राहुल गांधी को इसलिए निशाना बनाया गया क्योंकि उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी से अडानी के बारे में पूछकर उन दोनों का रिश्ता किया उजागर
राहुल गांधी से पहलेद मानहानि के अपराध के लिये आजाद भारत के इतिहास में अभी तक किसी को भी अधिकतम 2 साल की सजा नहीं मिली है, भारतीय जनता पार्टी के नेताओं के खिलाफ मामले अत्यधिक उदारता के साथ निपटाए जाते हैं...
Lucknow news : सांसद, उपनेता और राज्यसभा और स्टीयरिंग कमेटी के सदस्य प्रमोद तिवारी ने केंद्र की भाजपा सरकार से सवाल किया है कि अडानी की शेल कंपनियों में रुपये 20,000 करोड अथवा 3 बिलियन डॉलर की इतनी बड़ी धनराशि अडानी स्वयं कमा नहीं सकते क्योंकि वे इंफ्रास्ट्रक्चर में है, इतनी बड़ी धनराशि कहां से आयी? यह किसका काला धन है? ये शेल कंपनियां किसकी हैं? ये कंपनियां डिफेंस फील्ड में काम कर रही हैं, तो कोई क्यों नहीं जानता? इसमें एक चीनी नागरिक शामिल है, वह चीनी नागरिक कौन है?
प्रेस कांफ्रेंस में प्रमोद तिवारी ने सवाल किया कि पीएम मोदी का अडानी से क्या रिश्ता है? रक्षा उद्योग के बारे में, हवाई अड्डों के बारे में, श्रीलंका में दिये गये बयानों के संदर्भ में, बांग्लादेश में दिये गये बयानों के संदर्भ में और ऑस्ट्रेलिया में भारतीय स्टेट बैंक के चेयरमैन के साथ बैठे हुए माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एवं अडानी की तस्वीरे हैं, जिन्होंने कथित तौर पर 1 बिलियन डॉलर का ऋण स्वीकृत किया था। इसके पुख्ता सुबूत हैं।
राहुल गांधी जी और राज्य सभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे द्वारा अडानी के संदर्भ में सदन में दिये गये भाषणों के महत्वपूर्ण अंशों को संसद के रिकॉर्ड से हटा दिया गया है। यही नहीं अडानी के घोटाले के संदर्भ में जब राहुल गांधी जी ने संसद में भाषण दिया था और सरकार से सवाल किया था तो उसके 9 दिन बाद उनके खिलाफ मानहानि का प्रकरण फिर शुरू हो गया।
आजाद भारत के इतिहास में यह पहली बार हुआ है कि जब संसद के बजट सत्र को सत्तारूढ़ पार्टी (भारतीय जनता पार्टी) के मंत्रियों और सांसदों द्वारा बाधित किया जा रहा है, जबकि संपूर्ण विपक्ष इस प्रकरण की जेंपीसी (संयुक्त संसदीय समिति) की जाँच चाहता है।
तिवारी ने कहा कि राहुल गांधी जी ने माननीय अध्यक्ष लोकसभा को दो बार लिखित रूप से अनुरोध किया कि उन्हें सदन में जवाब देने दिया जाय, और तीसरी बार लोकसभा अध्यक्ष से मिलकर भी अनुरोध किया, किन्तु इसके बावजूद भी उन्हें बोलने का अवसर नहीं दिया गया। इससे साफ हो जाता है कि प्रधानमंत्री मोदी नहीं चाहते है कि अडानी से उनके रिश्ते का पर्दाफाश हो, और स्थिति देश के सामने आये।
तिवारी कहते हैं, अडानी प्रकरण पर ध्यान भटकाने की कवायद भाजपा सरकार के निम्नलिखित 3 झूठे आरोपों से स्वयं साबित होती है:
पहला, सर्वप्रथम उन्होंने दावा किया कि राहुल गांधी ने विदेशी ताकतों से भारत की मदद करने के लिये कहा था, यह एक सफेद झूठ है। यदि कोई उनके वक्तव्यों को ध्यान से देखें तो उन्होंने कहा था कि यह भारत का अंदरूनी मामला है हम स्वयं इसका हल निकालने में सक्षम हैं।
दूसरा, भारतीय जनता पार्टी अब झूूठा हौवा खड़ा कर रही है कि राहुल गांधी ने ओबीसी को मात्र इसलिये निशाना बनाया क्योंकि उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी से एक सवाल किया था। ध्यान भटकाने का यह एक और हथकण्डा है, जो व्यक्ति देश में एकता फैलाने के लिये भारत जोड़ो यात्रा में 4000 किमी. पैदल चला हो, वह कैसे एक समुदाय विशेष को निशाना बना सकता है?
