UP Election Result 2022 Updates : छात्र अजय से मुख्यमंत्री महाराज, आगे क्या!

UP Election Result 2022 Updates : योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री से ज्यादा महाराजा कहना पसंद करते हैं। कहलाना पसंद नहीं करते। साथ ही वो भारत के इतिहास एक जन-प्रतिनिधि के पद पर भी हैं और गोरक्षपीठ की गद्दी पर भी विराजमान हैं।

Update: 2022-03-10 08:14 GMT

file photo

UP Election Result 2022 Updates : उत्तर प्रदेश में मतगणना के के रुझानों के मुताबिक भाजपा सरकार  ( BJP Government ) बनने का रास्ता साफ होने के बाद से देशभर में सबसे ज्यादा चर्चा में सीएम योगी आदित्यनाथ ( CM Yogi Adityanath ) हैं। ऐसा होना स्वाभाविक है, क्योंकि पार्टी के अंदर और बाहर सभी सियासी झंझावातों को झेलते हुए पांच साल तक यूपी में अपने स्टाइल में राज किया और भाजपा को जीत के कगार तक ले गए। अब वही भाजपा आजादी के बाद यूपी में इतिहास बनाने जा रही है।

भाजपा की इस जीत के साथ ही इस बात की चर्चा है कि यूं ही योगी आदित्यनाथ महाराज कहलाना पसंद नहीं करते। दरअसल, भारत के इतिहास में शायद ही कभी ऐसा हुआ हो जब एक जन-प्रतिनिधि संवैधानिक पद पर रहते हुए न सिर्फ अपनी धार्मिक गद्दी पर भी विराजमान हो, बल्कि राजकाज में भी उसकी गहरी छाया दिखती हो।

बुल्डोजर बाबा और ठोक दो कहना पसंद करते हैं योगी

साल 2017 में सपा को हराकर जब भाजपा सत्ता में आई तो योगी आदित्यनाथ ने मुख्यमंत्री पद की शपथ लेते ही एंटी-भू माफिया टास्क फोर्स का गठन किया था। टास्क फोर्स ने अवैध रूप से हथियाई गई 64000 हेक्टेयर भूमि को खाली कराने और 2000 अवैध निर्माण को ध्वस्त करने के लिए बुलडोजर का खूब प्रयोग किया। साथ ही बाहुबलियों, माफियाओं, गुंडों के खिलााफ अभियान के साथ साफ कर दिया कि या तो सुधर जाओ या ठोक दिए जाओगे। जनसभाओं में मीडिया साक्षात्काम में भी उन्होंने बुल्डोजन और ठोक की चर्चा खुलकर करते रहे हैं। उनके इस नीति को अलोकप्रिय साबित करने के लिए अखिलेश यादव ने उन्हें बुल्डोजर बाबा की उपाधित दी तो उन्होंने उसे भुना लिया और अपनी छवि ही अलग बना ली। योगी का बुलडोजर अब एक ब्रांड है। यह सड़कों और इमारतों के निर्माण के लिए इस्तेमाल होता है। साथ ही अवैध निर्माणों को ध्वस्त करने के लिए भी इस्तेमाल किया जा रहा है।

लव जिहाद वाले सुधर जाएं नही तो राम नाम सत्य है

सीएम योगी आदित्यनाथ का उग्र हिंदुत्व की राजनीति उनके शासन-प्रशासन में साफ दिखाई देती है। उनके उग्र हिंदुत्व का शासन—प्रशासन पर असर का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक सरकारी हेलिकॉप्टर से कांवड़ियों पर पुष्प-वर्षा कर चुके हैं। फिर एंटी रोमियो स्क्वॉड, अवैध बूचड़खानों की तालाबंदी, शादी के लिए धर्म परिवर्तन पर कानून जैसी नीतियां हों या उनके भाषण, बयान, सब जगह धार्मिक और राजनीतिक सत्ता को एकाकार होते हुए देखा जा सकता है। साल 2021 में एक जनसभा में उन्होंने कहा था कि 2017 से पहले अब्बा जान कहने वाले राशन हजम कर जाते थे। साल 2020 में उत्तर प्रदेश के जौनपुर उप-चुनाव की सभा में उन्होंने कहा था लव-जिहाद वाले सुधरे नहीं तो राम नाम सत्य है की यात्रा निकलने वाली है। इसके साथ ही अब्बाजान, चचाजानख् जिन्ना बनाम हिंदू का भी उन्होंने इस्तेमाल कर अपनी अलग पहचान बनाई।

