देश की उस सांसद को ​जानिए जिसका बड़ा बेटा बेचता है चाय, छोटा बेटा करता है बाइक रिपेयरिंग

प्रमिला बताती हैं कि जब मुझे टिकट मिला था तब मुझे पता ही नहीं था कि मुझे वाकई में टिकट मिलेगा। मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने मुझे फोन किया और अपने आवास पर बुलाया था। उन्होंने मुझसे कहा कि वह मुझे किसी पुरस्कार से सम्मानित करेंगे और जब मैं वहां अपने पोते गोविंद के साथ पहुंची तो उन्होंने मेरे हाथ में चुनाव का टिकट थमा दिया।

Update: 2021-03-06 13:06 GMT

तोषी मैन्दोला की रिपोर्ट 

जनज्वार ब्यूरो। ओडिशा के छोटे से गावं चेरामिया से आने वाली 73 वर्ष की प्रमिला बिश्नोई देश की सबसे गरीब महिला सांसद हैं। ओडिशा की सत्ताधारी पार्टी बीजू जनता दल ने बेहद साधारण परिवार से आने वाले अपने एक जमीनी कार्यकर्ता को 2019 के लोकसभा चुनाव में टिकट दिया था। आस्का लोकसभा सीट से टिकट पाने वाली प्रमिला को लगभग 12 लाख वोट मिले थे। उन्होंने 2 लाख वोटों से जीत हासिल की थी। प्रमिला बिश्नोई के पास इस वक्त कुल संपत्ति दस लाख है।  

सांसद प्रमिला मात्र तीसरी पास हैं और उन्होंने खुद कभी नहीं सोचा था कि आज वो अपने लगन से सांसद तक का सफर भी तय कर पाएंगी। इस पूरे सफर में उनके पोते गोविंद बिश्नोई ने भी काफी साथ दिया है। साल 2019 में मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने उन्हें क्षेत्र के लिए टिकट था।

प्रमिला बिश्नोई बताती हैं कि वह काफी अरसे से सामाजिक कार्यकर्ता के तौर पर काम कर रही हैं। लगभग 45 साल की उम्र में मेरे गांव चेरामिया में ग्राम विकास संस्था साफ-सफाई का अभियान चला रहे थे जिसमें पीने के पानी से लेकर साफ सफाई के जरुरी मुद्दे शामिल थे। लेकिन गांव के लोगो को यह रास नहीं आया तो उन्हें भगाने लग गए। उसी दौरान मैं घर से बाहर निकली और उन्हें काफी समझाया कि साफ सफाई बहुत जरुरी है। उस वक्त हमारे गांव में शोचालय की भी सुविधा उपलब्ध नहीं थी।


'काफी समझाने के बाद गांव के लोग राजी हुए जिसके तहत हमने गांव में पानी के टैंकर लगवाए और हर घर में शौचालय बनवाए और शायद वहीं से मेरे राजनीति में आने की उम्मीदें खुली। गांव के लोग मुझ पर काफी भरोसा करते हैं इसीलिए मुझे टिकट मिला और मैं काफी अच्छे वोट बैंक से चुनाव भी जीती। मैं एक सोशल एक्टिविस्ट हूं इसके अलावा कई संगठन से भी जुड़ी हुई हूं और समय समय पर जनता के लिए काम करती हूं। इसके लिए मुझे एक बार 50,000 के इनाम और कई पुरस्कारों से सम्मानित भी किया गया है।'

इसके आगे प्रमिला बताती हैं कि जब मुझे टिकट मिला था तब मुझे पता ही नहीं था कि मुझे वाकई में टिकट मिलेगा। मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने मुझे फोन किया और अपने आवास पर बुलाया था। उन्होंने मुझसे कहा कि वह मुझे किसी पुरस्कार से सम्मानित करेंगे और जब मैं वहां अपने पोते गोविंद के साथ पहुंची तो उन्होंने मेरे हाथ में चुनाव का टिकट थमा दिया। यह मेरे लिए किसी सपने से कम नहीं था। उस दौरान मैं डरी हुई थी कि कैसे मैं राजनिति के इस दलदल में उतरुं।