तीसरा, सूरत (गुजरात) की एक निचली अदालत के फैसले के 24 घंटे के अंदर भारतीय जनता पार्टी ने राहुल गांधी की लोकसभा की सदस्यता को रद्द करने के लिये बिजली की गति से काम किया, जबकि माननीय न्यायालय ने उन्हें माननीय उच्च न्यायालय में अपील करने के लिए 30 दिन का समय दिया था। आखिर भारतीय जनता पार्टी सरकार राहुल गांधी से इतना डरती क्यों हैं? कुछ तो बात है।
भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा की ओबीसी समुदाय का अपमान करने का आरोप लगाने की घटिया चाल स्पष्ट रूप से हताशा साबित हुई।
सबसे पहला, राहुल गांधी जी द्वारा दिये गये बयान में यह पूछा गया था कि कुछ चोरों का एक ही उपनाम नीरव मोदी, ललित मोदी और नरेंद्र मोदी ही क्यों है? उन्होंने यह कभी नहीं कहा किसारे मोदी चोर हैं। उन्होंने किसी समुदाय विशेष को कतई निशाना नहीं बनाया।
दूसरा, न तो नीरव मोदी ओबीसी हैं, और न ही ललित मोदी ही ओबीसी हैं, उनकी चाहे जो भी जाति हो क्या उन्होंने धोखाधड़ी नहीं की है? आखिर भारतीय जनता पार्टी सरकार धोखेबाजों और भगोड़ों को क्यों बचा रही है?
तीसरा, कांग्रेस पार्टी में 2 ओबीसी मुख्यमंत्री हैं, इससे यह साबित होता है कि कांग्रेस पार्टी ओबीसी के योगदान को महत्व देती है। प्रमोद तिवारी कहते हैं, भारत जोड़ो यात्रा के दौरान हम सीधे लोगों के पास गये, उनकी चिंताओं उनकी परेशानियों को सुना और जाना। महंगाई, बेरोजगारी, सामाजिक असामनता और संस्थानों पर कब्जा किया जाना, इन सब मुद्दों को हमने उठाया। हम लोगों के इस मुद्दों को उठाते रहे हैं और आगे भी उठाते रहेंगे, हम संदेश सीधे देश की महान जनता तक पहुंचाते रहेंगे। राहुल गांधी और हम सभी कांग्रेस जन इससे डरने वाले नहीं हैं।
मानहानि के अपराध के लिये आजाद भारत के इतिहास में अभी तक किसी को भी अधिकतम 2 साल की सजा नहीं मिली है। भारतीय जनता पार्टी के नेताओं के खिलाफ मामले अत्यधिक उदारता के साथ निपटाए जाते हैं। उत्तर प्रदेश के बांदा से भाजपा सांसद आरके पटेल को नवम्बर माह में एक ट्रेन रोकने, सार्वजनिक सड़कों को अवरुद्ध करने और पुलिस कर्मियों पर पथराव करने के लिये दोषी ठहराया गया था, किन्तु उन्हें केवल एक साल की जेल हुई थी।
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, पंडित जवाहर लाल नेहरू, नेताजी सुभाष चन्द्र बोस, मौलाना अबुल कलाम आजाद को या तो राजद्रोह या फिर जेल के मामले में अंग्रेजों ने सजा दी, किंतु अंततः कांग्रेस ने अंग्रेजों के खिलाफ जीत हासिल की। अब मोदी सरकार चोरों और घोटालेबाजों का पर्दाफाश करने के लिये राहुल गांधी जी पर निशाना साध रही है। कांग्रेस लोकतांत्रिक ढंग से अहिंसात्मक से इसके लिए संघर्ष करेगी और फिर जीत हासिल करेगी।