एंटी दंगा विरोधी कानून

जब नागरिकता कानून ( सीएए ) का हिंस विरोध और प्रदर्शन के दौरान हिंसक बलवाईयों से संपत्ति नुकसान की भरपाई आज भी सुप्रीम कोर्ट और योगी सरकार के बीच तनातनी विषय बना हुआ है।योगी सरकार ने एंटी दंगा कानून बनाए और हिंसक प्रदर्शनकारियों को 'सरकारी संपत्ति को हुए नुकसान की उगाही कराई। आरोपियों के नाम, पते और तस्वीरों के पोस्टर लखनऊ में लगवा दिए। इनमें से कई बुज़ुर्ग मानवाधिकार कार्यकर्ता और रिटायर्ड वरिष्ठ अधिकारी भी थे। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इसे निजता का हनन बताते हुए पोस्टर उतारने के निर्देश दिए, उसके बाद भी ये पोस्टर दोबारा लगाए गए।

हमारे तो बजरंग बली ही सबकुछ

साल 2019 में लोकसभा और उससे पहले मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान कहा थ कि कमलनाथ जी आपके लिए भले अली महत्वपूर्ण होंगे, लेकिन हमारे लिए तो बजरंग बली ही सब कुछ हैं। साल 2018 में उन्होंने उत्तर प्रदेश विधानसभा में कहा था कि मैं हिंदू हूं, इसलिए ईद नहीं मनाता, इसका मुझे गर्व है।शेड्स ऑफ़ सैफरन : फ़्रॉम वाजपेयी टू मोदी लिखने वाली सबा नकवी के मुताबिक आदित्यनाथ अपने शासन में केसरिया का ऐसा रंग लेकर आए हैं जो पहले कभी नहीं देखा गया। सबा नकवी कहती हैं कि आदित्यनाथ को अपने हिंदुत्व में ध्रुवीकरण की राजनीति के फायदे में पूरा विश्वास है, वो सोच उनके जहन में बसी है। सांप्रदायिकता तो उत्तर प्रदेश में पहले से ही अंदर ही अंदर पनप रही थी पर अब उनकी देखा-देखी खुलकर सामने आने लगी है।

योगी आदित्यनाथ सबसे ज्यादा उनको सुर्खियों तब देखा गया जब उन्हें 19 मार्च 2017 को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप घोषित किया गया। योगी आदित्यनाथ जिनका मूल नाम अजय सिंह बिष्ट है। योगी का जन्म 05 जून 1972 को उत्तराखंड के पौढ़ी गढ़वाल जिले में स्थित यमकेश्वर तहसील के पंचूर गांव के एक गढ़वाली क्षत्रिय परिवार में हुआ था। इनके पिता का नाम आनंद सिंह बिष्ट है जो फॉरेस्ट रेंजर थे। इनकी माता सावित्री देवी एक कुशल गृहिणी है। इनके परिवार में इनके तीन बहनें और तीन भाई है, जिसमें योगी आदित्यनाथ पांचवें नंबर पर है।

22 की उम्र में ही ले लिया सन्यास का फैसला

प्रारंभिक शिक्षा पौड़ी उत्तराखंड के प्राथमिक विद्यालय में हुई। उसके बाद योगी आदित्यनाथ ने हेमवती नंदन बहुगुणा विश्वविद्यालय से गणित और विज्ञान में स्नातक की डिग्री प्राप्त की। इसके बाद योगी ने गणित में एमएससी की शिक्षा प्राप्त करने के लिए दाखिला लिया पर राम मंदिर में हो रहे आंदोलन के कारण इनका मन विचलित हो गया और इनका ध्यान पढ़ाई से हट गया।विचलन के इसी दौर में योगी अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़ गए और कुछ ही समय में इनकी चर्चा एबीवीपी के उभरते हुए नेताओं में होनी लगी। 22 वर्ष की उम्र में योगी ने सांसारिक जीवन को त्यागकर संन्यास आश्रम में प्रवेश किया।

सन्यास जीवन शुरू करने के लिए योगी ने महंत अवैद्यनाथ से मुलाकात की जिसके बाद इनका नाम अजय सिंह बिष्ट से योगी आदित्यनाथ हो गया। 12 सितंबर 2014 को महंत अवैद्यनाथ के निधन के बाद योगी आदित्यनाथ को गोरखनाथ मंदिर का महंत बनाया गया और नाथ पंथ के पारंपरिक अनुष्ठान के अनुसार मंदिर का पीठाधीश्वर बनाया गया। सबसे पहले 1998 में भारत के बारहवें लोकसभा चुनाव में जीत दर्ज कर सबसे कम उम्र में सांसद के रूप में शपथ ली थी। तब उनकी उम्र महज 26 वर्ष थी। उसके बाद वो पांच बार सांसद रहे। 2017 में भाजपा चुनाव जीतने के बाद वो पहली बार सीएम बने। और अब सीएम योगी दोबारा यूपी का सीएम बनने जा रहे हैं। इसके साथ ही उनके नाम पांच साल तक सीएम का कार्यकाल पूरा करने के बाद दोबारा सत्ता में वापसी का रिकॉर्ड भी दर्ज हो जाएगा।

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