Gujrat Chunav 2022 : गुजरात में सियासी उलटफेर अभी बाकी है, कांग्रेस को हल्के में न ले भाजपा, गहलोत न कर दें खेल

Gujrat Chunav 2022 : गुजरात चुनाव कांग्रेस, भाजपा और आप के लिए सियासी भविष्य तय करने वाला है। इस मामले में अभी जनता का मूड क्या है, खुलकर सामने आना बाकी है।

Update: 2022-11-06 05:37 GMT

Gujarat Election 2022 : आज शाम 5 बजे थम जाएगा पहले चरण का चुनाव प्रचार, जानें क्या कहते हैं ताजा आंकड़े

गुजरात चुनाव पर धीरेंद्र मिश्र का विश्लेषण

Gujrat Chunav 2022 : गुजरात में चुनावी जंग का बिगुल बज चुका है। परंपरागत रूप से देखें तो भाजपा ( BJP ) और कांग्रेस ( Congress ) के बीच कांटे की टक्कर है, लेकिन केजरीवाल ( Arvind Kejriwal ) की पार्टी आप ( AAP ) ने इस बार गुजरात चुनाव ( Gujrat Assembly Election 12022 ) को एक नये मोड़ ला खड़ा किया है। चुनाव पूर्व के सर्वेक्षणों में भाजपा की जीत के दावे किए जा रहे हैं, पर जमीनी सच्चाई कुछ और ही है। भाजपा को किसी अनहोनी की आशंका यूं ही नहीं है। इस बात का संकेत पीएम मोदी ( PM Modi ) खुद दे चुके हैं। उन्होंने एक चुनावी जनसभा में खुद कहा था कि कांग्रेस को हल्के में नहीं लिया जा सकता। यह चुनाव कांग्रेस, भाजपा और आप के लिए उम्मीद की किरण और भविष्य तय करने वाला चुनाव भी है। तीनों पार्टियों के लिए चुनावी हार का मतलब आगे का सियासी डगर भी मुश्किल होना है।

आप उठाना चाहती है कांग्रेस के आक्रामक न होने का लाभ

फिर गुजरात चुनाव तैयारियों के प्रारंभिक चरणों में कांग्रेस चुनावी शोर—शराबे में शामिल नहीं है, जिसका लाभ पूरजोर तरीके से केजरीवाल उठा रहे हैं। कम से कम प्रचार के स्तर पर उन्होंने कांग्रेस की इन कमजोरियों का भरपूर लाभ उठाकर अपने पक्ष में चुनावी माहौल तैयार कर लिया है, लेकिन पांच साल पहले भाजपा को कांटे की टक्कर देने वाली कांग्रेस की रवैये से लगता है उसने इस बार अपनी रणनीति बदल दी है।

5 साल पहले भाजपा हारते-हारते जीती थी

2017 में भगवा पार्टी गुजरात में चुनाव हारते-हारते चुनाव जीती थी। इस बार कांग्रेस चुनचाप पटखनी देने के मूड में है। यानि भाजपा की रणनीति पर अमल कर ही कांग्रेस के रणनीतिकार संघियों को सियासी मात देना चाते हैं। यही वजह है कि कांग्रेस के बड़े नेता अभी तक मैदान में नहीं आये हैं। दूसरी तरफ आप की पूरी फौज यानि अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया, संजय सिंह, सीएम भगवंत मान व अन्य जी जान से जुटे हैं और गुजरात चुनाव को जिंदगी और मौत की तरह लेकर चल रहे हैं। भाजपा की ओर से पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह सहित अन्य प्रचारक भी धूम-धाम से चुनाव प्रचार में जुटे हैं। यही वजह है कि कांग्रेस के पक्ष में अभी सियासी हवा नहीं बनी है।

गुजरात में क्या करने के फिराक में हैं कांग्रेस के जादूगर

दरअसल, गुजरात में इस बार पटेलवाद मुद्दा नहीं है। ये बात अलग है कि अहमद पटेल का न होना कांग्रेस को बड़े पैमाने पर खल रहा है। एक बात और है जो कांग्रेस का कमजोर पहलू है। वो यह है कि कांग्रेस के पास गुजरात में कोई कद्दावर नेता नहीं है। हालांकि, अहमद पटेल की भरपाई के लिए कांग्रेस के चुनावी जादूगर और राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत को पार्टी को जीत दिलाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। अशोक गहलोत ने अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं, लेकिन उन्हें पता है कि गुजरात के गांवों में रहने वाले मतदाता जिसका साथ देंगे, उसी की जीत गुजरात में होगी। इसलिए उन्होंने भाजपा और आप की तरह शहरी और कस्बाई क्षेत्रों में प्रचार पर जोर देने से ज्यादा ग्रामीण क्षेत्रों में मतदाताओं से प्रत्यक्ष संपर्क स्थापित करने पर ज्यादा है। कांग्रेस के नेता गुजरात में यही काम कर रहे हैं। अशोक गहलोत की यह रणनीति बहुत हद तक शाह के बूथ मैनेजमेंट से मिलती जुलती है। यानि कांग्रेस इस बार भाजपा को उसी के दांव से सियासी मौत देना चाहती है, वो भी साइलेंट किलर के रूप में है। फिर कांग्रेस के पक्ष में सच्चाई यह है कि 2017 के चुनाव में कांग्रेस को ग्रामीण क्षेत्रों में ही ज्यादातर सीटें मिली थी।

