UP Election 2020 : आज शाम थम जाएगा अंतिम चरण का चुनाव प्रचार, जानें बदले हालात में किसमें कितना है दम?

UP Election 2020 : अंतिम चरण में भाजपा और सपा के साथ उनके सहयोगी दलों की अग्नि परीक्षा होनी है। यूपी में सत्ता पर काबिज होने के लिहाज से भी यह चरण काफी अहम है। भाजपा से लेकर सपा, बसपा और कांग्रेस ने अपनी-अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। इस बार हालात बदले हैं और सपा ने भाजपा की जमकर घेरेबंदी की है।

Update: 2022-03-05 05:22 GMT

सातवें चरण की सीटों पर बदले सियासी हालात को लेकर धीरेंद्र मिश्र की रिपोर्ट :

UP Election 2020 : उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के छह चरणों में 349 विधानसभा सीटों पर मतदान हो चुके हैं। कल यानि 7 मार्च को शेष 54 सीटों पर मतदान होना है। इन सीटों पर मतदान के लिए आज शाम पांच बजे चुनाव प्रचार समाप्त हो जाएगा। आज पीएम मोदी ( PM Modi ) और योगी आदित्यनाथ ( Yogi adityanath ) से लेकर अखिलेश यादव ( Akhilesh yadav ) और मायावती ( Mayawati ) चुनावी जनसभाओं को संबोधित करेंगी। आखिरी चरण में अखिलेश के संसदीय क्षेत्र आजमगढ़ से लेकर वाराणसी तक के 9 जिलों की 54 विधानसभा सीटों पर होगा। अंतिम चरण में 613 उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला होना है।

पूर्वांचल का सियासी समीकरण

खास बात यह है कि इस चरण में भाजपा ( BJP ) और सपा ( SP ) के साथ उनके सहयोगी दलों की अग्नि परीक्षा होनी है। यूपी में सत्ता पर काबिज होने के लिहाज से यह चरण काफी अहम है, जिसके चलते भाजपा से लेकर सपा, बसपा ( BSP ) और कांग्रेस ने अपनी-अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। सातवें चरण में पूर्वांचल के आजमगढ़, मऊ, गाजीपुर, जौनपुर, वाराणसी, मिर्जापुर, गाजीपुर, चंदौली और सोनभद्र जिले की 54 सीटों पर मतदान होना है। आजमगढ़ और जौनपुर जिले को सपा का गढ़ माना जाते हैं। मऊ और गाजीपुर में उसके सहयोगी सुभासपा के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर और जनवादी पार्टी के प्रमुख संजय चौहान और अपना दल का असर है। बाकी जिले में भाजपा का असर है, लेकिन सपा ने स्थानीय दलों से गठबंधन कर मोदी, योगी और शाह को पानी पीने के लिए मजबूर कर रखा है।

5 साल पहले 54 में से 36 सीटें जीती थी भाजपा

साल 2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव ( UP Election 2022 ) में सातवें चरण की इन 54 सीटों में से भाजपा और उसके सहयोगियों ने 36 सीटें जीती थीं। इनमें भाजपा को 29, अपना दल (एस) को 4 और सुभासपा को 3 सीटें मिली थीं। सपा ने 11 सीटें, बसपा ने 6 सीटें और निषाद पार्टी ने एक सीट जीती थी। कांग्रेस खाता तक नहीं खोल पाई थी। इस बार ओम प्रकाश राजभर और मुख्तार अंसारी फैक्टर ने हिसाब बदल दिया है। ओपी राजभर ने भाजपा से नाता तोड़कर सपा के साथ हाथ मिला लिया है तो निषाद पार्टी ने भाजपा से गठबंधन कर रखा है। 2017 में आजमगढ़ की 10 सीटों में से सपा ने 5, बसपा ने 4 और भाजपा ने 1 सीट पर कब्जा जमाया था। मऊ जिले की 5 सीटों में से 4 भाजपा और 1 बसपा ने जीती थी। जौनपुर जिले की 9 में से 4 भाजपा, एक अपना दल(एस), 3 सपा और 1 बसपा को मिली थी। गाजीपुर की 7 में से 3 भाजपा, सुभासपा, दो सपा ने जीती थी। चंदौली की चार में से 3 भाजपा और 1 सपा के खाते में गई थी। वाराणसी की 8 में से 6 सीटें भाजपा, एक अपना दल (एस) और एक सुभासपा ने जीती थी। भदोही की 3 में से दो भाजपा और एक निषाद पार्टी को मिली थी। मिर्जापुर की पांच में से 4 भाजपा और एक अपना दल (एस) तो सोनभद्र जिले की 4 में से 3 तीन भाजपा और एक अपना दल (एस) ने कब्जा जमाया था।

