Pushkar Singh Dhami बने उत्तराखंड के 12वें मुख्यमंत्री, भाजपा विधायक दल ने जताया भरोसा
Pushkar Singh Dhami : ए मुख्यमंत्री के नाम का खुलासा होने के बाद उनकी भव्य ताजपोशी की तैयारियां शुरू हो गई है, विधायक दल का नेता चुने जाने के बाद धामी 22 मार्च को फिर मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे....
Pushkar Singh Dhami : चार विधानसभा के कार्यकाल में अपनी 21 साल की उम्र में 11 मुख्यमंत्री देख चुका उत्तराखण्ड 12वें मुख्यमंत्री के रूप में फिर पुष्कर सिंह धामी (Pushkar Singh Dhami) को देखेगा। 'जनज्वार' ने धामी को मुख्यमंत्री बनाये जाने की सभी संभावनाओं का खुलासा करते हुए पहले ही एक रिपोर्ट पब्लिश की थी। उसी रिपोर्ट पर आज यह मुहर लगी है।
सोमवार की शाम भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नवनिर्वाचित विधायक दल की बैठक में कार्यवाहक मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नाम पर ही उन्हें प्रदेश का अगला मुख्यमंत्री (Uttarakhand New CM) बनाये जाने के लिए विधायकों में आम सहमति बनी। नए मुख्यमंत्री के नाम का खुलासा होने के बाद उनकी भव्य ताजपोशी की तैयारियां शुरू हो गई है। विधायक दल का नेता चुने जाने के बाद धामी 22 मार्च को फिर मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे।
बता दें की उत्तराखंड के 2022 विधानसभा चुनावों में पुष्कर सिंह धामी के नाम पर विधानसभा का चुनाव (Uttarakhand Assembly Election 2022) लड़ा गया था। लेकिन इसे राजनैतिक विद्रूप ही कहेंगे कि लगभग असंभव लक्ष्य को पार्टी ने धामी के नेतृत्व में भेदते हुए चुनाव में प्रचंड बहुमत प्राप्त तो कर लिया, लेकिन उसके खुद के सेनापति पुष्कर सिंह धामी ही खटीमा विधानसभा क्षेत्र से चुनाव हार गए थे। ऐसे में कयास यह लगाए गए कि मुख्यमंत्री के रूप में पुष्कर सिंह धामी जगह किसी और को मौका दिया जा सकता है। लेकिन भारतीय जनता पार्टी युद्ध में घायल हो चुके अपने सेनापति को उसके हाल पर केवल इसलिए नहीं छोड़ सकी कि सेनापति ने घायल होने के बाद भी पार्टी को प्रचंड बहुमत दिला दिया था।
हालांकि भारतीय जनता पार्टी को चुनाव में प्रचंड बहुमत मिलने के बाद धामी के चुनाव हारते ही पार्टी के कुछ नेताओं को इस आपदा में अपने लिए अवसर नजर आने लगा। देखते ही देखते दर्जन भर नाम राजनैतिक हलकों में अगले मुख्यमंत्री के लिए या तो चलने लगे या फिर मीडिया में अपने दोस्तों की बदौलत चलवाये जाने लगे। मुख्यमंत्री पद के लिए सभी दर्जन भर दावेदारों के पास अपने को मुख्यमंत्री वजह बनाने की वजह थी तो धामी को मुख्यमंत्री न बनाये जाने की भी वजह थी।
धामी के खिलाफ उनके विरोधियों ने जिस सबसे बड़े अस्त्र का प्रयोग किया वह था कुमाउं मण्डल में उनके नेतृत्व के बाद भी पार्टी को गढ़वाल की अपेक्षा मिला कम समर्थन। धामी के विरोधी यहीं बड़ी चूक कर गए। वह जिस परिस्थिति को धामी को कमजोरी मान रहे थे, आलाकमान ने लोकसभा चुनाव को देखते हुए उसे चुनौती के रूप में लेते हुए धामी को ही मुख्यमंत्री बनाये रखने का निर्णय ले लिया।
हालांकि पुष्कर सिंह धामी के पक्ष में कईं विधायकों ने आलाकमान से आग्रह किया है कि उनकी सीट खाली करवाकर धामी को वहां से चुनाव लड़ाया जाए। शपथ लेने के बाद पुष्कर धामी 6 महीने के अंदर चुनाव लड़कर विधायक बनाना होगा। इसके लिए किसी एक विधायक की सीट खाली की जाएगी। कई ऑफर पार्टी के पास पहले भी है, अपने भी और निर्दलीय विधायक के भी। बस देखना यह है कि वह निर्दलीय विधायक की सीट खाली करवाती है या अपनी ही पार्टी के विधायक की ?