UP में 'लव जिहाद' कानून का कथित समर्थन करने वाले हाईकोर्ट के दो पूर्व जज भाजपा में हुए शामिल

जस्टिस रवींद्रन ने 2007 से 2018 तक केरल हाईकोर्ट के जज के रूप में कार्य किया। जस्टिस चितंबरेश को 2011 में हाईकोर्ट में पदोन्नत किया गया था और इसके बाद से उन्होंने हाईकोर्ट के जज के रूप में काम किया, इसके बाद वह यहीं से सेवानिवृत्त हो गए थे।

Update: 2021-03-02 11:23 GMT

जनज्वार ब्यूरो। केरल हाईकोर्ट के दो सेवानिवृत्त जज जस्टिस पीएन रविंद्रन और वी चितंबरेश रविवार को त्रिपुनिथुरा में पार्टी के विजय यात्रा समारोह के दौरान भाजपा में शामिल हो गए। 

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक हालांकि जस्टिस चितंबरेश समारोह में शामिल नहीं हो पाए क्योंकि वह दिल्ली में थे। हाईकोर्ट के दोनों पूर्व जजों का नाम हाल ही में तब सामने आया था जब उन्होंने कथित तौर पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को हस्ताक्षरित पत्र में लव जिहाद कानून का समर्थन किया था। चितंबरेश ने कहा कि वह पलक्कड के विक्टोरिया कॉलेज में छात्र जीवन के दौरान एबीवीपी के सक्रिय कार्यकर्ता रहे हैं। 

जस्टिस रवींद्रन ने 2007 से 2018 तक केरल हाईकोर्ट के जज के रूप में कार्य किया। जस्टिस चितंबरेश को 2011 में हाईकोर्ट में पदोन्नत किया गया था और इसके बाद से उन्होंने हाईकोर्ट के जज के रूप में काम किया, इसके बाद वह यहीं से सेवानिवृत्त हो गए थे। 

पिछले महीने केरल हाईकोर्ट के एक अन्य पूर्व जज जस्टिस (सेनि) बी केमल पाशा ने केरल की राजनीति में प्रवेश करने में रुचि व्यक्त की थी। तब उन्होंने टिप्पणी की थी कि वह आगामी चुनावों में कांग्रेस के नेतृत्व वाले संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चा (यूडीएफ) से लड़ने के लिए तैयार हैं। उन्हें एर्नाकुलम जिले में एक सीट की पेशकश की गई थी।

जस्टिस चितंबरेश तब विवादों में आ गए थे जब अपनी सेवानिवृत्ति से कुछ महीने पहले तमिल ब्राह्मण वैश्विक सम्मेलन में उन्होंने ब्राह्मण समुदाय को जाति या सांप्रदायिक आरक्षण के बजाय आर्थिक आरक्षण के लिए आंदोलन करने का आह्वान किया था। 

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