उत्तराखण्ड : केदारनाथ के तीर्थ पुरोहित मुख्यमंत्री धामी से भयंकर नाराज, कहा समझौते को लेकर फैला रहे फर्जी खबर

मुख्यमंत्री का ट्वीट और सूचना विभाग का प्रेस नोट मीडिया में आते ही केदारनाथ के तीर्थ पुरोहित एक बार फिर भड़क उठे, मुख्यमंत्री धामी और मीडिया को कहा बंद करो फर्जी खबरें फैलाना...

Update: 2021-08-25 03:40 GMT

मुख्यमंत्री धामी के ट्वीटर पर जारी बयान के बाद नाराज हुए केदारनाथ के तीर्थ पुरोहित, पत्र जारी कर जताया अपना विरोध

सलीम मलिक की रिपोर्ट

देहरादून ब्यूरो। गुजरे दो साल से देवस्थानम बोर्ड भंग किये जाने की मांग को लेकर आन्दोलनरत तीर्थ पुरोहितों का आंदोलन प्रदेश की भाजपा सरकार के लिए मुसीबत बनता नज़र आ रहा है। लेकिन 'अपने' लोगों के इस आंदोलन से बेपरवाह सरकार आंदोलन पर कोई तवज्जो देने के बजाए उसे येन-केन-प्रकारेण फ्लॉप शो साबित करने पर उतारू है। तीर्थ पुरोहितों का आरोप है कि अपनी इस कोशिश में मुख्यमंत्री द्वारा सोशल मीडिया माध्यम से न केवल गलतबयानी की जा रही है, बल्कि उनका सूचना विभाग भी उसे प्रचारित कर रहा है।

गौरतलब है कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का एक ट्वीट मंगलवार 24 अगस्त को उनके ट्विटर हैंडल से जारी हुआ, जिसमें वे दावा करते हुए कह रहे हैं कि बदरीनाथ-केदारनाथ के तीर्थ-पुरोहितों से भेंट हुई। ट्वीट में मुख्यमंत्री देवस्थानम बोर्ड पर सारी आशंकाएँ दूर करने सहित कई बातें कह रहे हैं। प्रदेश के सूचना विभाग ने भी इस कथित मुलाकात का एक लम्बा-चौड़ा प्रेस नोट जारी करके 'ऑल इज़ वैल' जैसा संदेश दे दिया। सूचना विभाग का यह प्रेस नोट कमोवेश प्रदेश के सभी वेव मीडिया हाउस में चला, लेकिन बाद में तीर्थ पुरोहितों की तरफ से दावा किया गया कि मुख्यमंत्री का यह ट्वीट पूरी तरह गलतबयानी पर आधारित है।

दरअसल मंगलवार 24 अगस्त की सुबह मुख्यमंत्री धामी से देवप्रयाग विधायक विनोद कंडारी और केदारनाथ से पूर्व विधायक शैलारानी रावत के साथ कुछ लोग मुलाकात की थी। तीर्थ पुरोहितों का कहना है कि विनोद कंडारी के साथ के जो लोग अपनी कमेटी के चुनाव के बाद शिष्टाचार मुलाकात के लिए आये थे, उनमें कुछ पंडा समाज के कर्मकांड करने वाले लोग थे, लेकिन देवस्थानम बोर्ड की चर्चा इस मुलाकात का विषय नहीं थी। ऐसे ही शैलारानी रावत के साथ मुख्यमंत्री से मिलने वालों की समस्या का भी देवस्थानम बोर्ड से कोई लेना-देना नहीं था, लेकिन दोनों शिष्टमंडल के एक ही समय पर मुलाकात के दौरान मुख्यमंत्री द्वारा उसे एक ही शिष्टमण्डल बताकर देवस्थानम बोर्ड के मुददे पर हुई भेंट प्रचारित किया गया।

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इतना ही नहीं सूचना विभाग ने तो अपने प्रेस नोट में इसे सीधे-सीधे देवस्थानम बोर्ड का मामला बताते हुए जो विज्ञप्ति मीडिया हाउसेस को जारी की, वह कुछ इस तरह की भाषा लिए थी।

