हिंडनबर्ग के खुलासों के बाद भारी घाटे में पहुंचे PM मोदी के चहेते गौतम अडानी फिर बने एशिया के सबसे अमीर कारोबारी

Gautam Adani News : एक बार फिर से जब अडानी एशिया के सबसे अमीर कारोबारी बन गये हैं, तब विपक्ष द्वारा हमेशा से उठाया जाने वाला यह सवाल सही प्रतीत होता है कि क्या अडानी के सहयोग के बिना मोदी देश के प्रधानमंत्री बन पाते और क्या यदि मोदी के बदले कोई और प्रधानमंत्री बनता तब अडानी आज जिस मुकाम पे खड़े हैं वहां पहुँच पाते....

Update: 2024-01-06 09:54 GMT

(कोरोना त्रासदी के बावजूद अडानी की कमाई इस साल बुलेट की गति से बढ़ी है)

Gautam Adani News : ब्लूमबर्ग बिलेनियर इंडेक्स (Bloomberg) के अनुसार प्रधानमंत्री मोदी के करीबी और चहेते माने जाने वाले कारोबारी गौतम अडानी (Gautam Adani) एक बार फिर से भारत के ही नहीं बल्कि एशिया के भी सबसे अमीर पूंजीपति बन गए हैं| यही नहीं, वे दुनिया के 12 सबसे अमीर कारोबारियों (10 richest person of world) की सूची में भी शामिल हो गए हैं। गौतम अडाणी की नेटवर्थ एक साल में बढ़कर 13 बिलियन डॉलर यानी करीब 1.08 लाख करोड़ रुपए से बढ़कर 97.6 बिलियन डॉलर अर्थात करीब 8.12 लाख करोड़ रुपए हो गई है।

वहीं दूसरी तरफ रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी की नेटवर्थ में इस साल 665 मिलियन अर्थात करीब 5 हजार करोड़ रुपए बढ़कर 97 बिलियन डॉलर यानी लगभग 8.07 लाख करोड़ रुपए पहुूंच चुकी है। 2 साल पहले जब पूरा देश आर्थिक तंगी से जूझ रहा था, तब अडानी की संपत्ति में 12 अरब डॉलर बढ़ गए थे, मगर जनवरी 2023 में हिंडनबर्ग के खुलासों के बाद हुए भारी आर्थिक नुकसान के साथ अडानी टॉप पूंजीपतियों की लिस्ट से बाहर हो गये थे। 24 जनवरी को गौतम अडानी पर हिंडनबर्ग ने शेयर मैनिपुलेशन और मनी लॉन्ड्रिंग जैसे आरोप लगाए थे, जिसके बाद कंपनी के शेयरों में भारी गिरावट देखने को मिली थी। हिंडनबर्ग के खुलासे के बाद अडानी की नेटवर्थ में लगभग 60% की कमी आयी और यह उनकी नेटवर्थ मात्र 69 बिलियन डॉलर (5.7 लाख करोड़ रुपए) रह गयी थी।

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मगर इसके बाद अडानी-हिंडनबर्ग केस में सुप्रीम कोर्ट के फैसले से अडानी ग्रुप के सभी 10 शेयरों में तेजी आयी, और अडानी की नेटवर्थ भी उसी स्पीड से बढ़ गयी। गौरतलब है कि अडानी—हिंडनबर्ग केस की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट ने 6 सदस्यीय कमेटी गठित की थी और मार्केट रेगुलेटर SEBI को भी इसकी जांच के आदेश दिये थे। इस साल की शुरुआत यानी 3 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने इस केस में आदेश दिया था कि SEBI ने अडानी मामले में जिन 22 मामलों की जांच पूरी की है, उनमें से 2 मामलों में 3 महीने के भीतर जांच पूरी करे। SEBI के रेगुलेटरी फ्रेमवर्क में दखल देने की इस अदालत की शक्ति सीमित है। OCCPR की रिपोर्ट को SEBI की जांच पर संदेह के तौर पर नहीं देखा जा सकता। जांच को SEBI से SIT को ट्रांसफर करने का कोई आधार नहीं है। इस फैसले के बाद यह एक तरह से अडानी को क्लीनचिट ​देने जैसा था, और वह एक बार फिर से एशिया के सबसे अमीर व्यक्ति बन गये।

