आज शाम थम जाएगा तीसरे चरण का प्रचार, अखिलेश के पास खोने के लिए कुछ नहीं, पाने के लिए सारा जहां, जाने कैसे?

UP Election 2022 : भाजपा ने अखिलेश यादव की सियासी घेरेबंदी एक सोची समझी रणनीति के तहत केंद्रीय मंत्री एसपी बघेल को उतार दिया है। यही वजह है कि करहल का मुकाबला रोचक हो गया है।

Update: 2022-02-18 05:43 GMT

हैं। भाजपा ने अखिलेश यादव की सियासी घेरेबंदी एक सोची समझी रणनीति के तहत केंद्रीय मंत्री एसपी बघेल को उतार दिया है। यही वजह है कि करहल का मुकाबला रोचक हो गया है। 

UP Election 2022 : देश के पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के तीसरे चरण का प्रचार आज शाम पांच बजे थम जाएगा। यूपी चुनाव के तीसरे चरण ( Third Phase Campaign ) का रण भाजपा ( BJP ) के लिए शह और मात जैसा है। ऐसा इसलिए कि अगर भाजपा इस चरण में पिछड़ी तो उसे यूपी के सियासी रण में कमबैक का मौका नहीं मिलेगा। ऐसा इसलिए कि सपा-रालोद गठबंधन पहले दो चरण में भाजपा पर बड़ी बढ़त बना चुकी है। इस चरण में सपा ( SP ) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ( Akhilesh yadav ) के पास खोने के लिए कुछ नहीं है, जबकि पाने के लिए सारा जहां यानि यूपी में सरकार बनाने का सुनहरा अवसर है।

वेस्ट, बुंदेलखंड और अवध में होगा मतदान

तीसरे चरण में यूपी के 16 जिलों की 59 सीटों पर चुनाव होंगे। पहले चरण में 11 जिलों की 58 और दूसरे चरण में 9 जिलों की 55 सीटों पर चुनाव संपन्न हो चुके हैं। इस चरण की खासियत यह है कि इसमें चुनावी दायरा बढ़ गया है। तीसरे चरण में चुनाव पश्चिमी उत्तर प्रदेश और बुंदेलखंड से पार करता हुआ अवध क्षेत्र तक पहुंच जाएगा। ऐसे में सियासी दलों ने इस चरण के लिए अपनी ताकत झोंक दी है। तीसरे चरण में प्रदेश के तीन हिस्सों में एक साथ चुनाव होंगे। इस चरण में वेस्ट यूपी और बुंदेलखंड के साथ-साथ अवध क्षेत्र चुनावी तपिश का असर दिखाने वाली है। वेस्ट यूपी के फिरोजाबाद, मैनपुरी, एटा, कासगंज और हाथरस जैसे 5 जिलों की 19, बुंदेलखंड में पांच जिलों झांसी, जालौन, ललितपुर, हमीरपुर और महोबा जिले की 13 और अवध क्षेत्र के छह जिलों कानपुर, कानपुर देहात, औरैया, फर्रुखाबाद, कन्नौज और इटावा की 27 विधानसभा सीटों पर 20 फरवरी को वोटिंग होगी।

सबकी नजर करहल पर

विधानसभा चुनाव ( UP Election 2022 ) के तीसरे चरण ( Third Phase Campaign  )में सभी की नजर समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party ) के अध्यक्ष और यूपी पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ( Akhilesh Yadav ) की सीट करहल पर रहने है।मैनपुरी के करहल विधानसभा सीट ( Karhal Assembly Constituency ) से अखिलेश यादव चुनावी मैदान में हैं। उनके सामने भारतीय जनता पार्टी ( Bhartiya Janta Party ) के उम्मीदवार और केंद्रीय मंत्री एसपी सिंह बघेल (SP Singh Baghel) चुनौती पेश कर रहे हैं। भाजपा ने अखिलेश यादव की सियासी घेरेबंदी एक सोची समझी रणनीति के तहत केंद्रीय मंत्री एसपी बघेल को उतार दिया है। यही वजह है कि करहल का मुकाबला रोचक हो गया है। करहल में दोनों ही दलों का चुनावी प्रचार चरम पर रहा। करहली की सियासी संग्राम का अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि गुरुवार को वर्षों बाद वहां सपा की जीत सुनिश्चित करने के लिए मुलायम सिंह यादव, शिवपाल यादव और अखिलेश यादव एक ही मंच पर दिखाई दिए। हालांकि, यहां से अखिलेश की जीत तय मानी जा रही है।