मंगलवार 24 अगस्त को सीएम आवास में देवप्रयाग विधायक विनोद कण्डारी और केदारनाथ की पूर्व विधायक शैलारानी रावत के नेतृत्व में केदारनाथ व बदरीनाथ के तीर्थ पुरोहितों के प्रतिनिधिमण्डल ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से भेंट की।

मुख्यमंत्री धामी के इस ट्वीट के बाद भड़क गये तीर्थ पुरोहित

मुख्यमंत्री ने अपने कहा कि देवस्थानम बोर्ड से तीर्थ पुरोहितों, हक हकूक धारियों और पण्डा समाज का किसी प्रकार का अहित नहीं होने दिया जाएगा। वरिष्ठ नेता मनोहर कांत ध्यानी जी को संबंधित तीर्थ पुरोहितों के पक्ष को जानकर पूरी रिपोर्ट देने का आग्रह किया गया है। राज्य सरकार सभी को सुनेगी और उनकी चिंताओं का समाधान करेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि कम्युनिकेशन गैप नहीं होना चाहिए। राज्य सरकार बातचीत के माध्यम से रास्ता निकालेगी। बातचीत से सभी शंकाए दूर की जाएंगी और जहां सुधार की जरूरत होगी, राज्य सरकार सुधार करेगी। बदरीनाथ मास्टर प्लान को मूर्त रूप देने से पूर्व सभी संबंधित पक्षों की भी बात सुनी जाएगी और उनकी शंकाओं का निवारण किया जाऐगा। सभी के हित यथासंभव सुरक्षित रहेंगे। प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों ने भी वार्ता के माध्यम से रास्ता निकाले जाने पर सहमति व्यक्त की।

मुख्यमंत्री का यह ट्वीट और सूचना विभाग का प्रेस नोट मीडिया में आते ही केदारनाथ के तीर्थ पुरोहित एक बार फिर भड़क उठे।

सीएम धामी और मीडिया पर भड़के केदारनाथ के तीर्थ पुरोहित

खुद केदारनाथ समिति के अध्यक्ष विनोद प्रसाद शुक्ल ने बाक़ायदा प्रेस रिलीज जारी कर कहा है कि एक भी तीर्थ पुरोहित मुख्यमंत्री के साथ बैठक में नहीं दिख रहा है। शुक्ल ने मीडिया से भी बिना तथ्यों के खबरे छापने पर नाराजगी व्यक्त करते हुए झूठी खबरों का खण्डन न करने पर कानूनी कार्यवाही की चेतावनी दी है। गौरतलब है कि इस खबर को मेनस्ट्रीम ने प्रमुखता से प्रकाशित किया था।

इस मामले में बताया जा रहा है कि तीर्थ पुरोहितों के आंदोलन को भाजपा की प्रदेश सरकार दोस्ताना ट्वेंटी-ट्वेंटी मैच की तरह हैंडिल कर रही है, उसे लेकर दिल्ली में खासी सुगबुगाहट है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को खून से पत्र भेजकर केदारनाथ के तीर्थ पुरोहित पहले ही मोदी पर भावनात्मक दबाव डाल चुके हैं।

दिल्ली किसी भी तरह से धार्मिक पृष्ठभूमि से जुड़े इस आंदोलन से बचने की पूरी चेष्टा कर रही है। इसके संकेत राज्य सरकार को भी मिल चुके हैं। इसीलिए राज्य सरकार के खैरख्वाहों की सलाह पर देवस्थानम बोर्ड के मामले में 'ऑल इज़ वैल' का संदेश देने की कोशिश की गई, लेकिन मंगलवार 24 जुलाई की सुबह हुई इस कोशिश की उम्र बेहद कम निकली। केदारनाथ से जारी चिट्ठी ने सूर्यास्त होने से पहले ही इस कोशिश को नाकाम कर दिया।

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