Punjab election 2022 : पंजाब में किसकी बनेगी सरकार,? क्या चुनावों में दिखेगा राम रहीम का प्रभाव, देखिये क्या कहते हैं आंकड़े

Punjab election 2022: पंजाब विधानसभा चुनावों को लेकर सभी राजनीतिक पार्टियां अपना- अपना दम दिखा रहीं हैं। मगर इस बार चुनाव और ज्यादा दिलचस्प है।क्योंकि पंजाब में पहले चुनाव सिर्फ दो ही पार्टियों में होता था।

Update: 2022-02-15 12:18 GMT

Punjab election 2022 : पंजाब में किसकी बनेगी सरकार,? क्या चुनावों में दिखेगा राम रहीम का प्रभाव, देखिये क्या कहते हैं आंकड़े

Punjab election 2022: पंजाब विधानसभा चुनावों को लेकर सभी राजनीतिक पार्टियां अपना- अपना दम दिखा रहीं हैं। मगर इस बार चुनाव और ज्यादा दिलचस्प है।क्योंकि पंजाब में पहले चुनाव सिर्फ दो ही पार्टियों में होता था। कभी कांग्रेस नहीं तो अकाली और कभी अकाली नहीं तो कांग्रेस, बस पंजाब में दो ही पार्टियों का दबदबा था। मगर अब पंजाब का माहौल पूर्ण रूप से बदल चुका है

पंजाब में ऐसा पहला विधानसभा चुनाव हो रहा है, जहां पांच पार्टियां चुनाव लड़ रही हैं। जिनमें कांग्रेस, आप, शिरोमणि अकाली दल और बीएसपी गठबंधन, कैप्टन अमरेंद्र की पंजाब लोक कांग्रेस + एसएडी (संयुक्त) और बीजेपी गठबंधन, और किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल की संयुक्त समाज मोर्चा आपस शामिल है। अगर हम गठबंधन की पार्टियों को भी मिला दे तो मुख्यतः 8 पार्टियां इस बार का चुनाव लड़ रही हैं

एक नजर 2017 के विधानसभा चुनावों पर घूमाएं तो कांग्रेस को 77 सीटें (38.50% वोट), आप को 20 सीटें (23.72% वोट), अकाली को 15 सीटें (25.24%), बीजेपी को 3 सीट (5.39% वोट) और बीएसपी को 0 वोट (1.52% वोट) मिला। मैं अगर सबसे ज्यादा फायदा हुआ तो आम आदमी पार्टी को जिसने न्यूज़ चैनलों के एग्जिट पोल की बात करें तो इस बार के चुनावों में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस एक दूसरे को टक्कर देते दिखाई दे रही है। अधिकतर चैनलों के एक्जिट पोल आम आदमी पार्टी की सरकार बनाने का दावा कर रही है।

मालवा ,माझा और दोआबा क्षेत्र की विधानसभा सीटें

मालवा क्षेत्र में कुल 69 विधानसभा सीटें आती हैं, सर्वे में कहा गया है कि इस क्षेत्र में आम आदमी पार्टी को 37-38 सीटें मिलने की उम्मीद है, वहीं कांग्रेस को 15-18 और शिरोमणि अकाली दल+ गठबंधन को 9 सीटें, बीजेपी +अमरिंदर की पंजाब लोक कांग्रेस+ शिरोमणि अकाली दल (संयुक्त) के खाते में 12-13 सीट मिलने का अनुमान है। वहीं बलवीर सिंह राजेवाल की संयुक्त समाज मोर्चा का मालवा में खाता खुलता नहीं दिख रहा है। मालवा में आम आदमी पार्टी को 40%, वहीं कांग्रेस को 32 प्रतिशत और अकाली को 21% भाजपा को 3 फीसदी वोट बहुत मिलने का अनुमान है।

माझा रीजन

माझा रीजन के विधानसभा में कुल 25 सीटें हैं। इसमें कांग्रेस के पाले में 13-14 सीटें, आप के पाले में 8-10 सीटें और शिरोमणि अकाली दल को 1 सीट, बीजेपी+कैप्टन पार्टी को भी एक सीट मिल रही है। बलवीर सिंह राजेवाल की पार्टी को 1 सीट भी मिलते हुए नहीं दिख रहा है। माझा में आप को 36.48 फीसदी,कांग्रेस को 35.9 फीसदी, अकाली को 19.01 भाजपा को 6.38 फीसदी और अन्य को 2.23 फीसदी वोट मिलने का अनुमान है।

दोआबा

दोआबा की विधानसभा सीटों की बात करें तो इसमें कुल 30 विधानसभा सीटें हैं, जिसमें कांग्रेस के खाते में 13-15 सीटें, आप को 6- 7 सीटें, शिरोमणि अकाली दल+ गठबंधन को 1 सीट और बीजेपी + कैप्टन अमरिंदर की पार्टी को केवल 1 सीट ही मिल रही है। इसमें भी बलवीर सिंह की पार्टी खाता नहीं खुल रहा है. दोआबा में आप को 33.87 फीसदी, कांग्रेस को 35.82 फीसदी, अकाली को 19.02 फीसदी, भाजपा को 6.82 फीसदी और अन्य को 3.57 फीसदी वोट मिल सकता है

कुल सीटों की बात करें तो कांग्रेस और आम आदमी पार्टी कड़ी टक्कर में है आप को 52 सीटों पर जीत मिल सकती हैं वहीं कांग्रेस को 48 सीटें मिलने का अनुमान है। बाकी 17 सीटों में 9 सीटों पर शिरोमणि अकाली दलदल+ बीएसपी का कब्जा हो सकता है। इसके अलावा 8 सीटों पर भारतीय जनता पार्टी +पंजाब लोक कांग्रेस+ शिरोमणि अकाली दल संयुक्त के साथ ही पंजाब की अन्य पार्टीयों को मिली जुली सीटें मिलेंगी.

