UP Election 2022 : चाचा-भतीजा की जोड़ी क्या कोई कमाल दिखा पाएगी!
22 नवंबर को मुलायम सिंह यादव के जन्मदिन पर शिवपाल अपनी पार्टी की समाजवादी पार्टी में विलय की घोषणा कर सकते हैं।
लखनऊ। यूपी चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहा है, वैसे-वैसे नए गठबंधन, दलबदल और समीकरण बनते-बिगड़ते दिख रहे हैं। यूपी (Uttar Pradesh) के राजनीतिक गलियारों में इस समय ये खबर सुर्खियों में है कि चाचा-भतीजा यानी शिवपाल सिंह यादव (Shivpal Singh Yadav)और अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) सारे गले-शिकवे भुलाकर चुनाव मैदान में एक साथ उतरेंगे। दोनों की बीच की तल्खी चुनाव की आंच (UP Election 2022) में पिघलती दिख रही है।
इस बात के संकेत बीते दिनों मिले। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार 22 नवंबर को मुलायम सिंह यादव (Mulyam Singh Yadav) के जन्मदिन पर लखनऊ (Lucknow) के जनेश्वर मिश्र पार्क (Janeshwar Mishra Park) में एक बड़ा समारोह करने की तैयारी की जा रही है, जिसमें शिवपाल (Shivpal Singh Yadav) अपनी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) (Pragatisheel Samajwadi party) की समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) में विलय की घोषणा कर सकते हैं।
पिछले विधानसभा चुनाव में सपा ने अखिलेश की अगुवाई में कांग्रेस के साथ गठजोड़ कर चुनाव लड़ा था। उस समय यूपी के लड़कों की खूब चर्चा थी। लेकिन नतीजा सपा के पक्ष में नहीं रहा और उसे शर्मनाक हार का सामना करना पड़ा। सपा 47 सीटों पर सिमट कर सत्ता से बाहर हो गई थी। ऐसे में सवाल यह है कि चाचा-भतीजा की जोड़ी चुनाव मैदान में कोई कमाल दिखा पाएगी। क्या ये जोड़ी बीजेपी को कड़ी टक्कर दे पाएगी?
गौरतलब है कि साल 2017 में चुनाव से पहले शिवपाल यादव और अखिलेश यादव के रिशतों में तल्खी देखने को मिली थी। अखिलेश के व्यवहार के चलते शिवपाल ने सपा छोड़ दी थी। तब से दोनों में रिशते सामान्य नहीं रहे। हालांकि सपा से अलग होने के बाद शिवपाल यादव कोई बड़ा करिश्मा नहीं दिखा सके।
2018 में शिवपाल ने बनायी नई पार्टी
समाजवादी पार्टी से अलग होकर 29 अगस्त, 2018 को समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं मुलायम सिंह यादव के छोटे भाई शिवपाल सिंह यादव ने प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) यानी प्रसपा का गठन किया था। प्रसपा ने लोकसभा चुनाव—2019 के बाद त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में अपने प्रत्याशी उतारे थे। अब पार्टी विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारियों में जुटी है। शिवपाल सूबे के कई छोटे दलों के नेताओं के संपर्क में हैं। शिवपाल इन दिनों 'सामाजिक परिवर्तन रथ यात्रा' निकाल रहे हैं।
लोकसभा चुनाव में प्रसपा ने सपा को नुकसान पहुंचाया
प्रसपा 2022 में अपना पहला विधानसभा चुनाव लड़ेगी। शिवपाल सिंह यादव की योजना करीब 150 सीटों पर प्रसपा के उम्मीदवार उतारने की है। 2019 के लोकसभा चुनाव में शिवपाल यादव ने कई सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे थे। वह खुद भाई रामगोपाल यादव के बेटे अक्षय यादव के खिलाफ फिरोजाबाद सीट से चुनाव लड़े। यहां उन्हें करीब एक लाख वोट मिले। यूपी की तीन अन्य लोकसभा सीटों इटावा, बरेली और कानपुर देहात से प्रसपा ने सपा को जबरदरस्त नुकसान पहुंचाया जिसका सीधा फायदा भाजपा को मिला।
