ट्रैक्टर परेड के लिए NOC साइन करने वाले सभी किसान नेताओं पर दिल्ली पुलिस ने दर्ज किया मुकदमा
दिल्ली पुलिस के अधिकारियों का कहना है कि हिंसा में शामिल किसानों की पहचान करने के लिए कई सीसीटीवी फुटेज और तमाम वीडियो खंगाले जा रहे हैं और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी....
जनज्वार। कल 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के अवसर पर कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलनरत किसानों ने ट्रैक्टर परेड निकाली थी, जिसमें कई जगह हिंसक घटनायें हुयीं और एक युवा किसान की मौत भी हुयी। किसानों ने कहा कि वह पुलिस की गोली का शिकार बना, जबकि पुलिस का कहना है कि वह ट्रैक्टर पर स्टंट कर रहा था, इसलिए उसकी मौत हुयी।
ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई हिंसा पर केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा सख्त रुख अपनाए जाने के बाद दिल्ली पुलिस भी एक्शन में है। पुलिस ने ट्रैक्टर परेड के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र पर साइन करने वाले सभी किसान नेताओं पर एफआई दर्ज कर दी है।
दिल्ली पुलिस ने जिन किसान नेताओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है उनमें. राकेश टिकैत, योगेंद्र यादव, वीएम सिंह, विजेंदर सिंह, हरपाल सिंह, विनोद कुमार, दर्शन पाल, राजेंद्र सिंह, बलवीर सिंह राजेवाल, बूटा सिंह, जगतार बाजवा, जोगिंदर सिंह उगराहां के नाम शामिल हैं।
किसान नेता राकेश टिकैत के खिलाफ दिल्ली पुलिस ने गाजीपुर थाने में हत्या का प्रयास, दंगा, पुलिस पर हमला, सरकारी व निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने सहित अन्य धाराओं के तहत केस दर्ज किया है।
दिल्ली पुलिस ने कल 26 जनवरी को किसान ट्रैक्टर रैली के दौरान हुई हिंसा के लिए 200 लोगों को हिरासत में भी ले लिया है, जल्द ही उनकी गिरफ्तारी की जायेगी। ट्रैक्टर परेड में घायल पुलिसकर्मियों 313 बतायी जा रही है। अब तक हिंसा मामले में 22 एफआईआर दर्ज की जा चुकी हैं। पुलिस का कहना है कि इस मामले में अभी कई एफआईआर दर्ज की जायेंगी।
किसानों की ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई हिंसा के संबंध में दिल्ली पुलिस के अधिकारियों का कहना है कि हिंसा में शामिल किसानों की पहचान करने के लिए कई सीसीटीवी फुटेज और तमाम वीडियो खंगाले जा रहे हैं और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। हिंसा के बाद राजधानी में कई स्थानों पर सुरक्षा व्यवस्था बहुत कड़ी कर दी गई है। लाल किले और किसानों के प्रदर्शन स्थलों पर अतिरिक्त अर्धसैनिक बलों की भी तैनाती कर दी गई है।
गौरतलब है कि संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से गणतंत्र दिवस के मौके पर किसान ट्रैक्टर परेड निकालने का प्रस्ताव दिया गया था। ट्रैक्टर परेड के संबंध में किसान मोर्चा के साथ दिल्ली पुलिस की कई दौर की बैठों के बाद परेड की सहमति दिल्ली पुलिस द्वारा दी गयी थी।
बकौल दिल्ली पुलिस, 'संयुक्त किसान मोर्चा ने चार रास्तों पर शांतिपूर्ण परेड निकालने का आश्वासन दिया था, मगर गणतंत्र दिवस की सुबह करीब साढ़े आठ बजे छह से सात हजार ट्रैक्टर सिंघु बॉर्डर पर एकत्र हो गए थे और तय रास्तों के बजाय मध्य दिल्ली की ओर जाने पर जोर देने लगे। बार-बार समझाने के बावजूद निहंगों की अगुवाई में किसानों ने पुलिस पर हमला किया और पुलिस के बैरिकेड्स भी तोड़े। गाजीपुर एवं टिकरी बॉर्डर से भी इसी तरह कीखबरें आईं। इसके बाद गाजीपुर एवं सिंघु बॉर्डर से आए किसानों की एक बड़ा समूह आईटीओ पहुंच गया और उसने लुटियन जोन की तरफ जाने का प्रयास किया।'
पुलिस अधिकारियों का कहना है कि जब आंदोलनकारी किसानों को पुलिस ने रोका तो एक वर्ग हिंसक हो गया, उन्होंने बैरिकेड्स तोड़ दिए तथा वहां मौजूद पुलिसकर्मियों को कुचलने का प्रयास किया। बाद में पुलिस ने लाठीचार्ज करके हिंसक भीड़ को नियंत्रित किया, लेकिन यहां से वे लाल किले की ओर बढ़ गए। लगभग 90 मिनट तक अफरा-तफरी का माहौल रहा। किसान अपनी ट्रैक्टर परेड के निर्धारित मार्ग से हटकर इस ऐतिहासिक स्मारक तक पहुंच गए थे। वहां वे उस ध्वज स्तंभ पर भी अपना झंडा लगाते दिखे, जिस पर प्रधानमंत्री स्वतंत्रता दिवस के दिन राष्ट्रीय ध्वज फहराते हैं। काफी मशक्कत के बाद पुलिस ने प्रदर्शनकारी किसानों को लाल किला परिसर से हटाया।