Pushkar Singh Dhami : 42 लाख रुपये रोज खर्च हो रहे हैं उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री की ब्रांडिंग पर, RTI से खुलासा
Pushkar Singh Dhami : मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने अपने पूर्ववर्तियों को विज्ञापनबाजी में पछाड़ते हुए अपनी युवा जोश की छवि बनाने के लिए अंधाधुंध पानी की तरह पैसा बहाना शुरू कर दिया....
Pushkar Singh Dhami : प्रचंड बहुमत से सबका साथ-सबका विकास करने के लिए उत्तराखण्ड (Uttarakhand) की सत्ता में आई भारतीय जनता पार्टी (BJP) की सरकार में मुख्यमंत्री की छवि सुधारने के लिए बेपनाह पैसा लुटाया जा रहा है। सूचना अधिकार (RTI) से मिली सूचना से पता चला है कि वर्तमान मुख्यमंत्री की छवि बनाने के लिए 42 लाख रुपये प्रतिदिन की दर से जनता का पैसा लुटाया जा रहा है। यह खर्चा केवल वर्तमान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (Pushkar Singh Dhami) का ही है। इससे पहले के मुख्यमंत्रियों का खर्चा इसमें शामिल नहीं है।
उत्तराखंड (Uttarakhand) में राजनीतिक उठापटक के बाद 4 जुलाई 2021 को प्रदेश में 11वें व इस सरकार के तीसरे मुख्यमंत्री के रूप में पुष्कर सिंह धामी (Pushkar Singh Dhami) की ताजपोशी हुई थी। इस सरकार के पहले मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत (Trivendra Singh Rawat) थे। जो चार साल तक मुख्यमंत्री बने रहे। इसके बाद तीरथ सिंह रावत (Teerath Rawat) को मुख्यमंत्री बनाया गया। तीरथ सिंह रावत को भी राजनीतिक उठा-पटक के चलते चार महीने से भी कम समय में पार्टी ने चलता कर दिया था।
पार्टी के पहले मुख्यमंत्रियों ने भी मीडिया मैनेजमेंट कर अपनी सरकार की गुलाबी तस्वीर ही जनता के सामने रखी। लेकिन तीसरे युवा मुख्यमंत्री पुष्कर धामी (Pushkar Singh Dhami) ने अपने पूर्ववर्तियों को विज्ञापनबाजी में पछाड़ते हुए अपनी युवा जोश की छवि बनाने के लिए अंधाधुंध पानी की तरह पैसा बहाना शुरू कर दिया।
देहरादून के जेएस रिसम ने मौजूदा मुख्यमंत्री पुष्कर धामी के कार्यकाल में प्रिंट-इलैक्ट्रिक मीडिया, होर्डिंग, पोस्टर, बैनर आदि प्रचार सामग्री पर हुए खर्च का ब्यौरा सूचना विभाग से मांगा तो पता चला कि इस मद में बेतहाशा पैसा बहाया गया है।
विभाग के महानिदेशालय के उपनिदेशक मनोज कुमार श्रीवास्तव द्वारा सूचनाधिकार के तहत उपलब्ध कराई गई जानकारी के अनुसार केवल प्रिंट व इलेक्ट्रॉनिक्स मीडिया का ही साठ करोड़ रुपये का विज्ञापन खर्च छः माह का है। मतलब 32 लाख रुपये प्रति दिन के हिसाब से टीवी व अख़बारबाजी के विज्ञापन पर खर्च किये गए। इसके अलावा रोडवेज बसों पर लगे पोस्टर, होर्डिंग, बैनर में भी इसी अवधि में 18 करोड़ रुपये खर्च किये गए।
ऐसे में हिसाब लगाया जाए तो उत्तराखण्ड जैसे राज्य जहां सरकार के पास राज्य कर्मचारियों को वेतन देने तक के लाले पड़ते हो में वहां केवल मुख्यमंत्री का चेहरा चमकाने के लिए 42 लाख रुपये रोजाना के हिसाब से स्वाहा किये जा रहे हैं।