पूर्वांचल में नहीं हैं 2017 वाले हालात

पूर्वांचल के सियासी हालात इस बार 2017 की तुलना में बदले हुए हैं। छोटे दलों में सुभासपा ने इस बार समाजवादी पार्टी के साथ मिलकर चुनावी मैदान में है। सातवें चरण में बसपा का भी अपनाअच्छा खासा जनाधार है। सपा ने इस इस बार स्थानीय दलों से तालमेल कर पुराने समीकरण बदल दिए हैं। इसलिए सपा के खाते में कई सीटें जाने की संभावना है। वैसे भी 2017 के विधानसभा चुनाव को छोड़ दें तो जातिगत समीकरण चरण 90 के दशक से हमेशा प्रभावी रहे हैं। सियासी जानकारों के मुताबिक आखरी चरण के चुनावों में सपा और बसपा के साथ-सथ राजभर, संजय, निषाद और अनुप्रिया की परीक्षा होनी है।

आखिलेश ने भाजपा को पिलाया जमकर पानी

अखिरी चरण को पूर्वांचल की सीटों के लिहाज सत्ता का फाइनल जंग माना जा रहा है। इस फाइनल जंग में सभी पार्टियों ने अपने दिग्गजों को चुनावी प्रचार में पूरी तरह से उतार दिया है। आक्रामक तौर पर सभी प्रचार कर रहे हैं। सातवें चरण में पीएम मोदी का संसदीय क्षेत्र वाराणसी में भी मतदान होना है। इसके साथ ही अखिलेश यादव के संसदीय क्षेत्र आजमगढ़ की विधानसभा सीटें भी इसी चरण में हैं। अखिलेश से आक्रामक चुनाव प्रचार और ममता बनर्जी को प्रचार में उतारकर खेले होबे के नारे को बुलंद कर दिया है। माना जा रहा है कि खेले होबे का असर होगा।

सपा ने अपने मुद्दों पर भाजपा को घेरा

इस बार पहले चरण से लेकर कल के आखिरी चरण तक में सपा ने भाजपा को खुलकर हमला बोला है और उसे रक्षात्मक मोड में आने के लिए मजबूर किया है। भाजपा ने पूर्वांचल के जिलों में माफियाराज के जरिए जनता को साधने की कोशिश कर रही है। क्योंकि पूर्वांचल के जिले खासतौर पर मऊ, गाजीपुर में सातवें चरण में मतदान हो रहा है। वहीं सपा सहित अन्य पार्टियों ने भाजपा के पांच साल के कामकाज पर सवाल खड़े किए हैं। सपा प्रमुख ने विकास, जातिवाद, बेरोजगारी, भाजपा के पक्षापात पूर्ण राजनीति और आवारा पशुओं पर अपना पर ध्यान केंद्रित किया है। खास बात यह है कि इस बार सपा ने भाजपा को अपने मुद्दे पर चुनाव लड़ने के लिए बाध्य किया है।

इन 54 सीटों पर 7 मार्च को होगा मतदान

यूपी में सातवें चरण में रॉबर्ट्सगंज, ओबरा, दुद्धी, दीदारगंज, अतरौला, गोपालपुर, सकलडीहा, सागरी, शिवपुर, मुबारकपुर, सेवापुरी, भदोही, ज्ञानपुर, औराई, मधुबन, घोसी, मोहम्मदाबाद गहना, मऊ, मोहम्मदाबाद, सैयदपुर, चकिया, अजगर,रोहनियां, मछली शहर, मरियाहू, छांबी, मिर्जापुर, मझवां, चुनार, शाहगंज, जौनपुर, मल्हानी,बदलापुर, पिंडारा, आजमगढ़, निजामाबाद, जमानिया, मुगलसराय, फूलपुर- पवई, लालगंज, मेहरगढ़, जाफराबाद, सैदपुर, मरिहां, घोरावल, वाराणसी उत्तर, वाराणसी दक्षिण, वाराणसी कैंट, गाजीपुर, जंगीपुर, जहूराबाद और मुंगरा बादशाहपुर सीटों पर मतदान होगा।

पूर्वांचल में हर चुनाव में बदल जाता है जनादेश

पूर्वांचल में 28 जिले आते हैं, जो सूबे की राजनीतिक दशा और दिशा तय करते है। इनमें वाराणसी, जौनपुर, भदोही, मिर्जापुर, सोनभद्र, प्रयागराज, गोरखपुर, कुशीनगर, देवरिया, महाराजगंज, संतकबीरनगर, बस्ती, आजमगढ़, मऊ, गाजीपुर, बलिया, सिद्धार्थनगर, चंदौली, अयोध्या, गोंडा, बलरामपुर, श्रावस्ती, बहराइच, सुल्तानपुर, अमेठी, प्रतापगढ़, कौशांबी और अंबेडकरनगर जिले शामिल हैं। 28 जिलों में 162 विधानसभा सीटें शामिल हैं। पिछले तीन दशक में पूर्वांचल का मतदाता कभी किसी एक पार्टी के साथ नहीं रहा। यहां का मतदाता एक चुनाव के बाद दूसरे चुनाव में पार्टी का साथ छोड़ देता है। 2017 के चुनाव में पूर्वांचल की 164 में से 115 सीटों पर भाजपा ने कब्जा जमाया था। जबकि सपा ने 17, बसपा ने 14, कांग्रेस 2 और अन्य को 16 सीटें मिली थी। 2012 के चुनाव में सपा ने 102 सीटें जीती थीं जबकि भाजपा को 17, बसपा को 22, कांग्रेस को 15 और अन्य को 8 सीटें मिली थीं। 2007 में मायावती पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में आई थी तो पूर्वांचल की अहम भूमिका रही थी। बसपा 85 सीटें जीतने में कामयाब रही थी। सपा 48, भाजपा 13, कांग्रेस 9 और अन्य को 4 सीटें मिली थीं।

इन जिलों में भाजपा की स्थिति कमजोर

UP Election 2020 : भाजपा ने चार साल पहले सूबे में कमल खिलाकर ही सत्ता का वनवास खत्म किया था। पांच साल पहले पार्टी ने पूर्वांचल के गोरखपुर से आने वाले योगी आदित्यनाथ ( Yogi adityanath ) को सत्ता की कमान सौंपी थी। भाजपा ने 2017 में पूर्वांचल की 28 जिलों की 164 विधानसभा सीट में से 115 सीट जीतकर भले ही रिकॉर्ड बनाया हो, लेकिन कई जिलों में पार्टी सपा से पीछे रह गई थी। आजमगढ़ की 10 में से सिर्फ एक सीट, जौनपुर की 9 में से 4, गाजीपुर की 7 में से 3, अंबेडकरनगर की पांच में से 2 और प्रतापगढ़ की 7 में से दो सीटें ही जीत सकी थी। माना जा रहा है कि भाजपा स्थिति इस जिलों में और खराब होने वाली है। ऐसा इसलिए कि पूर्वांचल में अपने सियासी राजनीतिक आधार को दोबारा से मजबूत करने के लिए अखिलेश यादव पिछले एक साल से ज्यादा समय से सक्रिय हैं। आजमगढ़ जिले में अनवरगंज में बनने वाला सपा का आवासीय कार्यालय न सिर्फ पूर्वांचल में सपा की गतिविधियों का केंद्र बनेगा, बल्कि यहां से समाजवाद की नई पौध भी तैयार की जाएगी। यहां बनने वाला सपा कार्यालय शिक्षण-प्रशिक्षण का भी केंद्र होगा। साथ ही युवाओं और नए लोगों के समाजवादी संघर्ष, आंदोलनों और समाजवादी नेताओं के जीवन के बारे जानकारी दी जाएगी।

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