BJP पिछड़ी तो नहीं मिलेगा वापसी का मौका

यूपी विधानसभा के तीसरे चरण के मतदान में भाजपा के सामने प्रदर्शन दोहराने की चुनौती है। 2017 के विधानसभा चुनाव में पार्टी ने इन इलाकों की 59 में से 49 विधानसभा सीटों पर अपना कब्जा जमाया था। बची 10 में से 8 सीटें समाजवादी पार्टी के पास गई थीं। एक सीट पर कांग्रेस और एक सीट पर बहुजन समाज पार्टी को जीत मिली थी। पांच साल पहले समाजवादी पार्टी और कांग्रेस का गठबंधन था। सपा गठबंधन को 9 सीटें मिली थीं। यही वजह है कि भाजपा के सामने एक बार फिर दोहराने की कोशिश में है, वहीं समाजवादी पार्टी यहां पर अपने दबदबे को बढ़ाने की कोशिश कर रही है। कांग्रेस और बसपा भी पूरा जोर लगाी दिख रही है।

इस चरण की 59 में से 30 विधानसभा सीटों पर यादव मतदाताओं की बहुलता है। 16 में से 9 जिलों में यादवों की बहुलता है। 2017 में सपा के खराब प्रदर्शन का कारण यादव विरोधी वोटों का ध्रुवीकरण होना था। अखिलेश यादव के मैनपुरी के करहल सीट से तो उनके चाचा शिवपाल यादव इटावा के जसवंतनगर सीट से चुनावी मैदान में हैं। दोनों का इस क्षेत्र से उम्मीदवार बनने के बाद यादव वोट बैंक के अग्रेसिव होने और गैर यादव वोट के ध्रुवीकरण की आशंका बढ़ गई है। फिर अखिलेश यादव से अलग होकर पार्टी बना लेने वाले शिवपाल यादव इस बार सपा के पक्ष वोटों को गोलबंद कर रहे हैं। यानि सियासी माहौल इस बार सपा के पक्ष में है।

जातीय समीकरण पर जोर

सियासी प्रतिष्ठा बचाने के लिए भाजपा जातीय समीकरणों को साधने का प्रयास कर रही है। पीएम मोदी ने कानपुर में चुनावी सभा की और इसमें एक बार फिर तुष्टीकरण का मामला उठाया। मुस्लिम महिलाओं के वोट पर भी बात की। इसका बड़ा असर विपक्षी रणनीतिकारों पर हो रहा है। वोट को साधने की कोशिश में ऐसे बयान आ रहे हैं, जो वोटों के ध्रुवीकरण में सहायक हो सकते हैं। यह चरण यूपी की सत्ता की दशा और दिशा तय करने वाला है। ऐसा इसलिए कि भाजपा के लिए जहां अपनी सीटें बचाने की चुनौती है तो सपा और बसपा के लिए खोने के लिए कोई खास नहीं हैं। सपा के लिए यह जरूर है कि अपने गढ़ में पार्टी के खोए हुए सियासी आधार को दोबारा से पाने की चुनौती है। तीसरे चरण का चुनाव इसीलिए सत्ता की दशा और दिशा तय करने वाला है, क्योंकि बीजेपी के लिए जहां अपनी सीटें बचाने की चुनौती है तो सपा और बसपा के लिए खोने के लिए कुछ नहीं है। सपा प्रमुख अखिलेश यादव के लिए यह जरूर है कि अपने गढ़ में पार्टी के खोए हुए सियासी आधार को दोबारा से पाने का चैलेंज है।

गठबंधन के सहयोगियों की भी परीक्षा

साल 2017 में एटा, कन्नौज, इटावा, फरुर्खाबाद, झांसी, ललितपुर, औरैया, महोबा,कानपुर देहात जैसे जिलों में सपा को करारा झटका लगा था। 2012 के चुनाव में इन जिलों में सपा ने क्लीन स्वीप किया था। 2012 चुनाव में तीसरे चरण की 59 सीटों में से सपा 37 सीटें जीती थी जबकि 2017 में महज 9 सीटों से संतोष करना पड़ा था। भाजपा का गैर-यादव ओबीसी कार्ड का दांव सफल रहा था। शाक्य और लोध वोटर एकमुश्त भाजपा के पक्ष में गए थे, लेकिन इस बार सपा ने भी इन वोटों को साधने के लिए सियासी समीकरण और गठजोड़ बनाए हैं।

