम मोदी बुधवार की सुबह बठिंडा एयरपोर्ट पर उतरे। उन्हें हेलिकॉप्टर से हुसैनीवाला में राष्ट्रीय शहीद स्मारक पहुंचना था। मौसम खराब होने से एयरपोर्ट पर पीएम ने 20 मिनट इंतजार किया। बाद में सड़क के रास्ते जाने का फैसला लिया गया। वहां सड़क मार्ग से जाने के लिए पंजाब पुलिस की डीजीपी ने रूट को ग्रीन सिग्नल दिया था। उसके बाद ही पीएम मोदी का काफिला सड़क के रास्ते रवाना हुआ। तो क्या पीएम के काफिले को गलत जानकारी दी गई? इसका अभी तक स्पष्ट जवाब सामने नहीं आया है। जवाब देने के बदले राजनीति जरूरी हो रही है।

तत्काल रास्ता खाली क्यों नहीं कराया गया

अभी तक जो वीडियो सामने आए हैं उसके मुताबिक पीएम मोदी के काफिले से लोग ज्यादा दूर नहीं थे। सवाल उठता है कि अगर फ्लाईओवर पर काफिला फंस गया था तो आसपास के इलाके को खाली क्यों नहीं कराया गया? अगर पुलिस प्रदर्शनकारियों को नहीं हटा पाई तो 20 मिनट में अतिरिक्त फोर्स क्यों नहीं बुलाई गई? जानकारी के मुताबिक सड़कों को जिन प्रदर्शनकारियों ने ब्लॉक किया वो प्यारेवाला और मिश्रीवाला गांव के थे। ये लोग दो दिन से प्रदर्शन कर रहे थे। प्रदर्शनकारियों को हटाने के मुद्दे पर सीएम चन्नी ने कल कहा था कि सरकार किसानों पर लाठीचार्ज का दबाव बना रही थी। मैं पंजाब के लोगों के खिलाफ लाठी या गोली का इस्तेमाल करने के पक्ष में नहीं था।

डीजी और मुख्य सचिव क्या कर रहे थे

यहां पर सवाल यह उठता है कि अगर सरकार सख्त कार्रवाई के पक्ष में नहीं थी पंजाब के डीजीपी और चीफ सेक्रेटरी काफिले के साथ क्यों नहीं थे? यह सवाल वाजिब भी है, क्योंकि पीएम के किसी राज्य का दौरा करने जाते हैं तो प्रोटोकॉल के तहत उस राज्य के डीजीपी और चीफ सेक्रेटरी उनका स्वागत करने जाते हैं। लेकिन बठिंडा में ऐसा नहीं हुआ। पीएम मोदी जब बठिंडा एयरपोर्ट पहुंचे तो उनका स्वागत करने के लिए वहां न तो डीजीपी थे और न ही चीफ सेक्रेटरी। खास बात यह है कि पीएम मोदी के काफिले में डीजीपी और चीफ सेक्रेटरी की गाड़ी तो थी लेकिन दोनों अधिकारी उसमें नहीं थे। इस सवाल को केंद्र की ओर मोड़ने के लिए राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बयान दिया कि इस मामले पर राजनीति करने की बजाय एसपीजी, आईबी और अन्य सुरक्षा एजेंसियों की जिम्मेदारी तय होनी चाहिए थी।

इमरजेंसी रूट को लेकर भी पंजाब पुलिस पर उठ रहे हैं सवाल

पीएम मोदी की सुरक्षा की जिम्मेदारी स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप (SPG) की होती है, लेकिन जब पीएम किसी राज्य के दौरे पर जाते हैं तो उस राज्य की पुलिस की भी जिम्मेदारी बढ़ जाती है। इस बारे में गृह मंत्रालय का कहना है कि पीएम मोदी के कार्यक्रम के बारे में पंजाब सरकार को पहले ही बता दिया गया था। उन्हें रसद और सुरक्षा के इंतजाम के साथ-साथ आकस्मिक योजना के लिए भी तैयारी करनी थी, जो नहीं किया गया। यहां पर पंजाब पुलिस पर सवाल खड़े होते हैं। सवाल, इसलिए कि पंजाब पुलिस को इमरजेंसी रूट तैयारी करनी चाहिए थी। हर जगह पर पीएम को सुरक्षित निकालने के लिए कंटीन्जेंसी प्लान भी तैयार होना चाहिए थां इसका का जवाब भी अभी तक सामने आया नहीं है। सीएम ने केवल कहा है कि पीएम की रैली की सुरक्षा व्यवस्था वो खुद देख रहे थे। अचानक प्रोाग्राम में तब्दीली की वजह ये स्थितियां उत्पन्न हुईं।

प्रदर्शनकारियों को कैसे मिला काफिले का अपडेट?