अमेरिकी कंपनी हिंडनबर्ग ने अडानी पर धोखाधड़ी के बड़े आरोप लगाये थे, जिसके बाद उन्हें 25 जनवरी 2023 को मात्र एक दिन में 50 हजार करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था। हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट में अडानी ग्रुप से 88 सवाल किए गए थे, जिससे अडानी ग्रुप को इतना बड़ा नुकसान हुआ, जिसके बाद अडानी ग्रुप के शेयरों में भारी गिरावट जारी रही। अडानी ग्रुप पर दशकों से खुल्लम-खुल्ला शेयरों में गड़बड़ी और अकाउंट धोखाधड़ी में शामिल होने का बड़ा आरोप लगे। Hindenburg Research की रिपोर्ट में अडानी ग्रुप की अकाउंटिंग और कॉरपोरेट गवर्नेंस पर सवाल उठाए गये थे, जिसके बाद अडानी ग्रुप की अंबूजा सीमेंट्स के शेयर में 9.6 फीसदी गिरावट आई। एसीसी (ACC), अडानी पोर्ट्स (Adani Ports), अडानी पावर (Adani Power) और अडानी ट्रांसमिशन (Adani Transmission) में भी 5 फीसदी की गिरावट दर्ज की गयी। इतना ही नहीं गौतम अडानी द्वारा जिस मीडिया वेंचर एनडीटीवी को खरीदा गया, उसके शेयरों में भी 5 प्रतिशत की कमी दर्ज की गयी थी, मगर एक बार फिर से वह एशिया के सबसे अमीर इंसान बन चुके हैं।

हिंडनबर्ग की तरफ से बयान जारी करके कहा गया था, 'हमारी रिपोर्ट आने के बाद 36 घंटों में अडानी ग्रुप ने एक भी गंभीर मुद्दे पर जवाब नहीं दिया। हमने रिपोर्ट के निष्कर्ष में 88 सटीक सवाल पूछे थे, जो कि हमारे मुताबिक कंपनी को अपने आप को निर्दोष साबित करने का मौका देते हैं, मगर भी तक अडानी ने एक भी जवाब नहीं दिया है। जवाब देना तो छोड़िये अदानी ने धमकी का रास्ता चुन लिया है। मीडिया को दिये गये बयान में अडानी ने हमारी 106 पन्नों की, 32 हज़ार शब्दों की और 720 से ज़्यादा उदाहरण के साथ दो सालों में तैयार की गई रिपोर्ट को बिना रिसर्च का बताया गया है, मगर हम अपनी रिपोर्ट पर कायम हैं और क़ानूनी कार्रवाई की धमकी झेलने को सहर्ष तैयार हैं। हम अडानी की तरफ से की जाने वाली कानूनी कार्रवाई का स्वागत करेंगे, क्योंकि हमारे ख़िलाफ़ उठाए गए क़ानूनी कदम आधारहीन होंगे। अगर गौतम अडानी गंभीर हैं, तो उन्हें अमेरिका में केस दायर करना चाहिए। दस्तावेज़ों की एक लंबी लिस्ट है, जिसकी क़ानूनी प्रक्रिया के दौरान हम डिमांड करेंगे।'

ब्लूमबर्ग बिलेनियर इंडेक्स के मुताबिक इलेक्ट्रिक व्हीकल कंपनी टेस्ला के CEO एलन मस्क 18.31 लाख करोड़ रुपए की नेटवर्थ के साथ दुनिया के सबसे अमीर कारोबारी बने हुए हैं। एलन मस्क के बाद 14.06 लाख करोड़ रुपए की नेटवर्थ के साथ अमेजन के फाउंडर जेफ बेजोस और LVMH के बर्नार्ड अरनॉल्ट दुनिया के तीसरे बड़े पूंजीपति हैं, जिनकी नेटवर्थ 13.98 लाख करोड़ रुपए है।

एक बार फिर से जब अडानी एशिया के सबसे अमीर कारोबारी बन गये हैं, तब विपक्ष द्वारा हमेशा से उठाया जाने वाला यह सवाल सही प्रतीत होता है कि क्या अडानी के सहयोग के बिना मोदी देश के प्रधानमंत्री बन पाते और क्या यदि मोदी के बदले कोई और प्रधानमंत्री बनता तब अडानी आज जिस मुकाम पे खड़े हैं वहां पहुँच पाते? हरेक साल जब बजट पेश होता है तब नरेंद्र मोदी इसे गरीबों का बजट बताते हैं – पर गरीबों की देश में संख्या बढ़ती जाती है और अडानी पहले से अधिक अमीर हो जाते हैं – इससे इतना तो स्पष्ट है कि मोदी जी के "गरीब" दरअसल गौतम अडानी ही हैं| सबसे बड़ा सवाल यह है कि देश के उर्जा क्षेत्र, समुद्री बंदरगाह, हवाई अड्डों और दूसरे इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं को केवल एक मुनाफाखोर कारोबारी के हवाले कर कहीं सरकार देश की सुरक्षा और जनता के साथ खिलवाड़ तो नहीं कर रही है|

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