मैंने सीएम साहब से कहा कि मैं यह चुनाव नही लड़ पाउंगी क्योंकि इसमें काफी पैसा लगेगा जो मेरे पास नहीं है। तभी सीएम ने हंसते कहा कि आपको पैसों की चिंता नहीं करनी है। हम आपके लिए कैंपेनिग करेंगे। यहां से मेरा राजनीति में सफर शुरु हुआ। प्रमिला आगे बताती हैं कि मैं सेल्फ हेल्फ ग्रुप नामक संगठन से भी जुड़ी हूं और पिछले 18 वर्षों से मिड डे मील के जरिए अपर प्राइमरी स्कूल के बच्चों की सेवा कर रही हूं।

प्रमिला बिश्नोई एक किसान हैं जिनके पास एक एकड़ से कम जमीन है। प्रमिला का बड़ा बेटा दिलीप चाय बेचता है जबकि छोटा बेटा रंजन बाइक रिपेयरिंग की गैराज में काम करता है। इसके अलावा उनकी दो बेटियां हैं जो अब शादीशुदा हैं। प्रमिला के परिवार की इनकम 10000 रुपए से 12000 रुपए प्रतिमाह तक है। बताया जा रहा है कि आर्थिक हालत खराब होने के बावजूद भी प्रमिला ने एसएचजी एनजीओ के जरिए इलाके की महिलाओं के सशक्तिकरण में अहम भूमिका निभाई है।

प्रमिला के प्रयासों का परिणाम है कि इलाके में उनका गांव खुले में शौच से मुक्त घोषित हो चुका है। प्रमिला इलाके में पर्यावरण संरक्षण के लिए भी काम करती हैं और इलाके में पिकॉक संरक्षण समिति बनाकर लोगों को पर्यावरण के लिए जागरूक कर रही हैं।

सांसद बताती हैं कि हमारे गांव में लगभाग 170 से 180 परिवार रहते हैं। 45 साल की उम्र में हमने मिलकर स्वंय सहायता समूह बनाया था जिसमें हम खुद कभी 10 रुपए तो कभी 50 रुपए जोड़ते थे ताकि वक्त आने पर लोगों की मदद की जा सके। हालांकि बाद में लोग काम हो जाने के बाद पैसा वापस भी कर देते थे। आप इसे लोन भी समझ सकते हैं। इसके साथ समय के साथ ग्रुप भी बढ़ने लगा और कई लोग इस ग्रुप से जुड़े।


टिकट मिलने से पहले ही नवीन पटनायक भी हमसे जुड़ गए थे। उन्होंने भी ग्रुप में फंडिग की ताकि लोग कोई भी छोटा मोटा काम खोल सकें। मुख्यमंत्री महिलाओं को आगे बढ़ाना चाहते थे इसीलिए उन्होंने हमारी काफी मदद की। देखते ही देखते उस ग्रुप में तकरीबन 70,0000 लोग जुड़ गए थे।

एक साधारण परिवार से आने वाली सासंद प्रमिला ने क्षेत्र में भ्रमण हेतू 25,00,000 की सफेद रंग की इनोवा लोन पर ली है ताकि जनता के बीच में आसानी से पहुंचा जा सके और उनकी समस्याओं को सुना जा सके। सासंद के तौर पर मुझे मासिक आय 1 लाख 30 हजार मिलती है ताकि मैं बुनियादी जरुरतों को पूरा कर सकूं। मैं जनता के लिए तत्पर खड़ी हूं और उनके लिए निरंतर प्रयास कर रही हूं।

मैंने हमारे क्षेत्र में रेलवे लाइन बिछवायी जानी है और इसके साथ ही एन रोड जो कि सिंगल वे था जिसकी वजह से लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था उसके टू वे करवाया। इसके साथ ही आंगनवाड़ी में काम करने वाली महिलाओं की सैलरी काफी कम थी तो उसके लिए भी मैं काम कर रही हूं। सासंद प्रमिला बताती हैं कि मुझे मेरे क्षेत्र के लोग बहुत प्यार करते हैं और मुझपर बहुत विश्वास करते हैं और यही बात मुझे हमेशा उनके प्रति काम करने के लिए प्रेरणा देती है।

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