कांग्रेस की जीत का सीक्रेट प्लान

तो क्या कांग्रेस की कछुआ चाल गुजरात में जीत का सीक्रेट प्लान है। ऐसा हो भी सकता है। ऐसा प्लान जो गुजरात में जीत की गारंटी भी बन सकता है। पीएम मोदी इस बात को भांपकर भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं को पहले ही सतर्क कर चुके हैं। इस बात में दम इसलिए भी है कि 2018 में राजस्थान में कांग्रेस की जीत के पीछे भी गहलोत की यही रणनीति काम कर रही थी। ऐसा नहीं है कि गुजरात चुनाव के लिए कांग्रेस ने कोई तैयारी ही नहीं की है। कांग्रेस के कार्यकर्ता पूरी तरह से चुनाव प्रचार में जुटे हुए हैं, लेकिन ये सब बेहद शांति से किया जा रहा है, माना जा रहा है कि ये मंत्र खुद गुजरात के प्रभारी बनाए गए राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत देकर गए थे, ताकि विरोधियों को ऐसा लगे कि कांग्रेस कमजोर पड़ रही है और ठीक वक्त पर सही चाल चलकर उन्हें पस्त किया जा सके। कांग्रेस ने अभी कोई बड़ी रैली करने के बदले विधानसभा क्षेत्रों में जनसंपर्क करने के मामले में अव्वल है। खासकर ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों पर पार्टी की मजबूत पकड़ है। कांग्रेस के नेता सबसे ज्यादा फोकस इन्हीं पहलुओं पर कर रहे हैं। इसके लिए कांग्रेस ने विशेष तौर पर लोकसभा क्षेत्रों में विशेष प्रभारियों की नियुक्ति की है।पार्टी ने प्रदेश इकाई में सात कार्रवाई अध्यक्ष बनाए हैं ताकि हर वर्ग को साधा जा सके।

जीत वाली सीटों पर कांग्रेस की नजर

गुजरात चुनाव 2022 में कांग्रेस नेताओं का फोकस प्रदेश की उन मजबूत सीटों पर है जिन पर पार्टी की जीत के आसार ज्यादा हैं, जहां पर जीत की संभावनाएं कमजोर हैं वहां की ताकत को भी पार्टी मजबूत सीटों पर ही इस्तेमाल करने की योजना बना रही है। कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव में अब तक व्यस्त रही कांग्रेस ने छोटे स्तर पर चुनाव प्रचार कर अपनी ताकत को बचाकर रखा है, पिछले दिनों गुजरात कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अर्जुन भाई मोडवाडिया ने भी इसके संकेत दिए थे, उन्होंने कहा था कि कांग्रेस का मिशन जनसंपर्क रफ्तार पकड़ रहा है, दीपावली के बाद से आक्रामक प्रचार किया जाएगा। चुनाव आयोग द्वारा कार्यक्रमों का ऐलान के बाद सोनिया गांधी, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी समेत अन्य बड़े नेताओं के कार्यक्रम गुजरात के लिए प्लान किए जा रहे हैं।

प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अर्जुन मोढ़वाडिया कहते हैं कि भाजपा पिछले 27 साल से सत्ता में हैं। भाजपा के खिलाफ लोगों में रोष है। पार्टी इस नाराजगी को वोट में बदलने की कोशिश कर रही है। इसके लिए 31 अक्तूबर से पांच परिवर्तन यात्राएं प्रदेश भर में जारी है। यह यात्राएं सौराष्ट्र एक, सौराष्ट्र दो, उत्तर गुजरात, दक्षिण गुजरात और केंद्रीय गुजरात में निकाली जाएगी। करीब एक सप्ताह चलने वाली यह यात्राएं 175 विधानसभा क्षेत्रों से गुजरेगी। कांग्रेस ज्यादातर सीटों पर उम्मीदवारों के नाम तय कर चुकी है। बहुत जल्द इसका ऐलान भी होने की सूचना है। कांग्रेस ने टिकट बंटवारे में दलित, आदिवासी, ओबीसी और मुसलिम के साथ पटेल समुदाय को तरजीह दी है। चुनाव प्रचार की रणनीति भी इन्हें केंद्र में रखकर बनाई गई है। इसके साथ ही पार्टी शहर के मुकाबले ग्रामीण क्षेत्रों में प्रचार पर जोर देगी। भाजपा को सियासी मात देने के लिए गुजरात में कांग्रेस भारतीय ट्राइबल पार्टी (बीटीपी) और एनसीपी के साथ समझौता करने की तैयारी कर रही है। प्रदेश कांग्रेस के एक नेता के मुताबिक, बीटीपी और एनसीपी को चार-चार सीट छोड़ सकती है। वर्ष 2017 के चुनाव में बीटीपी को दो और एनसीपी को एक सीट मिली थी। बता दें कि आप का बीटीपी से अलासंए हुआ था, लेकिन सीटों पर मतभेद की वजह से चुनाव से पहले ही अलाएंस टूट गया।

