8 बार के MLA सतीश महाना ने रद्द की 10 बार के विधायक आजम खान की सदस्यता, चुनाव आयोग भेजी गई रिक्त सीट की सूचना
Azam Khan Hate Speech Case: समाजवादी पार्टी से दस बार विधायक रहे आजम खान की सदस्यता आज रद्द कर दी गई। आजम खान की सदस्यता आठ बार के विधायक रहे मौजूदा विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने रद्द की है। राजनीतिक गलियारों में यह बात चर्चा का विषय बन रही है..
Azam Khan Hate Speech Case: समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) से दस बार विधायक रहे आजम खान की सदस्यता आज रद्द कर दी गई। आजम खान (Azam Khan) की सदस्यता आठ बार के विधायक रहे मौजूदा विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना (Satish Mahana) ने रद्द की है। राजनीतिक गलियारों में यह बात चर्चा का विषय बन रही है। क्योंकि माना जाता है कि एक समय विधायक सतीश महाना से आजम के बड़े अच्छे संबंध रहे हैं।
कहा यह भी जा रहा कि आज सतीश महाना (Satish Mahana) ने किसी दबाव में आकर आजम खान की सदस्यता रद्द की है। क्योंकि सदस्यता रद्द करने में जल्दबाजी की गई, जैसी बातें उठ रही हैं। वहीं, दूसरी तरफ अब हेट स्पीच को लेकर आजम खान की तुलना भाजपा मंत्री अनुराग ठाकुर (Anurag Thakur) और प्रवेश वर्मा (Pravesh Verma) की स्पीचों से की जा रही है। लोग कह रहे भाजपा अपने नेताओं पर उनकी हेट स्पीचों के लिए कार्रवाई क्यों नहीं करती।
क्या है पूरा मामला?
बता दें कि सपा विधायक और पूर्व मंत्री आजम खान को गुरुवार एमपी-एमएलए कोर्ट ने हेट स्पीच (Hate Speech) के मामले में तीन साल की सजा सुनाई थी। उन पर छह हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया गया था। तब से ही ही लगातार उनकी सदस्यता जाने का खतरा मंडरा रहा था। सजा के ऐलान के बाद हालांकि आजम को तुरंत कोर्ट से जमानत मिल गई थी। गुरुवार की दोपहर करीब दो बजे एमपीएमएलए की विशेष अदालत ने सुनवाई शुरू करने के बाद आजम को दोषी ठहराते ही कस्टडी में ले लिया था। चार बजे के करीब अदालत ने फैसला सुनाया था। इस दौरान आजम खां कस्टडी में ही रहे थे।
तीन धाराओं में दर्ज हुआ था केस
आजम के खिलाफ तीन धाराओं में केस दर्ज हुआ था। तीनों ही मामलों में उन्हें दोषी माना गया था। 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान आजम पर भड़काऊ भाषण देने का मामला दर्ज किया गया था। आरोप है कि भाषण के दौरान आजम खां ने कथित तौर पर PM मोदी और CM योगी पर भी आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल किया था।
भड़काऊ भाषण का यह मामला वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव का है। आजम खां लोकसभा का चुनाव लड़़ रहे थे। तब सपा और बसपा का गठबंधन था। आजम खां चुनाव जीत गए थे। चुनाव प्रचार के दौरान उनके खिलाफ आचार संहिता उल्लंघन के कई मामले विभिन्न थानों में दर्ज हुए थे। इसमें एक मामला मिलक कोतवाली में हुआ था। इसमें उन पर आरोप है कि उन्होंने संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों और तत्कालीन जिलाधिकारी के लिए अपशब्द कहे। धमकी दी और दंगा भड़काने का प्रयास किया। उनके द्वारा वर्ग विशेष से धर्म के नाम पर वोट की अपील की गई। इन आरोपों के साथ वीडियो अवलोकन टीम के प्रभारी अनिल कुमार चौहान की ओर से आजम खां के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी।
जनप्रतिनिधियों की सजा का क्या है प्रावधान?
दरअसल जनप्रतिनिधियों के लिए बने कानून के मुताबिक यदि किसी विधायक को दो साल से ज्यादा की सजा सुनाई जाती है तो फिर उसकी सदस्यता चली जाती है। आजम खां के लिए यही बहुत बड़ा संकट है। इससे पहले अयोध्या की गोसाईगंज विधानसभा से भाजपा के विधायक खब्बू तिवारी (Khabbu Tiwari) को अपनी विधायकी गवानी पड़ी थी। उन्हें कोर्ट ने दो साल से ज्यादा की सजा सुनाई थी। साल 2019 के चुनाव में आजम खां रामपुर से सांसद चुने गये थे। रामपुर से ही इसी साल विधायक बनने पर सांसदी से इस्तीफा दे दिया था।
Azam Khan Hate Speech Case हेट स्पीच मामले में तीन साल की सजा के ऐलान के बाद रामपुर से सपा विधायक आजम खान को एक और बड़ा झटका लगा है। आजम खान की विधानसभा की सदस्यता को रद्द कर दिया गया है। सजा के ऐलान के बाद आजम के लिए यह सबसे बड़ा झटका माना जा रहा है। शिकायतकर्ता आकाशदास सक्सेना की शिकायत को संज्ञान में लेते हुए विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना (Satish Mahana) ने यह कार्रवाई की है। आकाश सक्सेना ने विधानसभा अध्यक्ष के अलावा केन्द्रीय चुनाव आयोग को भी सदस्यता रद्द करने की शिकायत भेजी थी। स्पीकर ने सदस्यता रद्द करने के बाद रामपुर विधानसभा का पद रिक्त होने की सूचना भी चुनाव आयोग को भेज दी है।