एटा, कन्नौज, इटावा, फरुर्खाबाद, झांसी, ललितपुर, औरैया, महोबा,कानपुर देहात जैसे जिलों में भी सपा को करारा झटका लगा था. जबकि, 2012 के चुनाव में इन जिलों में सपा ने क्लीन स्वीप किया था. 2012 चुनाव में तीसरे चरण की 59 सीटों में से सपा 37 सीटें जीती थी जबकि 2017 में महज 9 सीटों से संतोष करना पड़ा था. बीजेपी का गैर-यादव ओबीसी कार्ड का दांव सफल रहा था. शाक्य और लोध वोटर एकमुश्त बीजेपी के पक्ष में गए थे, लेकिन इस बार सपा ने भी इन वोटों को साधने के लिए सियासी समीकरण और गठजोड़ बनाए हैं। भाजपा के सामने मुश्किल यह है कि 2017 में अखिलेश यादव और शिवपाल के बीच चली वर्चस्व की लड़ाई में सपा को खामियाजा भुगतना पड़ा था। इस बार ऐसा नहीं है। चाचा शिवपाल अपने भतीजे के पक्ष में वोट मांगते नजर आ रहे हैं। अखिलेश यादव ने शाक्य समाज वोटों के लिए महान दल के साथ गठबंधन कर रखा है। महान दल का आधार इसी इलाके में है। वहीं, बसपा के आए दलित नेताओं को भी इस चरण में उतार रखा है।

फिरोजाबाद, हाथरस, मैनपुरी, एटा और कासगंज, औरैया, फर्रुखाबाद, कन्नौज, इटावा, झांसी, हमीरपुर, कानपुर देहात और ललितपुर जिले को भले ही यादव बेल्ट कहा जाता है, लेकिन शाक्य, कुर्मी और लोध वोटर काफी अहम है। भाजपा ने अपनी सहयोगी अपना दल ( एस ) की प्रमुख अनुप्रिया पटेल को चुनाव प्रचार में लगा रखा है। इसके अलावा तीसरे चरण की चार सीटें भी अपना दल (एस) लड़ रही है जबकि 55 सीटों पर बीजेपी के प्रत्याशी हैं। दूसरी तरफ बसपा प्रमुख मायावती कभी अपने परंपरागत दलित समाज के साथ शाक्य और कुर्मी जातियों के साथ कॉम्बिनेशन बनाकर यादव बेल्ट और बुदंलेखंड में जीत का परचम लहराती रही है। 2017 में शाक्य और कुर्मी वोटों के खिसकने से बसपा खाता नहीं खोल सकी थी। बसपा ने इस बार सपा के बागियों को टिकट देकर अपने पुराने गढ़ में जीत दर्ज करने का उम्मीद है।

तीसरें चरण की चर्चित सीटें :

करहल, फर्रूखाबाद, कन्नौज, जसवंतनगर,महाराजपुर, सिरसागंज, इटावा और सादाबाद।

साल 2017 में स्थिति

कुल सीटों - 59

भाजपा - 49

सपा - 08

कांग्रेस - 01

बसपा - 01

तीसरे चरण में चुनावी मुद्दे

हाथरस कांड, बिकरू कांड, पियूष- पुष्पराज कांड, बेरोजगारी, विकास और आवारा पशुओं की समस्या।

हाई प्रोफाइल चेहरे

1. यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव - करहल - सपा

2. एसपी सिंह बघेल - करहल - भाजपा

3. पूर्व मंत्री शिवपाल यादव - जसवंतनगर - सपा

4. पूर्व मंत्री रामवीर उपाध्याय - भाजपा

5. पूर्व आईपीएस असीम अरुण - कन्नौज - भाजपा

6. मंत्री सतीश महाना - महाराजपुर

7. पूर्व मंत्री सलमान खुर्शीद की पत्नी लुइस खुर्शीद -फर्रूखाबाद - कांग्रेस

8. मुलायम के समधी हरिओम यादव - सिरसागंज - भाजपा

UP Election 2022 :  Third Phase 

मतदान की तिथि - 20 फरवरी

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