अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष का बयान, अयोध्या में रचा मोदी-योगी ने इतिहास, अब काशी-मथुरा की बारी
अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष का ऐलान, हम लोग अयोध्या की तरह काशी मथुरा भी लेकर रहेंगे, वह भी न्यायोचित ढंग से, 3 साल में भव्य मंदिर बनेगा उसका भी उद्घाटन मोदी और योगी करेंगे...
विवेक त्रिपाठी की रिपोर्ट
अयोध्या। रामजन्मभूमि पर मंदिर निर्माण के लिए भूमिपूजन करने आए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पूरी तरह राम के रंग में रंगे नजर आए। कार्यक्रम में पधारे संतों में भी काफी जोश देखने को मिला। भूमिपूजन में आये संतों ने एक स्वर में कहा कि अब राममंदिर का निर्माण शुरू हो गया है। इसके बाद काशी और मथुरा की बारी है।
अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेन्द्र गिरी ने कहा कि यह दिन अद्भुत और ऐतिहासिक है। यह उत्सव का दिन है। मोदी और योगी ने इतिहास रच दिया। वह दोबारा कोई रचने वाला नहीं है। हम लोग खुश है।
उन्होंने कहा कि रामराज्य की स्थापना भारत में हो गई। मोदी ने दंडवत प्रणाम संतों को किया है। उनको दिल से आशीर्वाद है। उन्हीं के नेतृत्व में ही कृष्ण भगवान मुक्त होंगे। काशी विश्वनाथ भी होंगे। प्रतीक्षा करें। हम लोग अयोध्या की तरह काशी मथुरा लेकर रहेंगे। वह भी न्यायोचित ढंग से। 3 साल में भव्य मंदिर बनेगा उसका भी उद्घाटन मोदी और योगी करेंगे। आज तक किसी प्रधानमंत्री ने संतों को इतना सम्मान नहीं दिया है। चाहे वो नेहरू हो या इंद्रकुमार गुजराल। हां, नरसिम्हा राव ने जरूर दिया है। इसीलिए संतों का आशीर्वाद मोदी जी के साथ है।
चतुर विरक्त वैष्णव परिषद के महंत फूल डोल बिहारी दास वृन्दावन मथुरा के संत ने कहा कि राममंदिर निर्माण से पूरा विश्व खुश है। जो खुश नहीं है वो चमगादड़ है। वो राम की शरण में आएं, उन्हें मुक्ति मिलेगी। विरोधियों को शुभकामनाएं हैं। राममंदिर का काम शुरू हो गया है। राम मंदिर के बाद अगला पड़ाव काशी होगा। सबका समय धीरे-धीरे आएगा।
वाराणसी के जितेंद्रनन्द सरस्वती ने कहा, "मैं 1986 से रामजन्मभूमि से जुड़ा हूं। मैं कोरोनाकाल में भी कामकाज देखने आता था। आज भूमिपूजन के बाद 1 हजार वर्ष की गुलामी का कलंक मिट गया। प्रधानमंत्री ने दिव्य मंदिर का भूमि पूजन किया है। यह मंदिर का पूजन नहीं है बल्कि एक सकारात्मक ऊर्जा का संचार है। इस कार्य के बाद अगला लक्ष्य मथुरा काशी ही है।"
अयोध्या संत समिति के अध्यक्ष कन्हैया दास ने कहा कि आज रामजन्मभूमि में भूमिपूजन के बाद मन प्रसन्न है। जीवन की तपस्या सफल हुई। संघर्ष सफल हुआ। जैसे राम वन से लौटे थे। उनका राज्याभिषेक हुआ था, वैसा ही महसूस हो रहा है। धीरे-धीरे आगे बढ़ेंगे।