सपा और सरकार में थी शिवपाल की हनक
यूपी में एक वक्त समाजवादी पार्टी से लेकर सरकार तक में शिवपाल यादव की हनक दिखाई देती थी। 2017 के चुनाव में अखिलेश से दूरी के बाद उन्होंने अपने नए दल का गठन किया था। हालांकि उनके करीबी रहे तमाम नेता एसपी में या तो हाशिए पर चले गए थे या उन्होंने नए दल की सदस्यता ले ली थी। माना जा रहा है कि शिवपाल के साथ आने के बाद तमाम छोटे राजनीतिक दल भी एसपी के साथ समझौते में शामिल होकर एक साथ 2022 में चुनाव लड़ सकते हैं।
पूर्वांचल में शिवपाल का प्रभाव
शिवपाल के प्रभाव वाले पूर्वांचल के इलाकों में भदोही के बाहुबली विधायक विजय मिश्रा पूर्व में एसपी से टूटकर निषाद पार्टी का हिस्सा हो गए थे। माना जा रहा था कि एसपी से उनकी दूरी शिवपाल के बाहर जाने के बाद हुई। कुछ दिन पहले विजय मिश्रा रेप के एक आरोप में जेल चले गए, लेकिन उनकी बेटी और भदोही लोकसभा की पूर्व एसपी प्रत्याशी सीमा मिश्रा ने एसपी का हाथ थाम लिया। वहीं वाराणसी में पूर्व राज्यमंत्री रीबू श्रीवास्तव भी शिवपाल गुट की नेताओं में से एक कही जाती थीं। हाल ही में उन्होंने समाजवादी पार्टी का दामन थाम लिया है। सूत्रों के अनुसार, जल्द ही प्रयागराज, कौशांबी और मध्य उत्तर प्रदेश के कुछ जिलों के बड़े नेता एसपी के साथ आ सकते हैं।
मुख्तार परिवार के सदस्य एसपी के साथ
पूर्वांचल के बाहुबली मुख्तार अंसारी के परिवार ने भी एक बार फिर एसपी का दामन थाम लिया है। कभी कौमी एकता दल बनाने वाले मुख्तार अंसारी के बड़े भाई सिगबतुल्लाह अंसारी भी शनिवार को एसपी के सदस्य हो गए हैं। इसके अलावा शिवपाल के बाहर जाने के बाद बीएसपी में जाने वाले पूर्व राजस्व मंत्री और बलिया के बड़े नेता अंबिका चौधरी भी अंसारी के साथ एसपी में शामिल हुए हैं। ये दोनों नेता भी शिवपाल के करीबियों में रहे हैं।
मुलायम सिंह यादव के जन्मदिन पर प्रसपा का सपा में विलय
2017 के यूपी चुनाव से पहले समाजवादी पार्टी से दूर होने वाले शिवपाल सिंह यादव अब 2022 के चुनाव से ठीक पहले एक बार फिर एसपी का हिस्सा हो सकते हैं। समाजवादी पार्टी के करीबी सूत्रों के मुताबिक, शिवपाल सिंह यादव के गुट के नेताओं को किस तरह से एसपी संगठन में जगह दी जाए इसपर मंथन शुरू हो गया है। वहीं 22 नवंबर को मुलायम सिंह यादव के जन्मदिन पर लखनऊ के जनेश्वर मिश्र पार्क में एक बड़ा समारोह करने की तैयारी की जा रही है, जिसमें शिवपाल अपनी पार्टी के विलय की घोषणा कर सकते हैं।
2017 में सपा का निराशाजनक प्रदर्शन
2012 में इतिहास रचने वाली सपा को 2017 के विधानसभा चुनाव में केवल 47 सीटें ही नसीब हुईं। उसने 311 सीटों पर चुनाव लड़ा था। इस बार उसे केवल 21.82 फीसदी ही वोट मिले। बसपा ने और भी खराब प्रदर्शन किया। उसे केवल 19 सीटों पर ही जीत मिली। बसपा को 22.23 फीसदी वोट मिले थे। वहीं कांग्रेस ने 114 सीटों पर चुनाव लड़ा लेकिन केवल 7 सीटें ही जीत पाई थी। कांग्रेस के हिस्से में 6.25 फीसद वोट आए थे। इस चुनाव में सपा—कांग्रेस ने गठबंधन में चुनाव लड़ा था। राजनीतिक विशलेषकों के मुताबिक, शिवपाल के सपा में वापस आने से पार्टी को मजबूती मिलेगी। शिवपाल की सपा संगठन में मजबूत पकड़ रही है। उनके आने से सपा का वोट बंटेगा नहीं, जिसका फायदा पार्टी को मिलना तय है।