कांग्रेस की कमजोरी

भाजपा के खिलाफ कांग्रेस की कमजोरी यह है कि 2017 के चुनाव में भाजपा को सौ से कम सीट पर रोकने में हार्दिक पटेल, अल्पेश ठाकोर और जिग्नेश मेवाणी ने अहम भूमिका निभाई थी। इस बार अल्पेश ठाकोर और हार्दिक पटेल कांग्रेस का हाथ छोड़कर भाजपा का कमल थाम चुके हैं। पार्टी के पास युवा नेताओं की इस तिगड़ी में सिर्फ जिग्नेश मेवाणी हैं। वह पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष हैं। गुजरात विधानसभा में आदिवासियों के लिए 26 सीट आरक्षित हैं। 2017 के चुनाव में कांग्रेस को 14 और भाजपा को नौ सीट मिली थी। जबकि दो सीट बीटीपी को हासिल हुई थी।

चुनावी जीत भाजपा के लिए प्रतिष्ठा का सवाल

भाजपा गुजरात में 27 साल से सत्ता में है। यही वजह है कि BJP के लिए विधानसभा चुनाव 2022 प्रतिष्ठा का सवाल है। इस बार एंटी इनकंबेंसी फैक्टर भाजपा के खिलाफ है। वो भी एक दो चुनाव का नहीं बल्कि पूरे 27 साल का एंटीइनकंबेंसी फैक्टर है। यह फैक्टर केवल लोगों की नाराजगी के रूप में न होकर पार्टी के नेताओं के बीच असंतोष के स्तर पर भी है। अब तो नितिन पटेल भी खुद की पार्टी के खिलाफ बोलने लगे हैं। फिर मोरबी ब्रिज हादसे ने मोदी के गुजरात मॉडल और विकास पर ऐन मौके पर सवाल खड़े कर दिए हैं। भाजपा के जयनारायण व्यास कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं। पूर्व डिप्टी सीएम नितिन पटेल भाजपा के खिलाफ ही बयान दे रहे हैं। यानि भाजपा में इस बार अंदरुनी कलह भी है।

व्यास और इंद्रनील को तोड़ कांग्रेस ने चौंकाया

व्यास की तरह कांग्रेस ने अपने पूर्व नेता इंद्रनील राजगुरु को आप से झटक लिया है। इंद्रनील राजगुरु के इस रुख ने आप को बड़ा झटका दिया है। इंद्रनील न केवल आप के सबसे बड़े फंडर थे, बल्कि आप की ओर से सीएम पद के दावेदार भी थे। तोड़फोड़ के इस खेल में भाजपा ने कांग्रेस के हिमांशु दास को तोड़ने में कामयाबी हासिल कर कुछ हद तक अपनी भरपाई कर ली है। चुनावी तोड़फोड़ के इस गेम में आप को झटका लगा है।

Gujrat Election 2022 : जनता का मूड क्या है

इसके उलट ये बताया जा रहा है कि आप की आक्रामक चुनाव प्रचार शैली से कांग्रेस को नुकसान हो सकता है, पर अहम सवाल ये है कि ये बात कर कौन रहा है। आप के सर्वेक्षणों और भाजपा के नेता इस बात पर सबसे ज्यादा जोर दे हैं। केजरीवाल कहते हैं कि कांग्रेस कहीं मैदान में नहीं है, भाजपा वाले कहते हैं कि कांग्रेस को कमजोर करने का काम आप वाले कर रहे हैंं। निजी चैनलों के सर्वेक्षणों में भी इस बात का ही जिक्र हो रहा है कि कांग्रेस को आप की वजह से नुकसान हो सकता है, लेकिन किसी भी सर्वेक्षण में इस बात का दावा नहीं किया है। सभी सियासी अनुमान अभी तक के उतार-चढ़ाव के समीकरणों व पूर्वानुमानों पर आधारित हैं। जनता का रुख क्या है यह अभी खुलकर आना बाकी है।

गुजरात विधानसभा चुनाव 2022 की तारीखों का ऐलान हो चुका है। कुल 182 विधानसभा की सीटों पर 1 और 5 दिसंबर को मतदान होगा। पहले चरण में 89 सीटों पर दूसरे चरण में 93 सीटों पर वोट डाले जाएंगे। वोटों की गिनती हिमाचल प्रदेश के साथ 8 दिसंबर को होगी। इस बार गुजरात में 4.91 करोड़ मतदाता अपने लोकतांत्रिक मताधिकार का प्रयोग करेंगे। कुल मतदाताओं में 4.61 लाख वोटर्स ऐसे हैं जो पहली बार मतदान करेंगे। 9.87 लाख मतदाता 80 साल से ज्यादा के हैं। गुजरात विधानसभा का कार्यकाल 18 फरवरी 2023 को खत्म होगा।

Tags:    

Similar News