पब्लिक किसे देखना चाहती है सीएम के पद पर

पंजाब में बतौर मुख्यमंत्री जनता चरणजीत सिंह चन्नी को 31 फीसदी आप के भगवंत मान को 26 फ़ीसदी, अरविंद केजरीवाल को 16 फीसदी, शिरोमणि अकाली दल के सुखबीर बादल को 10 फीसदी, कांग्रेस के नवजोत सिंह सिद्धू को 8 फीसदी और कैप्टन अमरिंदर सिंह को केवल 3 फ़ीसदी ही जनता मुख्यमंत्री बनाना चाहती है.

भले ही कांग्रेस एग्जिट पोल में आपके पीछे नजर आ रही है मगर लोग चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री के तौर पर लोग देखना चाहते हैं। यह भी एक सोचने वाली बात है कि लोग पसंद तो चन्नी को करते हैं मगर जीत की बात करें तो आप के जीतने की उम्मीद ज्यादा है। यह भी एक दिलचस्प कड़ी है। अधिकतर न्यूज़ चैनलों के एग्जिट पोल देखें तो इसमें आम आदमी पार्टी सरकार बनाते दिख रही है।

आप अकाली बीजेपी कांग्रेस

C voter -

52-58 17-23 1-3 37-43

Zee design boxed

39 32-35 4-7 35-38

Republic p-marq

50-56 13-17 1-3 42-48

Polstrat newsx

47-52 22-26 1-2 40-45

India ahead erg

59-64 8-11 1-2 40-44

Db live

65 15-18 1-2 32-42

Poll of polls

53 16-20 1-3 41-46

क्या राम रहीम चुनावों में प्रभाव डाल सकते हैं?

यह सभी एग्जिट पोल जनवरी माह में न्यूज़ चैनलों ने जारी किए हैं। सबसे अहम बात अब यह है कि राम रहीम के जेल से फरलो मिलने के बाद इस चुनावों में बीजेपी+गठबंधन को फायदा मिलने की बात की जा रही है। यानी कि बीजेपी के वोट बैंक में जबरदस्त उछाल देखने को मिल सकता है। क्या सच में ऐसा हो सकता है आइए जानते हैं।

चंडीगढ़ की इंस्टीट्यूट फॉर डेवलपमेंट एंड कम्युनिकेशन की रिसर्च के मुताबिक पंजाब की कुल 117 सीटों में से 56 सीटों पर डेरा का प्रभाव है और उसमें चुनाव नतीजों में असर दिखाई दे सकता है। ऐसी भी जानकारी है कि जिन प्रत्याशियों का डेरे के साथ अच्छे संबंध है उन्हें जीत मिलना लगभग तय है यानी कि वह प्रत्याशी कर कांग्रेस का हो,आम आदमी पार्टी का उसको जीत जीत मिल सकती है। डेरे का मालवा के क्षेत्र में भी खासा प्रभाव है। मालवा की लगभग 35 सीटों पर डेरे का सीधा प्रभाव है।

बीजेपी ने राम रहीम का खुलकर समर्थन किया था मगर जेल जाने के बाद डेरे के समर्थकों का बीजेपी से नाराजगी तो है ही। हो सकता है फरलो मिलने के बाद चुनावों के माहौल को बीजेपी के पक्ष में बदला जा सके। यानी कि जो अभी तक एग्जिट पोल के रूझान हैं उसमें बीजेपी के वोट बैंक में कुछ इजाफा हो सकता है। ऐसा राजनीतिक विशेषज्ञों द्वारा क्यास लगाए जा रहे हैं। मगर डेरा कितना भा प्रभावी क्यों ना हो बीजेपी सीधे तौर पर पंजाब में सरकार अभी बनाने के हालात में नहीं है। कृषि कानून भी एक बहुत बड़ा मुद्दा रहा है, जिस वजह से बीजेपी इस बार पंजाब में खुद के दम पर सरकार बनाने की स्थिति में नहीं है।

पंजाब की जनता इस बार नई सरकार को लाना चाहती है। ऐसा पंजाब के लोगों का सोचना है। क्योंकि पंजाबियों का कांग्रेस और अकाली से मन टूट चुका है। इसलिए आम आदमी पार्टी का तीसरी पार्टी के रूप में पंजाब में जगह बनाना इस बार दिखाई दे रहा है।

कुछ राजनीतिक विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि इस बार हो सकता है किसी को पूर्ण रूप से बहुमत ना मिले, क्योंकि जिस तरह कैप्टन अमरिंदर सिंह ने अपनी पार्टी बनाई है और बीजेपी ने कृषि कानूनों को वापस कर चुनावों में अपने उम्मीदवारों को फिर से लोगों के बीच में खड़ा किया है। इससे कहा जा सकता है कि वोट प्रतिशत में जरूर फायदा हो सकता है। अकाली दल और बीएसपी पंजाब के चुनावों में दलित वोटों को इकट्ठा करने में कामयाब हो सकती है।

इससे पहले कांग्रेस और आम आदमी पार्टी की एक दूसरे से जबरदस्त टक्कर दिखाई दे रही थी। मगर कैप्टन अमरिंदर सिंह की अलग पार्टी बनाने और अकाली दल का बीएसपी पार्टी से गठबंधन बनाने की वजह से वोट एक दूसरे के कटते दिखाई दे रहे हैं। अब यह तो आने वाला समय ही बताएगा इस बार पंजाब में किसकी सरकार बनेगी।

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