Pushkar Singh Dhami : अब कहां से चुनाव लड़ेंगे CM धामी ? 6 माह के भीतर सदन की सदस्यता जरूरी
Pushkar Singh Dhami : विधानसभा चुनाव में भाजपा को मिले प्रचण्ड बहुमत के बाद भी पुष्कर धामी के विधानसभा चुनाव हारने के बाद से ही कई नवनिर्वाचित विधायक उनके मुख्यमंत्री बनने की सूरत में उनके लिए सीट खाली करने की पेशकश कर चुके हैं....
Pushkar Singh Dhami : ग्यारह दिन की मशक्कत के बाद उत्तराखण्ड में कौन बनेगा मुख्यमंत्री सवाल का जवाब मिलते ही नया अहम सवाल यह बन गया है कि पुष्कर सिंह धामी (Pushkar Singh Dhami) उपचुनाव कहाँ से लड़ेंगे ? पार्टी स्तर से जहां उनके लिए बेहद सुरक्षित सीट के लिए मंथन शुरू हो गया है तो मुख्यमंत्री (Uttarakhand CM) के रेस में पीछे रहने वालों की नजर भी अब उपचुनाव पर टिक गई है।
पुष्कर सिंह धामी को भाजपा (BJP) विधायक दल द्वारा अपना नेता चुनने के बाद उनके उत्तराखंड के 12 वें मुख्यमंत्री बनने जा मार्ग प्रशस्त हो गया है। लेकिन अब धामी को छह महीने के भीतर विधानसभा (Uttarakhand Assembly) का सदस्य बनने की अग्निपरीक्षा से भी गुजरना होगा। धामी के विधायक दल का नेता चुने जाने के बाद बड़ा सवाल यह है कि वह अब किस सीट से चुनाव मैदान में उतरेंगे।
प्रदेश में पिछली सरकार में आखिरी समय में भाजपा ने धामी को उत्तराखंड का मुख्यमंत्री बनाया था। छह महीने के कार्यकाल में अपने काम से पुष्कर ने धाकड़ धामी की पहचान बना ली थी। अपने कम समय के कार्यकाल में देवस्थानम विधेयक वापस लिए जाने सहित कई अहम फैसले लिए थे। धामी अब 23 मार्च को दूसरी बार सीएम के तौर पर शपथ लेंगे, लेकिन संविधान के अनुच्छेद 164 (4) के तहत उन्हें छह महीने के भीतर सदन की सदस्यता लेनी होगी।
विधानसभा चुनाव में भाजपा को मिले प्रचण्ड बहुमत के बाद भी पुष्कर धामी के विधानसभा चुनाव हारने के बाद से ही कई नवनिर्वाचित विधायक उनके मुख्यमंत्री बनने की सूरत में उनके लिए सीट खाली करने की पेशकश कर चुके हैं। इनमें पार्टी के नवनिर्वाचित विधायक तो शामिल हैं ही, खानपुर विधानसभा से कुंवर प्रणव कुमार चैम्पियन की पत्नी देवयानी को हराकर पहली बार विधानसभा पहुंचे उमेश कुमार शर्मा जैसे निर्दलीय विधायक भी शामिल हैं।
हालांकि उमेश कुमार के अलावा चार अन्य विधायक भी उनके लिए सीट छोड़ने को तैयार हैं। उमेश कुमार के अलावा जो भाजपा जो चार विधायक उनके लिए अब तक अपनी सीट छोड़ने का एलान कर चुके हैं। उनमें चंपावत के विधायक कैलाश गहतोड़ी, जागेश्वर के मोहन सिंह मेहरा, लालकुआं के डा.मोहन सिंह बिष्ट, रुड़की के प्रदीप बत्रा का नाम शामिल हैं।
मुख्यमंत्री का कुमाउं से जुड़ा होने के कारण उनके गढ़वाल मण्डल से तो उपचुनाव लड़ने की संभावना न के बराबर ही है। इसलिए खानपुर या रुड़की विधायक की पेशकश का कोई अर्थ नहीं रह जाता। उपचुनाव के लिए पार्टी के साथ ही धामी की पहली प्राथमिकता कुमाउं मण्डल ही रहनी है। ऐसे में मुख्यमंत्री के लिए सुरक्षित सीट तलाशने का दायरा कुमाउं मण्डल तक सीमित रह गया है।
भरोसेमंद सूत्रों के मुताबिक धामी डीडीहाट विधानसभा सीट से चुनाव लड़ सकते हैं। इस सीट पर भाजपा के बिशन सिंह चुफाल ने जीत हासिल की है। बिशन सिंह चुफाल पार्टी के वरिष्ठ नेताओं में शुमार हैं। पार्टी उन्हें जुलाई में राज्यसभा सांसद प्रदीप टम्टा की खाली होने वाली सीट से राज्यसभा भेजने का भी ऑफर दे सकती है। राजनैतिक चर्चाओं की मानी जाए तो धामी खटीमा विधानसभा से चुनाव लड़ने के शुरू से ही इच्छुक नहीं थे। उनकी नजर पहले से ही डीडीहाट विधानसभा पर थी। लेकिन बिशन सिंह चुफाल के हर हाल में चुनाव लड़ने की जिद्द के आगे धामी मजबूर हो गए थे।
इसके अलावा शुरू में कांग्रेस के हरीश रावत द्वारा डीडीहाट सीट पर ली जाने वाली दिलचस्पी ने भी धामी का डीडीहाट से मोह भंग कर दिया था। अब बदली परिस्थिति में धामी को फिर डीडीहाट सीट एक आसान विकल्प दिख रही है। आसान सीट की धामी को इसलिए भी जरूरत है कि मुख्यमंत्री की हालिया रेस में पीछे रहने वालों के लिए भी उपचुनाव एक अवसर हो सकता है। घायल कांग्रेस तो अभी चुनौती देने की स्थिति में है भी नहीं।