मौसम की वजह से अचानक प्रधानमंत्री मोदी को सड़क मार्ग से कार्यक्रम स्थल ले जाने का निर्णय लिया गया। इस बारे में डीजीपी और चीफ सेक्रेटरी समेत राज्य के शीर्ष अधिकारियों को ही जानकारी थी। इसके बावजूद, प्रदर्शनकारियों को कैसे पता चला कि पीएम मोदी का काफिला किस रूट से निकलेगा।

हाई पावर कमेटी का गठन क्यों किया, क्या ममता की राह पर है चन्नी सरकार?

एक अहम पहलू यह भी है कि पंजाब में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा में हुई चूक का मामला और गंभीर रूप धारण करता जा रहा है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इस बाबत पंजाब प्रशासन से रिपोर्ट मांगी थी लेकिन पंजाब प्रशासन ने इस चूक की बाबत एक हाई कमेटी का गठन कर दिया है। माना जा रहा है कि पंजाब अपनी विस्तृत रिपोर्ट इस जांच रिपोर्ट के आने के बाद ही भेजेगा। इससे केंद्र और राज्य के बीच मतभेद को बढ़ावा मिल सकता है। क्या पंजाब सरकार भी ममता की राह पर चल पड़ी है।

आईबी की जांच, इन बिुदुओं पर जोर

प्रधानमंत्री की सड़क यात्रा के दौरान एसपीजी के नियमों का पालन हुआ था या नहीं। आईबी ने क्या रिपोर्ट दी थी और पंजाब पुलिस ने क्या रिपोर्ट दी थी। प्रधानमंत्री की सड़क यात्रा शुरू होने से लेकर उनके पुल पर फंसने तक एसपीजी, स्थानीय पुलिस और आईबी के बीच क्या-क्या बातचीत हुई थी। वायरलेस की लॉगबुक मे क्या लिखा गया है। प्रधानमंत्री की सुरक्षा मे तैनात एसपीजी को फंसने का पता कब चला। प्रभारी कंमाडर को क्या जानकारी थी और उसने क्या निर्देश दिए थे। आईबी की स्थानीय यूनिट की इस बाबत क्या रिपोर्ट थी।

इस घटना से सबक लेंगी सुरक्षा एजेंसियां

घटना के बाद से जांच का सिलसिला जारी है। पंजाब सरकार, एसपीजी, आईबी ने आंतरिक जांच के आदेश दिए हैं। आंतरिक जांच का मकसद किसी को नुकसान पहुंचाना नहीं है बल्कि प्रधानमंत्री की सुरक्षा में चूक क्यों हुई और इसे कैसे सुधारा जा सकता है। ताकि भविष्य में ऐसी चूक दोबारा न हो। माना जा रहा है कि जांच रिपोर्ट आने के बाद प्रधानमंत्री की सुरक्षा नियमों में अहम परिवर्तन किए जा सकते हैं।

भाजपा का प्रायोजित ड्रामा, क्या अमित शाह इस्तीफा देंगे?

लखनऊ विश्वविद्यालय राजनीति विज्ञान के पूर्व प्रोफेसर और सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. रमेश दीक्षित का कहना है कि पीएम की सुरक्षा के बहाने जो हो रहा है, उस पर कुछ कमेंट नहीं करना चाहता। ऐसा इसलिए कि यह भाजपा की ओर से प्रयोजित ड्रामा है। प्रधानमंत्री की सुरक्षा व्यवस्था इतनी कमजोर नहीं होती कि कोई कहीं घुस जाए। पीएम की सुरक्षा के इर्द गिर्द पहुंचने से पहले सुरक्षा से जुड़ी कई प्वाइंटों पर चेकिंग होताी है। सुरक्षा का सख्त इंतजाम होता है। आईबी, एसपीजी व अन्य केद्रीय एजेंसियों की उस पर नजर होती है। देश का प्रधानमंत्री अगर कहीं जाता है तो केवल राज्य सरकार के भरोसे नहीं जाता है। पीएम के लिए नेशनल सिक्योरिटी की व्यवस्था होती है। इन तमाम एजेंसियों से चूक कैसे हो गईं। इसमें राज्य सरकार क्या करेगी। ये चूक नहीं, बड़ी चूक है। क्या केंद्र सरकार दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करेगी। पीएम की सुरक्षा में लगी एजेंसियां केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधीन काम करती हैं। सुरक्षा की जिम्मेदारी गुह मंत्रालय की है। क्या अमित शाह अपने पद से इस्तीफा देंगे? अगर नहीं तो फिर बहस किस बात के लिए।

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