कुश्ती संघ के निलंबन का नाटक नहीं, महिला खिलाड़ियों के यौन शोषण के आरोपी भाजपाई सांसद बृजभूषण को गिरफ्तार करे मोदी सरकार : माले
ओलंपिंक पदक विजेता पहलवान साक्षी मालिक द्वारा कुश्ती संघ के चुनाव में बृजभूषण के दबदबे (विश्वासपात्र संजय सिंह) की जीत के विरोध में कुश्ती से संन्यास की घोषणा और पहलवान बजरंग पुनिया के पद्मश्री सम्मान लौटाने के बाद खेल मंत्रालय द्वारा नए कुश्ती संघ को निलंबित करने की कार्रवाई 'डैमेज कंट्रोल' का नाटक है, जबकि इसके पहले सरकार ने चुनाव को पक्षपात रहित और लोकतांत्रिक बताया था....
लखनऊ। खेल मंत्रालय ने आज 24 दिसंबर को एक बड़ा फैसला करते हुए WFI के नवनियुक्त अध्यक्ष संजय सिंह के नेतृत्व में हाल ही में चुने गए नए कुश्ती संघ को निलंबित कर दिया है। चूंकि संजय सिंह बीजेपी सांसद और महिला पहलवान खिलाड़ियों के यौन शोषण के आरोपी बृजभूषण सिंह का करीबी माना जाता है, इसलिए संजय सिंह की ताजपोशी के बाद कुश्ती से साक्षी मलिक ने संन्यास की घोषणा कर दी थी और बजरंग पुनिया ने अपना पदमश्री पुरस्कार लौटा दिया था।
इस कार्रवाई पर भाकपा माले ने कहा है कि कुश्ती संघ के निलंबन का नाटक नहीं, सरकार भाजपा सांसद बृजभूषण को गिरफ्तार करे। पार्टी ने कहा है कि बृजभूषण पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने वाली महिला पहलवानों को कड़ी कार्रवाई का आश्वासन देकर सरकार ने जंतर-मंतर पर उनके आंदोलन को स्थगित कराया था, अब वादाखिलाफी की जगह उन्हें दिए आश्वासन को पूरा करे।
माले राज्य सचिव सुधाकर यादव ने अपने बयान में कहा कि ओलंपिंक पदक विजेता पहलवान साक्षी मालिक द्वारा कुश्ती संघ के चुनाव में बृजभूषण के दबदबे (विश्वासपात्र संजय सिंह) की जीत के विरोध में कुश्ती से संन्यास की घोषणा और पहलवान बजरंग पुनिया के पद्मश्री सम्मान लौटाने के बाद खेल मंत्रालय द्वारा नए कुश्ती संघ को निलंबित करने की कार्रवाई 'डैमेज कंट्रोल' का नाटक है, जबकि इसके पहले सरकार ने चुनाव को पक्षपात रहित और लोकतांत्रिक बताया था।
माले नेता ने कहा कि सरकार सब कुछ देखकर भी अनदेखी कर रही है और अब भी अपने सांसद को संरक्षण दे रही है, जिसे बहुत पहले ही सींखचों के पीछे होना चाहिए था। सरकार के इशारे पर जांच एजेंसियां व दिल्ली पुलिस न्याय दिलाने की जगह मामले पर लीपापोती में ही लगी हैं।
माले का कहना है, प्रभावशाली अभियुक्त को सजा देने पर सरकार की सोची-समझी चुप्पी न सिर्फ पीड़िता पहलवानों के साथ खुला अन्याय है, बल्कि उस व्यापक लोकतांत्रिक जनमत का भी अपमान है, जो पहलवानों के साथ खड़ा है। यह जनमत लगातार बढ़ रहा है। पहलवान वीरेंद्र सिंह ने भी पद्मश्री सम्मान लौटाने का एलान किया है। सरकार आगामी लोकसभा चुनाव में जिस लाभ के लिए आरोपी संसद को नाक का बाल बनाये है, उसी चुनाव में उसे इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा।