UP election 2022 : ब्राह्मण सम्मेलन के बाद मायावती करेंगी जाट-मुस्लिम जुटान, क्या मतदाता कर पाएंगे भरोसा

UP election 2022 : भाजपा से धार्मिक अल्पसंख्यकों यानी मुस्लिम दुखी नजर आते हैं। उनकी तरक्की रोकी जा रही है। उनका फर्जी मुकदमे के जरिए लगाकर उत्पीड़न किया जा रहा है। नए कानूनों से दहशत फैलाई जा रही है।

Update: 2021-11-30 07:46 GMT

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UP election 2022 : अब उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव को देखते हुए बसपा सुप्रीमो मायावती ने भी अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। पिछले कुद महीनों में उन्होंने दलित ब्राह्मण समीकरण पर जोर दिया था। इस योजना के तहत उन्होंने 403 में 86 सीटों पर दलित ब्राह्मण मतदाताओं को साधने की कोशिश कर चुकी हैं। अब मायावती जाट-मुस्लिम जुटान पर जोर देने का ऐलान किया है। ऐसा कर मायावती जाट-मुस्लिम बहुत वाली सीटों पर अपनी पकड़ को मजबूत करने में जुट गई हैं। साथ ही उन्होंने ओबीसी की भी जातिगत गणना कराने की मांग की है।

धार्मिक अल्पसंख्यकों का हो रहा है उत्पीड़न

बसपा प्रमुख ने दावा किया है कि यूपी में भाजपा से धार्मिक अल्पसंख्यकों यानी मुस्लिम दुखी नजर आते हैं। उनकी तरक्की रोकी जा रही है। उनका फर्जी मुकदमे के जरिए लगाकर उत्पीड़न किया जा रहा है। नए कानूनों से दहशत फैलाई जा रही है। मीडियाकर्मियों से बात के दरम्यान उन्होंने ओबीसी की भी जातिगत गणना कराने की मांग की। इसमें बीजेपी का सौतेलापन साफ झलकता है।

दलितों व आदिवासियों पर हो रहा है जुल्म

बसपा प्रमुख मायावती ने इस रणनीति के तहत पार्टी के संबंधित पदाधिकारियों की बैठक की और मीडियाकर्मियों से बात करते हुए कहा कि बसपा हमेशा जाटों मुस्लिमों के लिए सम्मान और तरक्की पर काम करती रही है। प्रदेश कार्यालय में बसपा प्रमुख मायावती ने कहा कि डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ने ओबीसी, दलित वर्ग के लोगों के लिए सरकारी नौकरी में सुविधाएं व शिक्षा की व्यवस्था की लेकिन अब केंद्र व राज्यों की जातिवादी सरकारें नए नियम कानून बनाकर इन्हें प्रभावहीन करने का प्रयास कर रही हैं। दलितों व आदिवासियों पर जुल्म हो रहा है। 

गठबंधन से इनकार

बसपा सरकार के दौरान जाटों मुस्लिमों की तरक्की जान माल की सुरक्षा का हमेशा ख्याल रखा गया।उन्होंने कहा कि सरकार आने पर फिर से इस वर्ग के लोगों का विशेष ख्याल रखा जाएगा। मायावती ने कहा कि सुरक्षित सीटों के अलावा जनरल सीटों पर भी ओबीसी जाट मुस्लिम दलित और ब्राह्मण फार्मूला कार्य करेगा। उन्होंने ओवैसी चंद्रशेखर आदि किसी से भी बात करने या गठबंधन से इनकार किया और कहा कि बसपा अकेले चुनाव लड़ेगी। साथ ही 12 निलंबित सांसदों से भी बात करने को कहा। कहा कि संसद को इतना कड़ा रुख अख्तियार नहीं करना चाहिए और उनसे बात करनी चाहिए।

2007 में BSP से जीते थे 41 ब्राह्मण विधायक

जहां तक मायावती पर भरोसे की बात है तो आपको बता दें कि साल 2007 विधानसभा चुनाव में सतीश चंद्र मिश्रा हर ब्राह्मण सम्मलेन यह बताने की कोशिश कर रहे हैं कि बीएसपी के साथ अगर 13 फीसदी ब्राह्मण जुड़ता है तो 23 फीसदी दलित समाज के साथ मिलकर जीत सुनिश्चित है। ऐसा ही नारा 2007 में भी बसपा ने दिया था। पार्टी से 41 ब्राह्मण विधायक जीतकर आए थे, लेकिन एक-एक कर पार्टी छोड़ते गए। मौजूदा समय में बसपा के पास ब्राह्मण चेहरे के तौर पर सतीष चंद्र मिश्रा, नकुल दूबे, विनय तिवारी, रत्नेश पांडेय और हाल ही में पार्टी में वापसी करने वाले पवन पांडेय शामिल हैं। 2007 में मायावती ने सोशल इंजीनियरिंग पर जोर दिया था। इस बार भी मायावती वही करती नजर आ रही हैं।

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